लक्षण के अनुरूप टीबी मामलों का पता लगाने में अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए राज्य के कार्यपालक निदेशक को प्रशस्ति पत्र से हुए सम्मानित!
टीबी के नए रोगियों की खोज, मृत्यु दर को कम करने और टीबी के नए रोगियों को पूर्ण रूप से रोकना इसका मुख्य उद्देश्य:
लक्ष्य को शत प्रतिशत सफल बनाने में स्वास्थ्य विभाग ने निभाई अहम भूमिका: जिलाधिकारी
सिवान (बिहार): विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के मंत्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा 100 दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान में बिहार के द्वारा लक्षणहीन टीबी मामलों का पता लगाने में अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए प्रशस्ति पत्र द्वारा राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत को सम्मानित किया गया। जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने बताया कि 100 दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत राज्य के 10 जिलों यथा - सिवान, बेगुसराय, भोजपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण एवं कटिहार में विगत 07 दिसंबर 2024 से उच्च जोखिम युक्त समूहों में टीबी की खोज योजना बद्ध तरीके से किया गया है। उक्त दसों जिले को लगभग 18 लाख से अधिक लक्ष्य दिया गया था। जिसके अनुरूप लगभग 20 लाख से ज्यादा उच्च जोखिम युक्त समूहों में टीबी की स्क्रीनिंग विभागीय स्तर पर सहयोगी संस्थाओं द्वारा किया गया है। जिले में संपन्न 100 दिवसीय सघन टीबी- मुक्त भारत अभियान के द्वार केवल नवाचार की शक्ति का प्रदर्शन नहीं किया गया है, बल्कि यह भी दिखाया गया है कि समुदायों को संगठित करने का कार्यक्रम इस बीमारी के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदलने में कितना महत्वपूर्ण साबित हुआ है। क्योंकि यह अभियान विगत 07 दिसंबर 2024 को टीबी के मामलों का पता लगाने में तेजी लाने, मृत्यु दर को कम करने और नए मामलों को रोकने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था। जिसका समापन हमलोगों ने लक्ष्य को शत प्रतिशत सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विभागीय अधिकारियों द्वारा लगातार प्रयास किया जाता है कि जल्द से जल्द टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाया जाए। जिसको लेकर विभागीय अधिकारियों द्वारा दिए गए लक्ष्य के अनुरूप प्रथम स्थान पर सीतामढ़ी तो दूसरे स्थान पर भोजपुर तो वहीं सिवान जिले को एक लाख 62 हजार (162000) लक्ष्य दिया गया था। जिसके बाद सिवान जिले ने दो लाख दो हजार दो सौ आठ (202208) जिलेवासियों का स्क्रीनिंग करते हुए 125 प्रतिशत उपलब्धि हासिल किया है। क्योंकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रा पोर्टेबल हैण्ड हेल्ड एक्स-रे मशीन (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त) द्वारा एक्स-रे के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर जनजागरूकता अभियान चला कर संभावित रोगियों का ट्रूनैट और सीबीनैट मशीनों से बलगम जांच किया गया है। टीबी बीमारी के खिलाफ लड़ाई में देश को राज्य और जिला हर तरह से अपनी सफल रणनीति का नया अध्याय लिख रहा है। टीबी मुक्त अभियान ने टीबी का जल्द पता लगाने के लिए अत्याधुनिक रणनीति अपनाई, जिनसे यह सुनिश्चित हुआ कि बिना लक्षण वाले मरीजों की भी पहचान हो और फिर उनका इलाज शुरू किया जाए।
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि स्थानीय जिला मुख्यालय स्थित मंडल कारा सिवान के लगभग एक हजार कैदियों का अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन द्वारा स्क्रीनिंग किया गया। जिसमें 15 टीबी मरीजों को चिह्नित किया गया है। जबकि 338 कैदियों का एब्नार्मल एक्सरे मशीन से जांच के बाद सीवाई- टीबी के तहत 21 संक्रमित मरीजों की पहचान हुई है। जिनका इलाज स्थानीय स्तर पर किया जा रहा है। हालांकि किसी भी कार्यक्रम या आयोजन को शत प्रतिशत सफल बनाने में वरीय अधिकारियों का मार्गदर्शन और दिशा निर्देश काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि जिलाधिकारी और सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद के मार्गदर्शन में जिले के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की उच्च जोखिम वाली जनसंख्या का मूल्यांकन यक्ष्मा विभाग के माध्यम से माइक्रो प्लान के अनुसार कराया गया है। ताकि टीबी के नए रोगियों की खोज के साथ ही टीबी रोगियों की मृत्यु दर को कम करने के अलावा टीबी के नए मरीजों को पूर्ण रूप से रोकना इसका मुख्य उद्देश्य है।