
आतंकवाद विरोध के राजनीतिक आंदोलन से ज्यादा सामाजिक आंदोलन को तेज करने की जरूरत!
आतंकवाद विरोध दिवस 21 मई पर विशेष
✍️डॉ नन्दकिशोर साह
भारत में 21 मई आतंकवाद विरोध दिवस को मनाया जाता है, एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब हम आतंकवाद के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके खिलाफ एकजुट होने का प्रयास करते हैं। इस दिन का उद्देश्य आतंकवाद के प्रति लोगों को जागरूक करना और इसके प्रभावों को समझने के लिए प्रोत्साहित करना है।
आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, जो दुनिया भर में लोगों को प्रभावित करती है। यह एक ऐसी समस्या है, जो न केवल व्यक्तियों को बल्कि समाजों और देशों को भी प्रभावित करती है। आतंकवाद के कारण लोगों की जान जाती है, संपत्ति का नुकसान होता है, और समाज में भय और अविश्वास का माहौल बनता है।
हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम के पास बैसरन घाटी में एक आतंकवादी हमला हुआ। इस हमले में 26 पर्यटकों की जान गई और लगभग 20 से अधिक लोग घायल हुए। हमलावरों ने हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया और उन्हें गोली मारी। हालांकि भारतीय सेना के जवानों ने ऑपरेशन सिंदूर चला कर आतंकियों को कठोर सबक सिखाया। कोई भी धर्म इंसानी खून गिरने की इजाजत नहीं देता है। इंसानी खून गिरने वाला सभी आतंकी है। अधर्मी है। किसी ने ठीक ही कहा है कि तृतीय विश्व युद्ध के बारे में नहीं कह सकते किंतु चौथा विश्व युद्ध फिर आदिमानव की तरह लाठी- भाला, पत्थर से होगा। क्योंकि आज दुनिया बारूद की ढेर पर बैठी है।
आतंकवाद के कई जटिल और बहुस्तरीय कारण हैं। राजनीतिक और आर्थिक असंतोष बहुत बड़ा कारण है। जब लोगों को लगता है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है या उनके अधिकारों का हनन हो रहा है, तो वे आतंकवाद की ओर मुड़ सकते हैं। जब धार्मिक या सांस्कृतिक मान्यताओं को कट्टरता से जोड़ा जाता है, तो यह आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है। जब लोगों को शिक्षा और जागरूकता की कमी होती है, तो वे आतंकवाद के प्रभावों को नहीं समझ पाते हैं।
आतंकवाद के प्रभाव व्यापक और गहरे होते हैं। इसके कारण लोगों की जान जाती है, जो एक अपूरणीय क्षति है। आतंकवाद के कारण समाज में भय और अविश्वास का माहौल बनता है, जो आर्थिक और सामाजिक अस्थिरता को बढ़ावा देता है। आतंकवाद के कारण देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें आतंकवाद के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके प्रभावों को समझने के लिए काम करना चाहिए। हमें आतंकवाद के कारणों को समझने और उन्हें दूर करने के लिए काम करना चाहिए।
आतंकवाद के खिलाफ रणनीतियों में शामिल हैं। सुरक्षाबलों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित करना चाहिए। लोगों को आतंकवाद के प्रति जागरूक करने और इसके प्रभावों को समझने के लिए काम करना चाहिए। शिक्षा और विकास के माध्यम से लोगों को आतंकवाद के प्रति जागरूक करने और इसके प्रभावों को कम करने के लिए काम करना चाहिए।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने से सुरक्षा बढ़ सकती है और लोगों की जान बचाई जा सकती है। आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने से सामाजिक स्थिरता बढ़ सकती है और समाज में भय और अविश्वास का माहौल कम हो सकता है। आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने से वैश्विक शांति और सुरक्षा बढ़ सकती है।
आतंकवाद विरोध दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब हम आतंकवाद के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके खिलाफ एकजुट होने का प्रयास करते हैं। हमें आतंकवाद के कारणों को समझने और उन्हें दूर करने के लिए काम करना चाहिए। हमें आतंकवाद के प्रभावों को समझने और इसके खिलाफ एकजुट होने के लिए काम करना चाहिए। तभी हम आतंकवाद के खतरों को कम कर सकते हैं और एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण दुनिया बना सकते हैं। हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों और इसके खतरों को कम करने के लिए काम करें।
सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकी व्यापार करने के बहाने गांव या शहर के आसपास चरवाहों से संपर्क कर जानकारी प्राप्त करते हैं।किराए पर रहने के लिए घर मांगते है। इसके बदले में मोटी रकम देते है। आतंक पर रोक लगाने के लिए राजनीतिक आंदोलन से ज्यादा सामाजिक आंदोलन को तेज करने की जरूरत है। संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना पुलिस को तत्काल देनी चाहिए। किरायेदारों से निश्चित रूप से उनके आधार कार्ड एवं जरूरी कागजात सत्यापन करके ही मकान किराए पर देना चाहिए। उनके गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।