दिव्यालय के तत्वावधान में जेठ की दुपहरी पर मनमोहक काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन!
जेठ की दोपहरी अप्रैल माह की मासिक काव्य गोष्ठी!
रिपोर्ट: मंजू बंसल
बेतिया (बिहार): दिव्यालय-प्रमुख पटल पर आधुनिक भौतिकवादी काल में संचार तंत्र के आभासी पटल पर शनिवार को अपराह्न तीन बजे से ग्रीष्म ऋतु के आगमन पर “जेठ की दोपहरी” शीर्षक पर हिंदी साहित्य जगत के बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी नरेंद्र वैष्णव 'सक्ति' की अध्यक्षता में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें पटल संस्थापिका व्यंजना आनंद 'मिथ्या' के साथ मुख्य अतिथि 'जगत दर्शन न्यूज' समाचार पत्र के संस्थापक, बहुमुखी प्रतिभा संपन्न, अनेक संस्थाओं के पदाधिकारी बिनय कुमार भारतीय के साथ पटल सचिव गजेंद्र हरिहरनो 'दीप' व पटल अध्यक्षा मंजरी निधि 'गुल' भी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ नरेंद्र वैष्णव सक्ति के हाथों दीप प्रज्वलन व रीता लोधा के अतुल शंख नाद से हुआ।।तत्पश्चात मनीषा बजाज ने अपनी सुमधुर वाणी में विद्यादायिनी सरस्वती माता की वंदना कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कार्यक्रम में रीता लोधा ने लाजवाब संचालन करते हुये काव्य गोष्ठी का आह्वान किया, जिसमें पटल के साधकों ने गर्मी के आतप से बचने के उपाय बताए व वृक्षारोपण के महत्व पर प्रकाश डाला। पायल अग्रवाल छनक, कविता झा काव्या, डॉ मधु रूंगटा, मनीषा अग्रवाल प्रज्ञा, रश्मि मोयदे दीप्ति , सुचिता रूंगटा साईं, ममता अग्रवाल स्नेह, निशा अतुल्य, सविता खंडेलवाल भानु व व्यंजना आनंद मिथ्या ने विभिन्न छंदों पर आधारित जेठ की दोपहरी का यथार्थ चित्रण किया। साथ ही लू व भीषण गर्मी से बचाव व खान-पान के विषय में बताया, साथ ही गर्मी के दिनों में आध्यात्मिक व प्राकृतिक उपायों से भी अवगत कराया।
मुख्य अतिथि बिनय कुमार भारतीय जी ने सभी साधकों व रचनाकारों को शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए दिव्यालय पटल की संस्थापक व्यंजना आनंद मिथ्या को साहित्य व छंदों के महासागर में साधकों के लिये महान उपलब्धि बताया। उन्होंने बताया कि साहित्य के उतरोतर विकास के लिये वे निरंतर प्रयत्नशील रहती हैं। गर्मी की तपिश भी एक तरह से प्राकृतिक आपदा ही है, जिसका हमें हर वर्ष सामना करना ही पड़ता है। अपने वक्तव्य में व्यंजना आनंद मिथ्या की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें ज्ञान दात्री व आध्यात्मिक व योगा गुरु बताया, जो निःस्वार्थ भाव से निःशुल्क लोगों का आयुर्वेदिक उपचार भी करती हैं। उन्होंने भी एक भिखारिन की दुर्दशा पर स्वरचित रचना भी सुनाई।
तदुपरांत अध्यक्ष नरेंद्र वैष्णव सक्ति जी ने भी हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए पटल के साधकों को छंद से परिचित करने का श्रेय व्यंजना आनंद मिथ्या को दिया। हो भी क्यों नहीं? दीदी ने ही न जाने कितने साधकों को काव्य लेखन को प्रेरित कर परिपक्व बनाया है। उनके अथक प्रयास व श्रम का ही परिणाम है कि आज सभी साधक छंदों से परिचित हो पाये हैं। उक्त काव्य गोष्ठी में सभी रचनाकारों की रचनाएं, लय, शब्दों के संयोजन, उत्कृष्ट काव्य पाठ, सभी विशिष्टताओं ने वातावरण को रसमय बना दिया।
दिव्यालय पटल की अध्यक्षा मंजरी निधि गुल ने कहा कि आज सभी का लाजवाब व छंदमय काव्य पठन सुनकर वो निःशब्द हो गईं। लगता है कि साधक उत्कृष्ट व उम्दा साहित्यकार बन रहे हैं। मंजरी जी ने भी व्यंजना आनंद मिथ्या की प्रशंसा करते हुए बताया कि इनके बारे में जितना कहा जाये, कम है। इनकी प्रेरणा से ही मंजरी ने लेखन क्षेत्र में कदम रखा। रीता लोधा व डॉ मधु रूंगटा ने लाजवाब व मनमोहक संचालन कर सबको भावविभोर कर दिया।
अंत में पटल सचिव गजेंद्र हरिहरनो दीप ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि दिव्यालय पटल पर हर साधक को नाज होता है कि वो श्रमसाध्य गुरुजनों के सान्निध्य में ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। गजेंद्र जी ने दिव्यालय पर स्वरचित रचना का पाठ करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की।