चमकी बुखार:
समुचित स्वास्थ्य प्रबंधन को लेकर एंबुलेंस ईएमटी को किया गया प्रशिक्षित!
आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के अलावा की गई एंबुलेंस की टैगिंग: सिविल सर्जन
बुखार के साथ झटके आना, बेहोशी, शरीर में ऐंठन या सुस्ती आए तो हो जाए सतर्क: डॉ ओपी लाल
सिवान (बिहार): चमकी बुखार यानी एईएस के बढ़ते खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया है। लेकिन समय पर प्रभावी प्रबंधन के लिए एंबुलेंस सेवा 102 से जुड़े इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियनों (ईएमटी) को विशेष रूप से प्रशिक्षक सह सदर अस्पताल स्थित विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाइ (एसएनसीयू) में कार्यरत जी एन एम कुमारी अर्चना और महिला वार्ड में कार्यरत जी एन एम शोभा कुमारी और जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह के द्वारा संयुक्त रूप से लगभग 50 ईएमटी को चमकी बुखार के लक्षणों की पहचान, प्राथमिक उपचार और समय पर अस्पताल रेफर करने की प्रक्रिया से संबंधित प्रशिक्षित किया गया। सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि चमकी बुखार और जेई से निपटने को लेकर जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता के दिशा निर्देश में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। क्योंकि सदर अस्पताल परिसर में विगत दिनों बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई (पीकू) वार्ड का उद्घाटन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय के द्वारा किया गया है। जहां पर 10 बेड को तैयार किया गया है। जबकि अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज में 5 बेड वहीं रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो - दो बेड तैयार कर चमकी बुखार से निबटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम मुस्तैद है। क्योंकि इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही एंबुलेंस की टैगिंग भी कर ली गयी है। शिशु रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा पदाधिकारियों को संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज के लिए आने वाले बच्चों का बेहतर तरीके से उपचार करने को लेकर आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है।
इस संबंध में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि हर साल गर्मी के मौसम में एईएस के मामले बढ़ जाते हैं। खास कर उत्तर बिहार के कई ज़िले यथा- मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, सिवान, सारण, गोपालगंज, मधुबनी और दरभंगा में यह बीमारी ज्यादा देखी जाती है। लेकिन इस बीमारी को रोकने और समय पर स्वास्थ्य संस्थान पहुंचाने में ईएमटी कर्मचारियों की भूमिका बेहद अहम होती है, क्योंकि यही लोग मरीज के संपर्क में सबसे पहले आते हैं। यदि उस समय इन लोगों द्वारा सही कदम उठाया जाए तो मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है। विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण के दौरान ईएमटी कर्मियों को बताया गया कि बुखार के साथ झटके आना, बेहोशी, शरीर में ऐंठन या सुस्ती जैसे लक्षण दिखाई दें तो यह चमकी बुखार हो सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज को ठंडी जगह पर रखा जाए, शरीर का तापमान नियंत्रित करने के उपाय किए जाएं और जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल ले जाया जाए। इसके साथ ही, प्रशिक्षण में उन्हें जरूरी दवाइयों और उपकरणों के उपयोग की भी जानकारी दी गई।
वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी (वीडीसीओ) विकास कुमार ने बताया कि बदलते मौसम में चमकी बुखार को समय पर पहचान और समुचित इलाज को लेकर जेन प्लस के सहयोग से सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल और विभागीय अधिकारियों सहित सदर अस्पताल की दो जीएनएम के द्वारा ईएमटी कर्मियों को किसी भी आपात स्थिति में पीड़ित बच्चों को त्वरित और समुचित प्राथमिक उपचार दिलाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ताकि समय रहते पीड़ित बच्चे की जान बचाई जा सके। वहीं प्रशिक्षकों द्वारा दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के पहले दिन उपस्थित ईएमटी को बताया गया कि एईएस के मामलों में प्रत्येक मिनट बेहद कीमती होता है, इसलिए लक्षण पहचानते ही पीड़ित बच्चे को बगैर समय गंवाए सरकारी अस्पताल पहुंचाना जरूरी होता है। इस अवसर पर डीवीबीडीसीओ डॉ ओपी लाल, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, वीडीसीओ विकास कुमार, मुख्य प्रशिक्षिका जीएनएम कुमारी अर्चना और शोभा कुमारी, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।