मस्तिष्क ज्वर: पहचान, लक्षण और उपाय
मस्तिष्कशोथ या मस्तिष्क ज्वर या इन्सेफ्लाइटिस रोग (encephalitis) विषाणु के प्रकोप से होता है। यह विषाणु इतने सूक्ष्म होते हैं कि साधारण सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) से भी नहीं देखे जा सकते हैं। इस रोग का वाहक मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और लगभग ४ दिन से चौदह दिन के अन्दर उस व्यक्ति में इस रोग के लक्षण दिखने लगते हैं। इसमें मस्तिष्क में अत्यधिक सूजन आ जाती है।
मस्तिष्क ज्वर के मरीजों की पहचान और इसके लक्षण:
- सर दर्द, तेज़ बुखार आना जो 5 से 7 दिनों से ज्यादा का ना हो।
- अर्द्ध चेतना के अलावा मरीजों में पहचानने की क्षमता नहीं होना/ भ्रम की स्थिति में होना/ बच्चें का बेहोश हो जाना।
- शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना।
- पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर में अकड़ जाना।
- बच्चें का शारीरिक और मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना।
मस्तिष्क ज्वर के बच्चों की पहचान होने पर क्या करना चाहिए:
- तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछे और पंखे से हवा करे ताकि बुखार 1oo डिग्री F से कम हो सके।
- पारासीटामोल की 500mg की गोली अथवा 125mg/5ml की सीरप मरीज़ को उम्र के हिसाब से देना चाहिए।
- यदि बच्चा बेहोश नहीं हैं तब साफ़ पानी में ORS का घोल बनाकर पिलाए।
- बेहोशी या मिर्गी की अवस्था में बच्चें को हवादार स्थान पर रखें।
- बच्चें के शरीर से कपड़ा हटा लें और छायादार जगह में लिटाते समय गर्दन सीधा रखें।
- यदि मरीज़ के मुंह से झाग या लार बार- बार ज्यादा निकल रहा हैं तो साफ़ कपड़े से मरीज़ का मुंह साफ़ करते रहें।
- मरीज़ को यदि झटके आ रहे हो तो उसके दांतो के बीच साफ़ कपड़ो का एक गोला बनाकर रखें, जिससे जीभ कटने से बच सके।