जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस के पाउडर व पैरासिटामोल की गोली सहित कई अन्य प्रकार की दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का दिया गया आवश्यक दिशा - निर्देश: डॉ ओपी लाल
विभागीय अधिकारी और शिशु रोग विशेषज्ञ के द्वारा संयुक्त रूप से चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के उपचार से संबंधित किया गया प्रशिक्षित:
सिवान (बिहार): एईएस या चमकी बुखार होने के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज की विस्तृत जानकारी हम सभी को होनी चाहिए, ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागी संबंधित मरीजों का सुविधाजनक तरीके से जरूरी इलाज कर सकें। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और एक - एक चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि सिर में दर्द, तेज बुखार, अर्ध चेतना, मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना, भ्रम कि स्थिति में होना, बेहोशी, शरीर में चमकी, हाथ व पांव में थरथराहट, रोगग्रस्त बच्चों का शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ना एईएस व जेई के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे मामले सामने आने पर रोग ग्रस्त बच्चों का उचित उपचार बेहद जरूरी होता है। हालांकि गंभीर मामले में सबसे पहले अनिवार्य रूप से उपचार के साथ उन्हें तत्काल एंबुलेस उपलब्ध कराते हुए उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर किया जाना चाहिए, ताकि रोगी का समुचित इलाज उपलब्ध कराया जा सके। साथ ही प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर ओआरएस के पाउडर व पैरासिटामोल की गोली सहित कई अन्य प्रकार की दवाओं को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का आवश्यक दिशा - निर्देश दिया गया है। ताकि जिले में चमकी के प्रभाव को आसानी के साथ रोका जा सके। लिहाजा इसे लेकर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि सदर अस्पताल में पीकू वार्ड बनकर तैयार है जिसका उद्घाटन जल्द ही कराया जाएगा।
चमकी बुखार और मस्तिष्क ज्वर से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से चौकस: डीवीबीडीसी
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह ने जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक आने वाले गर्मी के दिनों में होने वाले संभावित चमकी बुखार और मस्तिष्क ज्वर से निपटने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से चौकस है। जिसको लेकर विभिन्न स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसी कड़ी में सदर अस्पताल परिसर स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के सभागार में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के अंतिम दिन विभागीय अधिकारी के अध्यक्षता में प्रशिक्षण शिविर का सफ़लता पूर्वक आयोजन किया गया। जिसमें जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और एक- एक चिकित्सको सहित पीएचसी महाराजगंज अंतर्गत एपीएचसी बलिया के चार चिकित्सा पदाधिकारियों को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल और सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ पंकज कुमार सिंह के द्वारा संयुक्त रूप से चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के उपचार से संबंधित प्रशिक्षित किया गया। चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर संबंधी मामलों का कुशल प्रबंधन बेहद जरूरी है। क्योंकि प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व उचित इलाज से जान माल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
चमकी की तीन धमकी यथा - "खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ" को याद रखना: वीडीसीओ
वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी (वीडीसीओ) सह नोडल अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल सहित सभी सीएचसी, पीएचसी में चमकी बुखार के उपचार और रोकथाम के लिए अलग से वार्ड बनाया जाएगा। इसके साथ हीं सभी आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए विभागीय स्तर पर पत्राचार किया जा रहा है। हालांकि चमकी को धमकी के तहत तीन बातों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ। बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाए और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही तुरंत एंबुलेंस या किसी अन्य वाहन से नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए। इस अवसर पर डीवीबीडीसीओ डॉ ओपी लाल, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, वीडीसीओ प्रीति आनंद, विकास कुमार, कुंदन कुमार, कार्यालय कर्मी राज तिलक के अलावा जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के एमओआईसी, एक एक चिकित्सा पदाधिकारी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।