तीन महीने तक निजी चिकित्सकों से इलाज कराने के बाद जब बुखार ठीक नहीं हुआ तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से बसंतपुर सीएचसी में कराया इलाज़: कैलन महतो
घर के आसपास सहित गांव के लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोने के लिए देता हूं सलाह!
विभागीय स्तर पर प्रभावित गांवों में कालाजार के संदिग्ध मरीजों की खोज के साथ- साथ कीटनाशक एसपी का छिड़काव को लेकर अभियान जारी:
///जगत दर्शन न्यूज
सिवान (बिहार): कोई भी बीमारी सामान्य है तो चिंता की बात नहीं रहती है, लेकिन गंभीर बीमारियों में न केवल मरीज वरन उनके परिजन भी मानसिक और शारीरिक रूप से जूझने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसी ही कालाजार नामक एक बीमारी है। जिसका समय पर इलाज नहीं हुआ तो मरीज की मौत भी हो सकती है। वहीं जिन लाेगों का समय पर इलाज हो जाता है, वह इस बीमारी को मात दे देते हैं। इन्हीं कुछ मरीजों में से कुछ लोग कालाजार की गंभीरता को देखते हुए ठीक होकर लोगों को जागरूक करने में जुट जाते हैं। ताकि, भविष्य में दूसरों को इस बीमारी का प्रकोप न झेलना पड़े। इन्हीं कालाजार चैंपियन्स में से एक हैं जिले के भगवानपुर हाट प्रखंड अंतर्गत माघर गांव निवासी कैलन महतो उर्फ़ कल्याण महतो। हालांकि अब यह पूरी तरह से ऊबर चुके हैं। लेकिन अब घर परिवार सहित गांव के लोगों को किसी भी तरह की बीमारी का इलाज सरकारी अस्पताल में कराए जाने के लिए जागरूक करने का बीड़ा उठाएं है।
कैलन महतो उर्फ़ कल्याण महतो ने बताया कि दिसंबर 2024 से पहले हमको बुखार हुआ था। जिसका इलाज छपरा और मशरख के अलावा कई जगह निजी अस्पताल के चिकित्सकों से दिखाया लेकिन ठीक नहीं हो रहा था। लगभग तीन महीने तक इधर उधर भटकते रहे और चिकित्सकों की सलाह पर तरह तरह की जांच, अल्ट्रा साउंड और एक्सरे कराए लेकिन मेरा बुखार था कि कम होने का नाम नहीं ले रहा था। इसी बीच एक दिन गांव की आशा कार्यकर्ता मीना देवी से कहे कि बुखार में लगभग 25 से 30 हजार रुपए तक खर्च कर दिए हैं लेकिन ठीक नहीं हो रहा है। अब पैसे नहीं है कि अपना इलाज कराऊं। तब जाकर मीणा देवी के साथ बसंतपुर सीएचसी गया। वहीं पर जब जांच किया गया तो कालाजार की पुष्टि हुई। उसके बाद इलाज शुरू हुई। लेकिन अब पूरी तरह से ठीक हो गया हूं।
कालाजार चैंपियन कैलन महतो उर्फ़ कल्याण महतो ने कहा कि तालाब के पास घर होने के कारण मच्छरों का प्रकोप रहता है। लेकिन अब हमलोग मच्छरदानी लगाना कभी भी नहीं भूलते हैं। क्योंकि जब मुझे कालाजार बीमारी हुई थी तब ज़िला और प्रखंड स्तर के अधिकारी और पीरामल स्वास्थ्य लोग कई बार मेरे घर आकर मेरा हालचाल पूछ रहे थे। कालाजार बीमारी क्यों और कैसे होता है। इसकी जानकारी देते हुए बचाव को लेकर भी जागरूक किया करते हैं। हालांकि पहले जानकारी नहीं थी कि बालू मक्खी मच्छर के काटने से कालाजार बीमारी होती है। लेकिन अब जानकारी हो गई है तो अब दूसरे को भी मच्छरदानी लगाकर सोने के लिए सलाह देता हूं। ताकि बीमारी नहीं हो।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी के काटने से फैलता है। लेकिन इस बीमारी में समय से लक्षणों की पहचान बेहद जरूरी है। हालांकि 15 दिन या दो सप्ताह से अधिक समय तक बुखार का होना या भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों को भी जांच कराना अनिवार्य है। ताकि उन्हें पीकेडीएल के प्रभाव से बचाया जा सके। हालांकि, विभागीय स्तर पर प्रभावित गांवों में कालाजार के संदिग्ध रोगियों की खोज के साथ- साथ दवाओं का छिड़काव करने के लिए अभियान चलाया जाता है। ताकि कालाजार जैसी बीमारी को जड़ से मिटाया जा सके।