डायरिया नियंत्रण अभियान को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों का किया गया क्षमता वर्धन!
• डायरिया को लेकर आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर करेंगी जागरूक!
• जिला स्तरीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
• फ्रंटलाइन वर्करों के प्रशिक्षण को बताया गया जरूरी
गोपालगंज (बिहार): जिले में डायरिया नियंत्रण अभियान को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता वर्धन किया गया। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें डायरिया नियंत्रण अभियान को लेकर आवश्यक जानकारी दी गयी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आशा के द्वारा घरों का भ्रमण कर 5 वर्ष तक के बच्चों वाले घरों में एक ओआरएस पैकेट एवं जिस घर में डायरिया हो उस घर को तीन ओआरएस का पैकेट उपलब्ध कराना है। ओआरएस बनाने की विधि भी बताई जाएगी। बैठक में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार चौधरी, डीसीएम सत्यम कुमार, यूनीसेफ की एसएमसी रूबी कुमारी, पिरामल फाउंडेशन के प्रतिनिधि, डाटा ऑपरेटर मितलेश कुमार सिंह सहित सभी एमओआईसी, बीसीएम, बीएमएंडई व अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे।
ओआरएस पैकेट का होगा वितरण:
डीआईओ डॉ. अशोक चौधरी ने बताया कि अभियान के दौरान ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट) के पैकेट निशुल्क बांटे जाएंगे और लोगों को इसे सही तरीके से घोलकर पिलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही बच्चों में डायरिया की अवधि और गंभीरता को कम करने के लिए जिंक सप्लीमेंट के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जाएगा। आमजन को खाना बनाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोने के महत्व के बारे में बताया जाएगा। सुरक्षित पेयजल के लिए पानी को उबालकर पीने या क्लोरीन की गोलियों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाएगी। गर्मी और बरसात के मौसम में दूषित पानी और भोजन के कारण डायरिया जैसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं। यह अभियान ऐसे समय में शुरू किया जा रहा है जब इन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डायरिया, विशेष रूप से छोटे बच्चों में, गंभीर निर्जलीकरण का कारण बन सकता है और यदि समय पर इलाज न मिले तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
मांझा प्रखंड में भी साप्ताहिक स्वास्थ्य समीक्षा बैठक:
वहीं मांझा प्रखंड में भी साप्ताहिक स्वास्थ्य समीक्षा बैठक एवं एएनएम साप्ताहिक बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रखंड चिकित्सा प्रभारी ने की। स्टॉप डायरिया अभियान के अंतर्गत फ्रंटलाइन वर्करों के क्षमता वर्धन प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया गया, ताकि छूटे व ड्रॉपआउट बच्चों को चिन्हित कर टीकाकरण से जोड़ा जा सके। AEFI रिपोर्टिंग (टीकाकरण के बाद संभावित प्रतिकूल प्रभाव) की सटीक जानकारी और रिपोर्टिंग प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया गया। डिजिटल माइक्रोप्लानिंग व आरसीएच रजिस्टरों के उपयोग पर विशेष जोर देते हुए डीडीएनजी रोल प्ले के जरिए प्रशिक्षण की कार्यशैली को स्पष्ट किया गया। RI दिवसों पर वैक्सीन व लॉजिस्टिक्स आपूर्ति, जैसे – वजन मशीन, बीपी मापी, AEFI किट आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। पेड मोबिलाइजर के भुगतान की स्थिति पर समीक्षा करते हुए समयबद्ध भुगतान की जरूरत पर बल दिया गया। एमआर-1, एमआर-2, जेई व टीडी टीकाकरण कवरेज को बेहतर करने की रणनीति बनाई गयी।