प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान:
गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी करना प्रसव पूर्व जांच का मुख्य उद्देश्य: डॉ रूपाली रस्तोगी
86 गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच में, 8 उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की हुई पहचान!
सिवान (बिहार): गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य से संबंधित परीक्षण के लिए विभागीय स्तर पर प्रत्येक महीने 09 और 21 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता है। जिस दौरान गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) करते हुए उनके और होने वाले बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के साथ- साथ गर्भवती महिलाओं को हर तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। उक्त बातें रेफ़रल अस्पताल सिसवन की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ रूपाली रस्तोगी ने गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि प्रसव पूर्व जांच का मुख्य उद्देश्य मातृ- शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। इसके लिए प्रसव पूर्व जांच जिसे चिकित्सकीय भाषा में एंटी नेटल केयर (एएनसी) जांच कहा जाता है। हालांकि सुरक्षित प्रसव के लिहाज से प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) कराना बेहद जरूरी है। क्योंकि यह जच्चा व बच्चा दोनों के सेहत को सुरक्षित सुनिश्चित करता है। एएनसी जांच में मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं का वजन, रक्तचाप, रक्तहीनता, मधुमेह एवं एचआईवी जैसी जांच की जाती है। इससे गर्भस्थ शिशु की वास्तविक स्थिति और उनके विकास का आंकलन किया जाता है। नियमित रूप से चारों ए एन सी जांच कराने के बाद पेट में पल रहे शिशु की परिस्थितियों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे कि मां और होने वाले शिशु पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एस एम समउदीन आजाद ने बताया कि रेफरल अस्पताल के चिकित्सकों खासकर महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा गर्भधारण से लेकर प्रसव तक की जांच स्थानीय चिकित्सकों और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा कराई जाती है। साथ ही उच्च जोखिम वाली गर्भवती (एचआरपी) महिलाओं की जांच विशेष रूप से कराया जाता हैं। साथ ही स्थानीय परामर्शी संजीव कुमार के द्वारा उसका फॉलो अप करते हुए प्रसव तक उसका विशेष ख्याल रखा जाता है। ताकि प्रसव के दौरान किसी तरह से कोई परेशानी नहीं हो। शायद यही वजह है कि विभागीय स्तर पर उपलब्ध सुविधाओं और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों का उत्तम व्यवहार के माध्यम से महिलाओं को लाभ मिल रहा है, जिस कारण यहां प्रसव पूर्व जांच करवाने में लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि इस अभियान के तहत गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं की चार बार प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित किया जाता है। लेकिन उच्च जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं की आठ बार प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित की जाती है। ताकि परिस्थिति के अनुसार उच्च जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं को विशेष जांच के लिए सदर अस्पताल रेफर किया जाता है जिससे कि उन्हें बेहतर उपचार के साथ मां और बच्चे बिल्कुल स्वास्थ रह सकें।
प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक सह प्रभारी बीएचएम जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि स्थानीय अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। यहां आसानी से जांच और इलाज के बाद दवाई उपलब्ध हो जाता है। इसलिए ज्यादातर महिलाएं यहां अपने गर्भावस्था से संबंधित सभी प्रकार की जांच करवाना चाहती है। प्रखंड मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा पोषक क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित कर हर तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराती हैं। भव्या पोर्टल के माध्यम से सबसे पहले ए एन एम निभा कुमारी और पूजा कुमारी के द्वारा उच्च रक्तचाप, मधुमेह, वजन, लंबाई, बुखार, ऑक्सीजन स्तर सहित कई अन्य प्रकार की जांच की जाती हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) पूनम सिंह, संजय राय, राम प्रकाश, जी एन एम रंजना गुप्ता, ए एन एम पूजा कुमारी के द्वारा एनसीडी स्क्रीनिंग कर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कराई जाती हैं। बुधवार को हुए 86 प्रसव पूर्व जांच किया गया है जबकि उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या 08 हुई हैं। इस दौरान सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च सिफार के (डीपीसी) धर्मेंद्र रस्तोगी, पीरामल स्वास्थ्य के जिला प्रबंधक संजय कुमार, गांधी फैलो रिजिया खातून मौजूद रही।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में हर महीने के 09 एवं 21 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं की जांच करते हुए उन्हें चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाती है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व (पी एम एस एम ए) अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) व्यवस्था सुनिश्चित कराया गया है। प्रसव पूर्व जांच का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी करना है। इन जांचों के माध्यम से किसी भी संभावित जटिलता जैसे- रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, शिशु में विकृति या संक्रमण की पहचान समय पर की जा सकती है। नियमित जांच से सही पोषण, टीकाकरण और देखभाल सुनिश्चित होती है, जिससे सुरक्षित प्रसव की संभावना बढ़ती है। अल्ट्रासाउंड और रक्त जांच जैसी विधियां भ्रूण की वृद्धि और स्थिति पर नज़र रखती हैं। ये जांचें मां और बच्चे के जीवन की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती हैं।