विश्व नर्स दिवस -
एएनएम फुलमनी ब्राउद ने अपनी सेवा को बनाया जीवन का उद्देश्य!
सेवा भावना के बग़ैर नर्स बनने का सपना अधूरा, क्योंकि मरीज की मुस्कान ही एएनएम की सच्ची कमाई: फुलमनी ब्राउद
सिवान (बिहार): स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक ओर जहां चिकित्सकों की भूमिका कई मायनों में अहम मानी जाती है, तो वहीं दूसरी तरफ नर्सें सेवा की रीढ़ होती हैं। जो विभिन्न प्रकार के मरीजों को सहारा देने का काम करती हैं। जिसको लेकर विश्व नर्स दिवस प्रत्येक वर्ष 12 मई को मनाया जाता है। जिले की एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) फुलमनी ब्राउद का जीवन समर्पण, सेवा और करुणा की मिसाल बन चुका है। वैसे तो फुलमनी ब्राउद बचपन से ही गरीब और पीड़ित लोगों की सेवा करने का सपना देखा करती थीं। जिस कारण उन्होंने नर्सिंग को महज पेशा नहीं, बल्कि ग़रीबों की सेवा को परम धर्म मानती है। शायद यही कारण है कि बचपन से ही रोगियों की सेवा में दिलचस्पी थी। 1989 में नर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद झारखंड की राजधानी रांची और खूंटी में रहकर असहाय और जरूरतमंदों की सेवा करनी शुरू की थी। हालांकि यह सिलसिला अनवरत चल रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बसंतपुर के प्रसव कक्ष में प्रतिनियुक्त फुलमनी का मानना है कि सेवा भावना के बग़ैर नर्स बनने का सपना अधूरा ही रहता है। क्योंकि उन्होंने कई बार विकट स्थितियों में रहने के बावजूद भी मरीजों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। चाहे किसी प्रसव पीड़िता की रात में देखभाल करनी हो या वैश्विक स्तर पर फैली महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान आपात स्थिति में प्रारंभिक रूप से इलाज़ करना हो, वह हर समय तत्पर रही हैं। उनके सहकर्मी भी उनकी कार्यशैली और संवेदनशीलता की तारीफ करते थकते नहीं हैं। क्योंकि उनका मानना है कि बीमार और लाचार लोगों की सेवा करना मेरे लिए पूजा के समान है। जब कोई मरीज मेरे हाथों ठीक होकर मुस्कुराता है, तो वही मेरी सबसे बड़ी कमाई होती है।
फुलमनी ब्राउद ने बताया कि बचपन में गांव में बहुत ही क़रीब से ग़रीबी को देखा और झेला है। उसी समय मन में बैठा लिया कि ग़रीबों की सेवा करने के उद्देश्य से नर्सिंग की पढ़ाई करूंगी। उसके बाद वर्ष 2002 में सिवान जिले के गोरेयाकोठी प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में योगदान करने के बाद भीट्ठी गांव के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मेरी तैनाती कर दी गई। लगभग 6 वर्षों तक ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की सेवा करने का सौभाग्य मिला। उसके बाद जून 2008 से लेकर अभी तक बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवाएं दे रही हूं। हालांकि अभी भी भीठी गांव की गर्भवती महिलाएं बसंतपुर सीएचसी आकर प्रसव कराती हैं। जिस कारण मैं जहां भी जाती हूं, लोग आदर से नाम लेते हैं। यही मेरी असली पहचान है।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन ने बताया कि लगभग 17 वर्षों से सीएचसी में अपनी सेवाएं दे रही हैं। लिहाज़ा स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन ने भी कई बार उनके कार्यों की सराहना की है। स्थानीय स्तर पर मातृ मृत्यु दर कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अपने घर परिवार और सुख- दुख भुलाकर मरीजों की सेवा में लगी रहती हैं। फुलमनी ब्राउद जैसी नर्स समाज के लिए प्रेरणा हैं, जो सेवा, समर्पण और संवेदनशीलता से न केवल पेशे की गरिमा बढ़ाई है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम साबित हुई है। अपनी बेहतर उपचार और व्यवहार के कारण अपनों के बीच गुरु के नाम से जानी जाती है। क्योंकि किसी भी तरह की जटिलताओं को बेहतर तरीके से संस्थागत प्रसव कराने में मदद करती है। जब कोई महिला फुलमनी के हाथों संस्थागत प्रसव कराने के बाद घर लौटती है, दुआएं देते हुए इसकी लंबी उम्र की कामना करती है।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि नर्स दिवस पर फुलमनी जैसे कर्मवीरों को सलाम, जो अपने निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर समाज के लिए कार्य करती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की नींव में जो सबसे मजबूत ईंट होती है, वह एक संवेदनशील नर्स ही होती है। इसके लिए अमानत और अमानत ज्योति जैसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त करना बेहद जरूरी होता है। प्रसव पीड़ा से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की देखभाल करना केवल नौकरी नहीं, बल्कि आत्मा की तृप्ति होती है। आज जब हम लोग नर्स दिवस मना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि हम उन नर्सों को भी याद करें जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी में मरीजों के दर्द को अपना समझकर उनकी सेवा करती हैं। फुलमनी ब्राउद की कहानी बताती है कि नर्सिंग केवल एक पेशा नहीं, बल्कि यह एक जीवन दर्शन है। नर्सों के द्वारा गहन देखभाल, सर्जरी, मातृत्व देखभाल, बाह्य रोगी सेवाएं और सामुदायिक स्वास्थ्य को बेहद नज़दीक से देखते हुए अनेक प्रकार की भूमिकाओं का निर्वहन करती है। हमारी नर्सें, हमारा भविष्य, नर्सों की देखभाल से अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। जैसे महत्वपूर्ण थीम के तहत अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जा रहा है।