सहकारिता की रोशनी 3010 गांवों तक पहुँची: छत्तीसगढ़ में 532 नई PACS समितियाँ स्थापित, सहकार भारती ने जताया आभार!
रायपुर, छत्तीसगढ़/प्रेरणा बुड़ाकोटी: छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए प्रदेश के सभी संभागों में कुल 532 नई प्राथमिक कृषि साख समितियाँ (PACS) स्थापित की हैं। इस महत्त्वपूर्ण कदम से राज्य के 3010 गांव सीधे सहकारी सेवाओं से जुड़ पाएंगे। इन सेवाओं में कृषि ऋण, खाद-बीज वितरण, दवा सुविधा, फसल विक्रय एवं अन्य लाभकारी योजनाएं शामिल हैं, जो अब ग्रामीण अंचलों में ही उपलब्ध होंगी।
रायपुर संभाग में तेजी से हो रहा सहकारिता का विस्तार
रायपुर जिले में 23 समितियों के माध्यम से 59 गाँवों को जोड़ा गया है, वहीं गरियाबंद में 12 समितियाँ 72 गाँवों को सेवा प्रदान करेंगी। धमतरी में 21 समितियाँ 166 गाँवों तक पहुँचीं, जबकि बलौदा बाजार में 42 समितियाँ 184 गाँवों को और महासमुंद में 32 समितियाँ 142 गाँवों तक लाभ पहुँचा रही हैं।
दुर्ग संभाग बना सहकारिता का सशक्त मॉडल
दुर्ग जिले में 31 समितियाँ 89 गाँवों में सक्रिय हैं। बालोद जिले में 24 समितियाँ 95 गाँवों, बेमेतरा में 38 समितियाँ 157 गाँवों और कबीरधाम में 50 समितियाँ 285 गाँवों में सेवाएं दे रही हैं। राजनांदगांव में 47 समितियाँ 240 गाँवों को जोड़ेंगी, जबकि मोहला-मानपुर और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिलों में क्रमशः 19 और 26 समितियाँ गठित की गई हैं, जो 181 और 174 गाँवों तक सेवाएं पहुँचाएंगी।
‘नवा छत्तीसगढ़’ की दिशा में मील का पत्थर
राज्य सरकार और सहकारिता विभाग की इस संयुक्त पहल से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि किसानों, मजदूरों और महिला स्व-सहायता समूहों को भी सीधा लाभ होगा। सरकार का उद्देश्य है कि हर गांव में एक ऐसी संस्था हो जो ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाए और उन्हें आवश्यक सुविधाएं उनके द्वार पर उपलब्ध कराए।
सहकार भारती ने जताया आभार
सहकार भारती छत्तीसगढ़ के पैक्स प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री घनश्याम तिवारी ने इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और सहकारिता मंत्री श्री केदार कश्यप का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अब दूरदराज के किसान भी अपने गांव की समिति में ही खाद, बीज, दवा और ऋण ले सकेंगे और अपनी फसल का विक्रय स्थानीय स्तर पर कर सकेंगे, जिससे समय, श्रम और खर्च की बचत होगी। साथ ही, इससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार की नई संभावनाएं भी खुलेंगी।