पोषण पखवाड़ा के तहत पोषण मेला में मोटे अनाज से तैयार विभिन्न स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजनों की लगी प्रदर्शनी!
• उत्कृष्ट कार्य करने वाली सीडीपीओ-सेविकाओं को किया गया सम्मानित
सुपोषित समाज के परिकल्पना को साकार करने की दिशा में करें कार्य: डीपीओ
सारण (बिहार): पोषण पखवाड़ा के समापन के अवसर भिखारी ठाकुर प्रेक्षा गृह में आईसीडीएस विभाग के द्वारा जिला स्तरीय पोषण मेला सह रेसिपी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान पोष्टीक व्यंजन का प्रदर्शनी लगाकर पोषण के बारे में जानकारी दी गई । डीपीओ कुमारी अनुपमा ने सबसे पहले प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस मौके पर डीपीओ कुमारी अनुपमा ने कहा कि कुपोषण से बचने के लिए मोटे अनाज को दैनिक भोजन का अभिन्न बनाएं ताकि हम पूरी तरह से स्वस्थ्य रह सकें। उन्होंने बाजरा, मड़ुआ, सावां, कोदो, चना और जौ जैसे मोटे अनाजों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और आयरन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह भी कहा कि मोटे अनाजों का नियमित सेवन से शरीर को असाध्य बीमारियों से बचाव होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। हर बच्चे को जीवन की स्वस्थ शुरुआत का हक है, हर माँ को उचित पोषण का अधिकार है और हर परिवार को भी पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए। इस मौके पर डीपीओ कुमारी अनुपमा, राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक सिद्धार्थ सिंह, डीपीए अरविन्द कुमार, निभा कुमारी, पीरामल से दिलीप मिश्रा, पियूष कुमार, अभिमन्यु कुमार, सीफार से गनपत आर्यन, नगरा सीडीपीओ नीतू सिंह सहित सभी प्रखंडो के सीडीपीओ, एलएस, बीसी, सेविकाएं मौजूद थी।
उत्कृष्ट कार्य करने वाली सीडीपीओ-सेविकाओं को किया गया सम्मानित
इस मौके पर डीपीओ कुमारी अनुपमा के द्वारा पोषण पखवाड़ा दौरान उत्कृष्ट कार्य करने , पोषण ट्रैकर, एफआरएस, ई-केवासी सहित अन्य कार्यों में उत्कृष्ट योगदान के लिए मोमेंटो और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान नगरा सीडीपीओ, छपरा सदर सीडीपीओ, छपरा ग्रामीण सीडीपीओ, अमनौर सीडीपीओ, महिला सुपरवाइजरों, सेविकाओं, प्रखंड समन्वयकों तथा डेवेलपमेंट पार्टनर के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया।
पोषण के प्रति लिया गया संकल्प
समारोह के अंत में उपस्थित सभी अधिकारियों, सेविकाओं, प्रतिभागियों एवं दर्शकों को "कुपोषण मुक्त समाज" की परिकल्पना को साकार करने के लिए शपथ दिलाई गई। डीपीओ अनुपमा ने उपस्थित लोगों से अपील की कि वे समाज के हर तबके में पोषण के प्रति जागरूकता फैलाएं और हर मौसम में संतुलित आहार लेने की आदत अपनाएं। कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि मौसम के अनुसार आहार का चयन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। गर्मियों में ताजे फल, तरबूज, खीरा, सत्तू, छाछ, नींबू पानी आदि का सेवन करना चाहिए, वहीं सर्दियों में साग-सब्जियों, गाजर, मूली, हरी पत्तेदार सब्जियों और सूखे मेवों का सेवन शरीर को ऊर्जा देता है।
गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण का महत्व:
राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि कल्पना कीजिए कि एक माँ, जो गर्भवती है, अपने बच्चे को जीवन में सबसे अच्छी शुरुआत देने के लिए उत्सुक है। इस दौरान वह जो खाना खाती है, स्वास्थ्य से जुड़ी जो सेवाएं उसे मिलती है, और इन अहम शुरुआती महीनों में उसे जो सलाह मिलती है, वह न केवल उसके बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य को आकार देता है, बल्कि उसके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी आकार देता है। पहले 1,000 दिन - गर्भाधान से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक - शारीरिक विकास और मस्तिष्क के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान, एक बच्चे का शरीर और दिमाग अविश्वसनीय गति से बढ़ता है, जो उसके भविष्य के सीखने, प्रतिरक्षा और समग्र स्वास्थ्य की नींव रखता है। इस पूरे वक्त में अच्छा पोषण, प्यार, देखभाल और शुरुआती सीखने के अनुभव, उन्हें एक स्वस्थ, स्मार्ट और खुशहाल व्यक्ति बनने में मदद कर सकते हैं।