अटल घाट की सच्चाई: श्रद्धालुओं को सिर्फ तीन महीने मिलेगा स्नान का अवसर?
नमामि गंगे के अटल घाट पर उठे सवाल, श्रद्धालु बोले – ये तो प्रशासन का सिरदर्द है!
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज कुमार सिंह: क्या डोरीगंज के बंगाली बाबा घाट की तरह माँझी के अटल घाट पर भी श्रद्धालु महज तीन महीने सिर्फ बाढ़ के दिनों में ही कर सकेंगे नदी स्नान तथा बाकी के नौ महीने प्रशासन के लिए अटल घाट बनेगा सिरदर्द। प्रशासन को नियुक्त करने होंगे पुलिस बल व दंडाधिकारी तथा घाट की घेराबंदी करके श्रद्धालुओं को खतरनाक घाट की देनी पड़ेगी जानकारी। केन्द्र सरकार के नमामि गंगे परियोजना के तहत माँझी के रामघाट पर लगभग साढ़े दस करोड़ की लागत से बन रहे अटल घाट को लेकर लोगों में इस बात को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
मिली जानकारी के मुताबिक केन्द्र की सरकार द्वारा संवेदक को 15 मई 2025 तक अटल घाट के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अटल घाट के निर्माण की गति को देखकर फिलहाल तय समय सीमा में इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाना असम्भव एवम नामुमकिन दिख रहा है। बता दें कि सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल ने भी संवेदक को 15 मई 2025 तक अटल घाट के निर्माण कार्य को पूरा कर लिए जाने का स्पष्ट अल्टीमेटम दिया था। कार्यारम्भ के दौरान स्थानीय लोगों के मन में यह आशा और उम्मीद जगी थी कि अटल घाट के निर्माण कार्य को पूरा कर लिए जाने के बाद पर्व त्योहार अथवा नहान के मौके पर एक साथ हजारों श्रद्धालु अटल घाट पर पहुँचकर सरयु नदी में सहज ढंग से स्नान कर सकेंगे।
इधर अटल घाट के निर्माण का स्वरूप देख कर अब श्रद्धालुओं का भरोसा टूटता दिख रहा है। लोगों का कहना है कि नदी की गहराई तक पक्कीकरण।ढलाई। का कार्य नही किये जाने के कारण डोरीगंज के बंगाली बाबा घाट की तरह ही अटल घाट पर भी श्रद्धालु महज तीन महीने ही नदी स्नान का लाभ उठा पाएंगे,शेष नौ महीने तक यह घाट भी सूखा एवम वीरान पड़ा रहेगा। साथ हीं बाढ़ के दिनों में नदी की तेज धारा घाट के दोनों सिरे पर बने दीवाल से टकराकर सीढ़ियों पर खर पतवार एवम मिट्टी जमा कर देगी तथा सालों भर घाट की सीढ़ियों पर गंदगी का अंबार लगा ही रहेगा। इधर अटल घाट के निर्माण में हो रही देरी के बाद उक्त घाट पर पर्व त्योहार के मौकों पर होने वाले स्नान के साथ साथ आगामी कार्तिक महीने में छठ पर्व तक भी घाट के निर्माण को लेकर श्रद्धालु बेहद सशंकित हैं। श्रद्धालुओं में इस बात को लेकर भी संशय बना हुआ है कि अटल घाट का निर्माण जिस स्वरूप में हो रहा है उस रास्ते लोगों का नदी तक पहुंचना बेहद दुर्गम एवम मुश्किल होगा।
स्थानीय लोगों ने बताया कि फिलहाल अटल घाट के निचले पायदान से लगभग दस फुट नीचे नदी की तेज धारा बह रही है जिसपर से नीचे पानी में उतर पाना श्रद्धालुओं के लिए न सिर्फ मुश्किल बल्कि नामुमकिन है। इसके अलावा घाट से सटे नीचे नदी की गहराई लगभग बीस से पच्चीस फुट की है जिसमें उतरना खतरों से खेलने जैसा है। कुल मिलाकर वर्तमान स्वरूप का अटल घाट महज तीन महीने ही श्रद्धालुओं के स्नान हेतु उपयुक्त हो सकता है। बाकी के नौ महीने प्रशासन के लिए सुरक्षा की दृष्टि से सिरदर्द ही साबित होगा। श्रद्धालुओं के संशय के सम्बंध में पूछे जाने पर संवेदक अजीत सिंह के बताया कि परियोजना के पूर्ण होने की कोई समय सीमा तय नही की गई है। बावजूद इसके बाढ़ व बरसात से पहले निर्माण कार्य पूरा कर लिए जाने की संभावना है। उन्होंने बताया कि वर्तमान स्वरूप के अलावा नदी के नीचे तल तक सीढ़ी अथवा ढलाई कराने का अबतक विभाग द्वारा उन्हें कोई निर्देश प्राप्त नही हुआ है।