“दैनिक जीवन में योग” पर विमर्श एवं कश्मीर सानिध्य की स्मृतियों का पुनर्जागरण!
बिलासपुर/प्रेरणा बुड़ाकोटी: विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की बिलासपुर शाखा द्वारा छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के भव्य ऑडिटोरियम में एक प्रेरणादायी विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका विषय था – “दैनिक जीवन में योग”। यह आयोजन न केवल योग, संस्कृति और सेवा के समन्वय का सजीव उदाहरण बना, बल्कि आध्यात्मिक स्मृतियों और आत्मचिंतन की भावभूमि भी रच गया।
योग का साधन नहीं, जीवन शैली है – श्री हनुमंत राव
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता श्री हनुमंत राव जी, अखिल भारतीय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, ने योग के गूढ़ आयामों को सहज भाषा में प्रस्तुत किया। उन्होंने योग को केवल शारीरिक अभ्यास न मानकर जीवन का कर्मपथ बताया। उन्होंने कहा,
“निअहंकार रहित, निषंग भाव से किया गया कर्म ही कर्मयोग बन जाता है। यदि हम कुछ विशेष नहीं कर सकते, तो धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों से जुड़कर तन और मन को जोड़ें – यह स्वयं में एक योग है। इससे सतगुण, सत्विचार और चेतना का उदय होता है।”
योग: अनुशासन और शांति का आधार – रजनेश सिंह
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री रजनेश सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर ने अपने संबोधन में योग को अनुशासन, संयम और मानसिक संतुलन का मूल स्रोत बताया। उन्होंने युवाओं को आह्वान किया कि वे तनाव और अशांति से जूझते समय योग को अपना हथियार बनाएं।
भारतीय दृष्टि में योग का स्थान – प्रतीक शर्मा
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रतीक शर्मा ने योग को भारतीय जीवन-दर्शन का आधार बताया। उन्होंने कहा कि “योग केवल क्रियात्मक अभ्यास नहीं, बल्कि अपने भीतर लौटने की प्रक्रिया है।”
ग्रामीण भारत में योग की उपयोगिता – घनश्याम तिवारी
विशिष्ट अतिथि श्री घनश्याम तिवारी, प्रदेश संयोजक, पैक्स प्रकोष्ठ, सहकार भारती, छत्तीसगढ़ ने ग्रामीण भारत में योग और अध्यात्म की बढ़ती स्वीकृति पर जोर दिया। उन्होंने इसे सामाजिक सामंजस्य और जीवन गुणवत्ता सुधारने का प्रभावशाली माध्यम बताया।
सहभागिता और संवाद
इस अवसर पर बिलासपुर के नागरिकों, युवाओं, विद्यार्थियों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की भारी भागीदारी रही। चर्चा में भाग लेने वालों ने योग के आत्मिक, मानसिक और सामाजिक पहलुओं पर विचार रखे और इसे दैनिक जीवन में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कश्मीर की स्मृतियों का पुनर्जागरण
इस आयोजन को मेरे लिए विशेष बनाता है 2018 में कश्मीर के अन्नतनाग जिले स्थित नागदंडी में विवेकानंद केंद्र द्वारा आयोजित दस दिवसीय सानिध्य शिविर की यादें, जिसमें मैंने श्री हनुमंत राव जी के सान्निध्य में गहन आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किए थे। उनका वही स्नेहिल मार्गदर्शन इस बार फिर से जीवंत हो उठा और पुनः एक नयी ऊर्जा, नयी दृष्टि और आत्मविकास की प्रेरणा लेकर लौटा।
यह आयोजन केवल एक विमर्श या औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा, सांस्कृतिक चेतना और स्व-अनुशासन की ओर एक प्रेरक कदम था।
योग, जब जीवन शैली बनता है, तब वह केवल शरीर नहीं, आत्मा को भी स्वस्थ करता है। इस सार्थक आयोजन ने यह संदेश गहराई से स्थापित किया।