एमएमडीपी किट के नियमित प्रयोग से हाथीपांव के मरीजों को मिलेगा लाभ!
विभागीय स्तर पर मरीजों को दिया गया एमएमडीपी किट जबकि पीरामल स्वास्थ्य की ओर से दिया गया प्रशिक्षण!
फाइलेरिया का इलाज समय से नहीं कराने वाले बन सकते हैं दिव्यांग: एमओआईसी
सिवान (बिहार): फाइलेरिया बीमारी जानलेवा नहीं बल्कि एक घातक बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों का जीवन काफी चुनौती पूर्ण हो जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए कई प्रकार के अभियान चलाया जा रहा है, ताकि फाइलेरिया बीमारी का उन्मूलन अपने जिला और राज्य से जल्द से जल्द हो सके। उक्त बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) नौतन के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) डॉ आकाश कुमार ने रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) वितरण समारोह के दौरान कही। वितरण समारोह में उपस्थित फाइलेरिया मरीजों को सलाह देते हुए कहा कि एमएमडीपी किट का नियमित रूप से इस्तेमाल कर हाथीपांव के मरीज अपने बीमारी की बढ़ोतरी पर आसानी से काबू पा सकते हैं, लेकिन इसके लिए मरीजों को स्वयं जागरूक होना होगा। तभी उन्हें हाथीपांव जैसी बीमारी से राहत मिलेगी। क्योंकि लिम्फेटिक फाइलेरियासिस यानी फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय पर इलाज नहीं होने से लोग दिव्यांग बन सकते हैं। इसलिए सरकार ने फाइलेरिया को मिटाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया है। स्थानीय स्तर पर 98 फाइलेरिया के मरीज है। जिसमें 15 रोगियों को एमएमडीपी किट दिया गया जबकि 10 मरीजों का दिव्यंगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदन किया गया है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा- निर्देश देते हुए कहा गया है कि एमएमडीपी किट वितरण के साथ ही उन्हें उसका प्रयोग करने के लिए भी अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण दिया जाए। ताकि उसका लाभ उनको मिल सकें। नहीं तो कीट वितरण लेकर घर जाने वाले रोगी उसका सही से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। क्योंकि एमएमडीपी किट में मरीजों को डिटॉल साबुन, एंटीसेप्टिक क्रीम, टब, मग, तौलिया सहित कई अन्य की सामग्री प्रदान की जाती है। जिसको मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की नियमित रूप से देखभाल के तरीके सिखाए जाते हैं। इस दौरान मरीजों को बताया गया कि डेटॉल साबुन से पैरों की साफ़ सफाई और एंटीसेप्टिक क्रीम का उपयोग संक्रमण को नियंत्रित कर सकता है। मालूम हो कि क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है, तो उसे भी संक्रमित कर देता है, लेकिन संक्रमण के लक्षण पांच से 15 वर्ष में उभरकर सामने आता हैं। इससे या तो व्यक्ति को हाथ- पैर में सूजन की शिकायत होती है या फिर अंडकोष में सूजन आ जाती है। संक्रमित होने के बाद मरीजों को प्रभावित अंगों की साफ- सफाई सहित अन्य बातों को समुचित ध्यान रखना जरूरी होता है।
पीरामल स्वास्थ्य की ओर से संचारी रोग के कार्यक्रम अधिकारी (पीओसीडी) अमितेश कुमार सिंह ने बताया कि विभागीय स्तर पर फाइलेरिया उन्मूलन अभियान अंतर्गत सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) के तहत वर्ष में एक बार दवा का सेवन कराया जाता है। इसके साथ ही एमएमडीपी का वितरण भी किया जाता है। ताकि इसका लाभ सीधे तौर पर उन मरीजों को मिल सके। जिनको पैर सूजन के वजह से चलने फिरने या अन्य कोई काम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाथीपांव से ग्रसित मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आकाश कुमार, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम) सह प्रभारी बीएचएम राजीव कुमार सहित कई अन्य के द्वारा वितरण किया गया। वहीं इस दौरान फाइलेरिया रोगियों को पैरों की साफ- सफाई और रख रखाव की जानकारी भी दी गई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थानीय प्रखंड के फाइलेरिया से ग्रसित 10 मरीजों का दिव्यंगता प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा किया गया है। इस अवसर पर सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, परिवार नियोजन परामर्शी प्रभात कुमार पाण्डेय, प्रखंड लेखापाल बच्चा दूबे, प्रखंड स्वास्थ्य कार्यकर्ता आदर्श श्रीवास्तव, प्रखंड अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी (एमएम एंड ईए) राय जी, डेटा ऑपरेटर निशिकांत कुमार, आशा फेसिलेटर अंजू देवी, शोभा देवी, बालिका देवी, राजकुमारी देवी और आरती देवी के अलावा आशा कार्यकर्ता भी मौजूद रही।