हावड़ा में ‘बदलते सामाजिक सरोकार और 21वीं सदी की कविता’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न!
विमलेश त्रिपाठी की कविता 'आदमी की बात' रही विमर्श का केंद्र!
///जगत दर्शन न्यूज
हावड़ा (पश्चिम बंगाल): भोजपुरी साहित्य विकास मंच और लालबाबा कॉलेज (हिंदी विभाग) के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था — ‘बदलते सामाजिक सरोकार और 21वीं सदी की कविता’, जिसमें चर्चित कवि डॉ. विमलेश त्रिपाठी की कविता संग्रह 'आदमी की बात' को विमर्श का केंद्र बनाया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. अरुण होता (विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, पश्चिम बंग राज्य विश्वविद्यालय) ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सुनील कुमार शर्मा (I.E.S.), डॉ. ललित झा, डॉ. विनय मिश्र, डॉ. संजय राय, डॉ. संजय कुमार जायसवाल, तथा स्वयं डॉ. विमलेश त्रिपाठी उपस्थित रहे।
भोजपुरी साहित्य विकास मंच के महासचिव प्रकाश प्रियांशु, उपाध्यक्ष विनोद यादव, महिला समिति की अध्यक्ष प्रिया श्रीवास्तव, साथ ही हिंदी विश्वविद्यालय की छात्राएँ अंजलि सिंह, दीपिका साव, रोशनी सिंह, रोहित पाठक सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
वक्ताओं ने ‘आदमी की बात’ संग्रह के बहाने बदलते सामाजिक सरोकारों, सत्ता, लोकतंत्र और आम आदमी के अंतर्विरोधों पर गंभीर चर्चा की।
डॉ. संजय राय ने कहा कि विमलेश की कविताएँ समय की गूंज हैं, जिन्हें व्यवस्था ही नहीं, जनमानस को भी सुनना होगा।
डॉ. विनय मिश्र ने विमलेश की कविता में लोकतंत्र, सत्ता और आम आदमी के त्रिकोण की चर्चा करते हुए संग्रह को विशेष रूप से प्रासंगिक बताया।
डॉ. सुनील शर्मा ने विमलेश की कविताओं में प्रेम, करुणा और एकांत की पीड़ा को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी कविताओं की धार की हिंदी जगत में उपेक्षा हुई है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. अरुण होता ने उन्हें समकालीन कविता का "सशक्त हस्ताक्षर" बताया।
विमलेश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में विनम्रता से कहा कि "मैं कवि नहीं हूं, कवि बनने की प्रक्रिया में हूं। यह यात्रा जारी है।"
हालांकि संगोष्ठी का बौद्धिक पक्ष अत्यंत समृद्ध और विचारोत्तेजक रहा, लेकिन व्यवस्थाओं को लेकर प्रतिभागियों में असंतोष स्पष्ट रूप से देखा गया। सूत्रों के अनुसार, मामूली जलपान की जो व्यवस्था थी, वह कॉलेज की बजाय भोजपुरी साहित्य विकास मंच की ओर से की गई थी।
कुल मिलाकर संगोष्ठी सफल रही, और अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संजय जायसवाल ने प्रस्तुत किया।