रमजान के तीसरे अशरे में आती है शबे कद्र!
✍️ मौलाना वसी अहमद गौसी
रमजान के महीने में इस्लाम धर्म का अनुसरण करने वाले मुस्लिम धर्मावलंबी इस पूरे माह में रोजे रखते हैं और अपनी इबादतों में इजाफा करते हुए पूरे संसार के लिए दुआएं करते हैं. रमजान के तीस दिनों को 3 अलग-अलग अशरा यानी दस दिन का एक अशरा में डिवाइड किया गया। जिसमें 1 से 10 रमजान तक पहला अशरा जिसे रहमत कहा गया है. 11 से 20 रमजान तक दूसरा अशरा जिसे मगफिरत वाला अशरा कहा गया है. तीसरा और आखिरी अशरा, 21 से 30 रमजान का होता है, जिसे जहन्नम की आग से निजात वाला अशरा कहा गया है.
रमजान का पहला अशरा खत्म
रमजान माह का पहला अशरा रहमत वाला अशरा खत्म हो चुका है। पहले अशरे में बरसती हैं अल्लाह की रहमतें। हकाम सिवान के मौलाना वसी अहमद गौसी ने बताया कि रमजान का पहला अशरा अल्लाह की रहमत का अशरा है. इसमें अल्लाह की विशेष कृपा और बरकतें उतरती हैं और रोजेदार को अल्लाह की विशेष रहमतों से नवाजा जाता है। यह अशरा खत्म हो चुका है. यह अशरा अल्लाह की रहमतों को पाने का एक सुनहरा मौका था, जो लोग इस अशरे में इबादत तिलावत (कुरआन की पढ़ाई) और दुआओं में लापरवाही बरतते रहे, वे इसकी खास रहमतों से महरूम रह गए. वे लोग जिन्होंने रोजे तो रखे, लेकिन गफलत में रहे और अल्लाह से दुआ और इस्तिगफार माफी मांगना नहीं किया, उन्होंने बहुत बड़ी नेमत खो दी
मगफिरत का दूसरा अशरा समाप्त!
आगे कहते हैं कि "सभी लोग अपने अपने दिलों का हाल जानते हैं कि उन्होंने किस तरह से पहले अशरे को गफलत में गुजारा है. लेकिन उनके लिए रमजान का दूसरा मगफिरत का अशरा बाकि है. जो 11 से 20 रमजान तक है. इसमें अल्लाह से माफी मांगने का बेहतरीन समय है. जिन लोगों ने पहले अशरे में लापरवाही बरती है, वे इस दूसरे अशरे में सच्ची तौबा करके अल्लाह की रहमत हासिल कर सकते हैं. क्योंकि यह अशरा पिछले गुनाहों से पाक साफ होने का मौका देता है."
तीसरे अशरे में आती है शबे कद्र
21 से 30 रमजान तक तीसरा और आखिरी अशरा निजात का अशरा है. यह सबसे अहम है. क्योंकि इसी अशरे में शबे कद्र की रात आती है. जो लोग पहले दो अशरे में कोताही कर चुके हैं, वे इस अशरे में दोजख से निजात पाने के लिए अल्लाह से रो-रोकर दुआएं कर सकते हैं. इस अशरे की इबादत एक हजार महीने की इबादत से बेहतर होती है।