पटना में जन सुराज का विधानसभा मार्च उग्र: लाठीचार्ज में रिटायर्ड आईपीएस जय प्रकाश सिंह घायल, प्रशांत किशोर ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
पटना, 23 जुलाई 2025 — राजधानी पटना की सड़कों पर मंगलवार को उस वक्त तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब जन सुराज पार्टी द्वारा आयोजित विधानसभा मार्च के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हो गया। स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी जय प्रकाश सिंह भी पुलिस की लाठी का शिकार हो गए और उनके हाथ में गंभीर चोट आई। उनकी चोटिल अवस्था की तस्वीर — जिसमें वे मीडिया को पट्टी बंधा हुआ हाथ दिखा रहे हैं — सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है। वहीं यूट्यूबर मनीष कश्यप भी मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारे लगाते दिखे।
जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था जैसे जन मुद्दों को लेकर पटना में विधानसभा घेराव की योजना बनाई थी। सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में पार्टी समर्थक चितकोहरा गोलंबर के पास इकट्ठा होने लगे। पुलिस ने पहले से ही इलाके में बेरिकेटिंग कर रखी थी। लेकिन जब प्रदर्शनकारी आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे, तो टकराव शुरू हो गया। पुलिस ने पहले पानी की बौछार और फिर लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया।
इसी दौरान जन सुराज के वरिष्ठ सलाहकार और हिमाचल प्रदेश के पूर्व आईपीएस अधिकारी जय प्रकाश सिंह भी प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थे। वे प्रदर्शनकारियों के साथ आगे बढ़ रहे थे, तभी पुलिस के डंडे से उन्हें चोट लगी। उन्होंने मीडिया के समक्ष अपनी घायल बाँह को दिखाते हुए कहा,
"यह सिर्फ मेरे ऊपर लाठी नहीं थी, यह लोकतंत्र की आवाज़ पर प्रहार था।"
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई और सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा,
"जब एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को इस तरह मारा जा सकता है, तो आम कार्यकर्ता की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। क्या बिहार में अब शांतिपूर्ण आंदोलन की भी जगह नहीं बची?"
प्रशांत किशोर ने यह भी ऐलान किया कि आंदोलन अब और तेज़ होगा। पार्टी ने पुलिसिया हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है और कहा है कि घायल कार्यकर्ताओं के इलाज की पूरी जिम्मेदारी पार्टी उठाएगी।
प्रदर्शन के दौरान कई अन्य कार्यकर्ताओं को भी चोटें आई हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। उन्हें पीएमसीएच और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रदर्शनकारी महिलाओं और युवाओं ने भी पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है।
पटना पुलिस का कहना है कि धारा 144 लागू होने के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने जबरन विधानसभा की ओर कूच किया, जिससे कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।
यह घटना एक बार फिर राज्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक विरोध के अधिकार पर बहस को जन्म देती है। क्या शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी अब टकराव की चपेट में आ जाएगा?