अनुराग
हुए मुदित मन कलियों के.. खिले हैं पुष्पों के पराग।
अर्णव विचि में नूतन स्पंदन.. अभिनव प्रकृति का आलिंगन।
छिड़ा है राग.. असीम स्नेह का.. पा कर अनंत प्रेममयी अनुराग।
साधक की अविचल साधना को मिली सत्य की अभिव्यक्ति -
आराधना के अनहद स्वरों को मिली प्रियतम की भक्ति।
भाव विभोर हुए जड़ चेतन के-पा कर प्रणेता की अनुरक्ति ।
आनंदित पल्लवित हैं पुलकित खिल उठे शांत शब्द नीरव के,
विक्षिप्त हृदयों के अंकुश छूटे,
पाकर स्पर्श अनुराग रव के।
तन्द्रा निद्रा भ्रम भय टूटे- पा कर अनंत प्रेममयी अनुराग।।
**********