"टीबी उन्मूलन अभियान में जुटे सिवान के स्वास्थ्यकर्मी"
सरकार की ओर से दवा के साथ मिलता है आर्थिक सहयोग: एमओआईसी
जनवरी 2024 मार्च 2025 तक 186 रोगियों की हुई पहचान: एसटीएस
सिवान (बिहार): राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत भारत को टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के अलावा कई अन्य सहयोगी संस्थाओं के द्वारा हर संभव प्रयास किया जाता है कि जल्द से जल्द जिला सहित राज्य और देश से यक्ष्मा का उन्मूलन किया जा सके। इस संबंध में सिवान जिले के सिसवन प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एस एम समउद्दीन आजाद ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री ने देश सहित राज्य और जिले को टीबी रोग से मुक्त करने का संकल्प लिया है। वहीं शत प्रतिशत सफ़लता को लेकर निश्चय पोर्टल के माध्यम से रोगियों से संबंधित सभी तरह का डेटा अपलोड किया जाता है। इसके साथ ही निःशुल्क उचित परामर्श और जांच प्रतिवेदन के आधार पर दवा दी जाती है। साथ ही उन्हें सरकार की ओर से आर्थिक मदद भी दी जा रही है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में महीने के प्रत्येक 16 तारीख को निश्चय मेला का आयोजन कर वृहद रूप से पोषक क्षेत्रों के निवासियों की टीबी से संबंधित ट्रनाट और माइक्रो स्कॉपिक से जांच की जाती है। अगर जांच में टीबी रोग के लक्षण पाएं जाते हैं, तभी इसका इलाज शुरू किया जाता है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) सिसवन के वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक (एसटीएस) राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि जनवरी से दिसंबर 2024 तक 148 यक्ष्मा रोगियों की शिनाख्त हुई थी। जिसका उपचार करने के बाद अब सभी लोग पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। वहीं इस वर्ष जनवरी 2025 में 13, फरवरी में 13 जबकि मार्च में 12 टीबी मरीजों की पहचान हुई है। जिनका इलाज सुचारू रूप से चल रहा है। वहीं निश्चय पोषण योजना के अंतर्गत एक हज़ार रुपए टीबी के मरीजों को उचित खुराक उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से दी जाती है। दवा खाने समय तक यानी छः महीने तक निक्षय मित्र के द्वारा पौष्टिक आहार के रूप में फूड पैकेट दी जाती है। स्थानीय स्तर पर फिलहाल 04 मरीजों को गोद लिया गया है। जिनको प्रत्येक महीने फूड बास्केट वितरण किया जाता हैं।
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता का दिशा - निर्देश और सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद के मार्गदर्शन में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक (बीएचएम), प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम), वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक (एसटीएस), वरिष्ठ क्षय रोग प्रयोगशाला पर्यवेक्षक (एसटीएलएस), एचडब्ल्यूसी के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी टीबी उन्मूलन अभियान में नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए स्थानीय स्तर पर कार्यों को बखूबी निभा रहे है। क्योंकि टीबी मुक्त कार्यक्रम के तहत टीबी मरीजों को लंबे समय तक दवा खानी पड़ती है। हालांकि दवा लेने के दौरान बीच में मरीज को थोड़ी परेशानी भी होती है। लेकिन मरीजों को बीच में दवा को किसी भी हाल में छोड़ना नहीं है। अगर दवा बीच में छोड़ दी जाए तो यह खतरनाक साबित हो सकती है। इसके लिए देश को टीबी मुक्त करने के लिए हमलोगों को सतत प्रयास करना होगा।