शिक्षकों की सेवा निरंतरता और वेतन संबंधी मांगों पर बिहार विधान परिषद की शिक्षा समिति ने की महत्वपूर्ण अनुशंसा!
शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने, वेतन विसंगति दूर करने तथा अनुभव के आधार पर वरीयता देने की सिफारिश!
पटना, 22 मई।
बिहार विधान परिषद की शिक्षा समिति ने राज्य के शिक्षकों की वर्षों से लंबित सेवा शर्तों, वेतन विसंगतियों और नियुक्ति में वरीयता जैसे मुद्दों पर कई अहम अनुशंसाएं की हैं। समिति की यह बैठक 8 अप्रैल 2025 को हुई थी, जिसकी रिपोर्ट अब सार्वजनिक की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिनमें सेवा विस्तार, नियुक्ति में अनुभव को महत्व, और वेतन विसंगति जैसे मुद्दे शामिल हैं।
शिक्षा समिति की अनुशंसा के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अधीनस्थ महाविद्यालयों में विश्वविद्यालय चयन समिति द्वारा अनुशंसित रूप में कार्यरत अर्हित शिक्षकों को, जिनकी स्थायी नियुक्ति नियमानुसार संपन्न हो चुकी है, उन्हें राज्य सरकार के आदर्श नियम के तहत सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष किए जाने की अनुशंसा की गई है।
राज्य के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पूर्व से कार्यरत अवैतनिक शिक्षकों, जिनकी सेवाएं सरकार द्वारा मान्य की गई हैं, उन्हें भी सेवा समाप्ति के बाद सेवानिवृत्ति लाभ एवं सेवा अवधि की गणना में उनके कार्यकाल को जोड़े जाने की सिफारिश की गई है। ऐसे शिक्षकों की अधिकतम सेवा आयु सीमा भी स्थायी शिक्षकों के समान 60 वर्ष किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
गया, जमुई आदि जिलों के मान्यता प्राप्त इंटर व माध्यमिक विद्यालयों में वर्षों से कार्यरत शिक्षकों की सेवा को देखते हुए समिति ने यह भी अनुशंसा की है कि राज्य सरकार इनके अनुभव को ध्यान में रखते हुए, नियुक्ति में वरीयता प्रदान करे। साथ ही, इन संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों को सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थानों की भांति लाभ दिए जाएं।
शिक्षा समिति ने यह भी सिफारिश की है कि जिन शिक्षकों की वेतन निर्धारण, वेतन विसंगति, सेवा शर्तों में परिवर्तन जैसी समस्याएं हैं, उन्हें बिहार शिक्षक नियमावली तथा वेतनमान नियमनावली के अनुरूप यथाशीघ्र समाधान किया जाए।
समिति ने उपमुख्य सचिव, शिक्षा विभाग को उक्त अनुशंसाओं पर शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है ताकि राज्य भर के शिक्षकों को उनका वाजिब हक मिल सके और शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता व पारदर्शिता लाई जा सके।
यह रिपोर्ट बिहार विधान परिषद सचिवालय द्वारा शिक्षा विभाग को भेज दी गई है और सरकार द्वारा इसपर निर्णय लिए जाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है।