माँझी रेलवे त्रासदी: एक नाम, दो स्टेशन: यात्रियों के लिए भ्रम और परेशानी, न टिकट न सुविधा!
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज कुमार सिंह: छपरा बलिया रेलखण्ड के मध्य महज साढ़े तीन किमी की दूरी पर बने माँझी नाम के एक रेलवे स्टेशन तथा दूसरा माँझी रेलवे हाल्ट शायद देश के इकलौता रेलवे स्टेशन है जहां टिकट मात्र एक स्थान पर मिलता है जबकि यात्री दोनों स्टेशनों पर ट्रेनों पर सवार होते हैं। रेल विभाग की यह एक अजीबोगरीब विडम्बना ही है कि 16 जनवरी वर्ष 2023 को उदघाटन के बाद से आज तक माँझी रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाले यात्रियों के लिए आजतक टिकट काउन्टर तक की ब्यवस्था नही की गई। बताते चलें कि तीन जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों के अलावा उत्सर्ग एक्सप्रेस का ठहराव उक्त दोनों स्टेशनों पर पूर्ववत होता चला आ रहा है। मांझी रेलवे स्टेशन के संचालक बीरेन्द्र कुमार ने बताया कि यहां पर रेलवे का सिग्नल सिस्टम लागू है जिस वजह से ठहराव वाली ट्रेनों के अलावा इस रूट से परिचालित अधिकांश एक्सप्रेस ट्रेनें भी रुकती हैं। उन ट्रेनों पर यात्री सहज ढंग से सवार यात्रा भी करते हैं। परन्तु आश्चर्य इस बात का है कि यहां टिकट काउंटर की ब्यवस्था अबतक नही की जा सकी हैं। सुविधा सम्पन्न माँझी रेलवे स्टेशन पर टिकट की ब्यवस्था उपलब्ध नही रहने से यहां से ट्रेनों पर सवार होने वाले रेलयात्री टिकट के अभाव में अन्यत्र स्टेशनों पर बिना टिकट पकड़े भी जाते हैं तथा जुर्माना देने को मजबूर होते हैं। वहीं दूसरी तरफ वर्ष 1902 में स्थापित माँझी हाल्ट स्टेशन पर यात्रियों के लिए टिकट काउंटर की ब्यवस्था तो है पर यात्री सुविधाएं नगण्य हैं। माँझी के इस प्लेटफार्म पर जाड़ा गर्मी बरसात तीनों मौसम से यात्रियों को दो चार होना पड़ता है चूँकि यहां पर शेड चापाकल तथा प्रकाश व शौचालय आदि की ब्यवस्था नही है। माँझी रेलवे स्टेशन तथा बकुल्हा रेलवे स्टेशन के बीच सिंगल रेल लाइन होने की वजह से यहां पर एक एक करके ट्रेनों को पार कराना पड़ता है। दोनों स्टेशनों के मध्य स्थित पुराने माँझी रेलवे हाल्ट पर प्लेटफार्म एवम टिकट काउंटर की दूरी सौ मीटर के आसपास की है। शेड रहित प्लेटफार्म के समतल होने की वहज से यहां ट्रेनों पर चढ़ना उतरना सभी यात्रियों के बस की बात नही है। यहां आएदिन यात्री गिरकर जख्मी होते रहते हैं। उक्त दोनों स्टेशनों पर आरपीएफ के जवानों की तैनाती नही किये जाने के कारण यहां यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे होती हैं। शायद इसी वजह से आएदिन यहां यात्रियों के साथ लूटपाट,छिनतई, तथा चेनपुलिंग जैसी आपराधिक घटनाएं होतीं रहती हैं। यहाँ पर यात्रियों को कौन कहे ड्यूटी पर तैनात रेलकर्मी भी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
स्टेशनों के नामकरण तथा एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की उठती रही है मांग
माँझी में दो दो रेलवे स्टेशन बनने के बाद से दोनों के अलग अलग नामकरण की भी मांग उठने लगी हैं। स्थानीय सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल तथा रेल विभाग के वरीय पदाधिकारियों को ज्ञापन भेजकर स्थानीय शिक्षक व सामाजिक कार्यकर्ता रंजन शर्मा ने माँझी हाल्ट स्टेशन के सामाजिक,ऐतिहासिक एवम आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए इसका नामकरण संत धरणी नगर किये जाने की मांग की है। ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि चूंकि माँझी के प्रसिद्ध संत धरणी दास मन्दिर तथा मशहूर रामघाट तक पहुंचने वाले यात्रियों के लिए यह स्टेशन केन्द्र बिंदु है। उक्त स्टेशन की महत्ता को देखते हुए उन्होंने यहां बलिया सियालदह,सारनाथ एक्सप्रेस तथा इंटरसिटी ट्रेन का ठहराव सुनिश्चित किये जाने की मांग की है। हाल्ट के संचालक लाल बाबू ने बताया कि उक्त हाल्ट स्टेशन पर माँझी प्रखण्ड के अलावा सिवान जिले के सिसवन प्रखण्ड तक के यात्री यहां ट्रेन पकड़ने आते हैं। उन्होंने बताया कि उक्त हाल्ट पर मासिक टिकट बिक्री एक लाख से अधिक की होती है। उन्होंने बताया कि माँझी हाल्ट पर यदि एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित कर दिया जाय तो टिकट बिक्री की यह दर बढ़कर प्रति महीने ढाई तीन लाख तक की हो जाएंगी।
माँझी रेलवे स्टेशन पर बना फुट ओवरब्रिज ग्रामीणों के आवागमन का एकमात्र सहारा
माँझी प्रखण्ड के शत प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी वाले तथा मजदूर वर्ग के एकलौते सैदपुरा गाँव के पांच सौ से अधिक लोगों की आबादी के लिए गांव से बाहर निकलने का कोई रास्ता आजादी के बाद आज तक नही मिला। कौरुधौरु पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि उदय शंकर सिंह तथा पूर्व मुखिया शिव प्रसाद साह ने बताया कि सड़क के लिए जमीन उपलब्ध नही होने की वजह से सैदपुरा के ग्रामीणों के आवागमन की परेशानी दूर नही की जा सकी है। प्रतिनिधियों ने बताया कि सैदपुरा के अलावा मझनपुरा,कौरुधौरु,तथा धनी छपरा के ग्रामीणों की खेतीबारी में होने वाली असुविधा को देखते हुए स्टेशन के समीप अण्डरपास रास्ता बनाने की रेल प्रशासन से मांग की गई थी। बावजूद इसके रेल प्रशासन ने उनकी मांग को स्वीकार नही किया। उन्होंने बताया कि रेल प्रशासन द्वारा अण्डरपास सड़क की ब्यवस्था नही किये जाने की वजह से रेल लाइन पार करने के लिए चार गांव के ग्रामीणों को स्टेशन पर बने फुट ओवरब्रिज अथवा स्टेशन से लगभग आठ से मीटर की दूरी पर जल निकासी के उद्देश्य से बनाये गए रेल ओवरब्रिज का सहारा लेना पड़ता है।