फाइलेरिया सहित मच्छर जनित बीमारियों के उन्मूलन व जागरूकता के लिए रोगी हितधारक मंच का हुआ गठन!
फाइलेरिया उन्मूलन और जल जनित रोगों के उन्मूलन में जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका: मुखिया
सिवान (बिहार): राज्य और जिले से फाइलेरिया बीमारी के उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा हर संभव लगातार प्रयासरत किया जा रहा है। इस मुहिम को पहले से ज्यादा सफल और सशक्त बनाने के उद्देश्य से हसनपुरा प्रखंड अंतर्गत लहेजी गांव स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एच डब्ल्यू सी) पर रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) का गठन किया गया। पीएसपी का गठन उक्त पंचायत की मुखिया रीता देवी की अध्यक्षता में बैठक हुई। जबकि इसका संचालन सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) दिन दयाल जगरवाल ने किया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुखिया रीता देवी ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका अहम होती है। जिसको लेकर जिले के सभी प्रतिनिधियों को बढ़ चढ़ कर आगे आने की जरूरत है। ताकि गांव और समाज से फाइलेरिया जैसी बीमारी को जड़ से मिटाया जा सकें। क्योंकि जब तक हमलोग स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को फाइलेरिया के अलावे अन्य मच्छर जनित बीमारियों के संबंध में जागरूक नहीं करेंगे। तब तक क्षेत्र को बीमारी मुक्त नहीं कर सकते हैं। इसी को धरातल पर उतराने के उद्देश्य से स्थानीय एच डब्ल्यू सी पर रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) का गठन किया गया है, ताकि गांव में किसी भी तरह की कोई बीमारी या संक्रमण फैलता है तो इसकी जानकारी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया जा सके। बैठक के दौरान सीएचओ दिन दयाल जगरवाल के द्वारा पीएसपी के सदस्यों को फाइलेरिया के अलावे कालाजार, मलेरिया, चिकन गुनिया, चमकी बुखार और टीबी जैसी बीमारी से बचाव व उपचार के संबंध में जानकारी दी गयी।
फाइलेरिया बीमारी की पहचान होने पर इसे रोकना संभव: एमओआईसी
हसनपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) डॉ मनोज कुमार ने बताया कि क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है। लेकिन संक्रमण के लक्षण पांच से 15 वर्ष में उभरकर सामने आते हैं। इससे या तो व्यक्ति को हाथ- पैर में सूजन की शिकायत होती है या फिर अंडकोष में सूजन आ जाती है। वहीं महिलाओं को स्तन के आकार में परिवर्तन हो सकता है। हालांकि इस तरह की बीमारी का अभी तक कोई समुचित इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन शुरूआती दौर में रोग की पहचान होने पर इसे आसानी से रोका जा सकता है। संक्रमित होने के बाद मरीजों को प्रभावित अंगों की साफ़ सफाई सहित अन्य बातों को समुचित रूप से ध्यान रखना जरूरी होता है। पीएसपी गठन के दौरान फाइलेरिया के मरीजों को सीएचओ और सिफार टीम के द्वारा संयुक्त रूप से बताया कि एमएमडीपी किट के नियमित इस्तेमाल से मरीज हाथीपांव के सूजन को आसानी से काबू पाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए मरीजों को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा। तभी जाकर उन्हें हाथीपांव से राहत मिल सकती हैं। लिम्फेटिक फाइलेरियासिस यानी फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय पर इलाज नहीं होने से लोग दिव्यांग बन सकते हैं। इसलिए सरकार ने फाइलेरिया को मिटाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया है।
फाइलेरिया के मरीजों के बीच एमएमडीपी कीट का वितरण कर साफ़ सफाई को लेकर किया गया प्रशिक्षित: सीएचओ
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर लहेजी के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) दिन दयाल जगरवाल ने कहा कि फाइलेरिया के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने और मरीजों के अधिकारों के संबंध में जानकारी देने के उद्देश्य से स्थानीय स्तर पर रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) का गठन किया गया है। जिसमें स्थानीय पंचायत की मुखिया रीता देवी, सामाजिक कार्यकर्ता सह मुखिया प्रतिनिधि राकेश कुमार यादव और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दौरान दो फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी कीट उपलब्ध कराया गया। साथ ही सिफार के बीसी सोनू कुमार के द्वारा उपस्थित सभी सदस्यों सहित फाइलेरिया मरीजों को मच्छर जनित बीमारियों के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें एमएमडीपी के इस्तेमाल के फायदों के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। इस दौरान स्थानीय पंचायत की मुखिया रीता देवी, सामाजिक कार्यकर्ता राकेश कुमार यादव, सीएचओ दिन दयाल जग्रवाल, पंच कलावती देवी, शिक्षक प्रशांत भारती, एएनएम मानकी कुमारी, आशा फेसिलेटर बबिता कुमारी, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी और बीसी सोनू कुमार सहित सेविका, सहायिका, आशा कार्यकर्ता के अलावा फाइलेरिया मरीज़ उपस्थित रहे।