विगत 2022 से अभी तक 234 कालाजार के मरीजों की सूची को किया गया सूचीबद्ध!
पीरामल स्वास्थ्य के सहयोग से विभागीय अधिकारियों द्वारा कालाजार उन्मूलन को लेकर समीक्षात्मक बैठक आयोजित:
डब्ल्यूएचओ की टीम का भ्रमण होने की प्रबल संभावना, विभागीय स्तर सभी प्रकार की तैयारियां पूरी: डॉ ओपी लाल
सिवान, 21 मई 2025
कालाजार जैसी घातक बीमारी के प्रसार को रोकना और भारत को इससे मुक्त करना कालाजार उन्मूलन अभियान का मुख्य उद्देश्य है। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी माध्यमों से सहयोग करने वाली पीरामल स्वास्थ्य के कार्यालय स्थित सभागार में आयोजित समीक्षात्मक बैठक के दौरान कही। इन्होंने यह भी कहा कि कालाजार बीमारी (सैंड फ्लाई) बालू मक्खियों के काटने से फैलता है, जिस कारण असमय मृत्यु का कारण भी बन सकता है। हालांकि इसके उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकार आपसी समन्वय स्थापित कर संयुक्त रूप से दवाओं की उपलब्धता, रोग की समय पर पहचान और मक्खियों की रोकथाम पर जोर दे रही हैं। क्योंकि वर्ष 2027 तक भारत से कालाजार को पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता अभियान, निगरानी और इलाज की बेहतर व्यवस्था से इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा हैं। समय समय पर भारत सरकार, राज्य सरकार के अलावा डब्ल्यूएचओ और पीरामल स्वास्थ्य की केंद्रीय और राज्य स्तरीय टीम द्वारा निरीक्षण किया जाता है। हालांकि जल्द ही डब्ल्यू एच ओ की टीम जिले के कई प्रखंडों का निरीक्षण करने के लिए आने वाली है। जिसको लेकर विभागीय स्तर सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार जैसी बीमारी को जिला ही नहीं बल्कि राज्य और पूरे देश से विभागीय स्तर पर जड़ से मिटाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि सिवान जिले की बात करें तो पहले और वर्तमान समय में कालाजार उन्मूलन अभियान लगभग अंतिम चरण में है। क्योंकि अब धीरे धीरे इस बीमारी का सफाया किया जा चुका हैं। वर्ष 2022 में 108 कालाजार मरीजों की पहचान हुई थी। जिसमें विसरल लिशमैनियासिस (वीएल) के 57 जबकि पोस्ट कालाजार डरमल लिशमैनियासिस (पीकेडीएल) के 20 मरीज शामिल है। इसी तरह वर्ष 2023 में 64 जिसमें वीएल के 44 जबकि पीकेडीएल के 20, जबकि वर्ष 2024 में 50 मरीजों की शिनाख्त हुई हैं। जिसमें वीएल के 36 जबकि पीकेडीएल के 14 मरीजों का इलाज किया गया था। वहीं वर्ष 2025 की बात करें तो अभी तक मात्र 12 मरीजों में वीएल के 09 जबकि पीकेडीएल के 03 रोगियों की जांच के बाद उपचार किया गया है।
संक्रमण रोग विभाग के जिला प्रतिनिधि राजेश कुमार तिवारी ने कहा कि संक्रमण रोग विभाग के कार्यक्रम प्रमुख सोनू कुमार सिंह भगवानपुर हाट, गोरेयाकोठी, महाराजगंज, दारौंदा और लकड़ी नबीगंज जबकि अमितेश कुमार मैरवा, गुठनी, नौतन, जिरादेई और दरौली इसी तरह पूर्णिमा सिंह आंदर, बड़हरिया, हुसैनगंज, रघुनाथपुर और सिवान सदर प्रखंड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कालाजार से पीड़ित मरीजों को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में प्रति व्यक्ति 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से जबकि केंद्र सरकार के द्वारा 500 रुपए यानी 71 सौ रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाता है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि यह राशि वीएल (रक्त से संबंधित) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।
पिछले तीन वर्षों में 234 कालाजार के मरीजों की सूची को वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक (वीबीडीएस) जावेद मियांदाद को भगवानपुर हाट, हसनपुरा और सदर पीएचसी, प्रदीप ओझा को आंदर और जिरादेई, ब्यूटी दास को मैरवा और गुठनी जबकि आरती दास को बसंतपुर और लकड़ी नबीगंज, इसी तरह प्रखंड स्वास्थ्य निरीक्षक (बीएचआई)
स्मृति रंजन को बड़हरिया और पचरुखी, आदर्श श्रीवास्तव को नौतन और दरौली जबकि प्रखंड स्वास्थ्य कार्यकर्ता (बीएचडब्ल्यू) संजय कुमार श्रीवास्तव को गोरेयाकोठी प्रखंड में सूचीबद्ध किया गया है। इस अवसर पर वीडसीओ विकास कुमार और कुंदन कुमार, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।