राजद एमएलसी के प्रयासों से बिहार में अश्लील भोजपुरी गीतों पर लगा प्रतिबंध, लेकिन सरकार ने नहीं दिया श्रेय!
सारण (बिहार): बिहार सरकार ने हाल ही में सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील भोजपुरी गीतों के बजाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। इस फैसले का स्वागत तो किया जा रहा है, लेकिन एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी उठ रहा है कि इस मुद्दे को सबसे पहले उठाने वाले राजद एमएलसी डॉ. सुनील कुमार सिंह को सरकार ने कोई श्रेय क्यों नहीं दिया?डॉ. सुनील कुमार सिंह ने 2024 में ही बिहार विधान परिषद में अश्लील भोजपुरी गीतों के खिलाफ आवाज उठाई थी, लेकिन तब सरकार ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। अब 2025 में जब बिहार सरकार ने अचानक इस पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, तो इसे अपनी पहल बताकर प्रचारित किया जा रहा है।
डॉ. सुनील कुमार सिंह: जिन्होंने सबसे पहले उठाया था मुद्दा
राजद के एमएलसी डॉ. सुनील कुमार सिंह ने 2024 में बिहार विधान परिषद में अश्लील भोजपुरी गीतों के बढ़ते चलन का मुद्दा उठाया था। उन्होंने इसे बिहार की सांस्कृतिक अस्मिता पर खतरा बताया था और सरकार से मांग की थी कि ऐसे गानों के प्रसारण पर रोक लगाई जाए।उनका कहना था कि,"भोजपुरी भाषा की अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है। लेकिन कुछ लोग इसे अश्लीलता और फूहड़ता से जोड़कर बदनाम कर रहे हैं। ऐसे गाने समाज के लिए हानिकारक हैं, खासकर नई पीढ़ी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।"लेकिन जब उन्होंने यह मुद्दा विधान परिषद में उठाया, तब सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि एक साल तक ऐसे गाने धड़ल्ले से बजते रहे, और प्रशासन मौन बना रहा।सरकार की देरी और अचानक लिया गया फैसला।अब 2025 में सरकार ने जब अश्लील भोजपुरी गानों पर प्रतिबंध की घोषणा की, तो इसे अपनी पहल बताकर प्रचारित किया, जबकि डॉ. सुनील कुमार सिंह इस फैसले के असली सूत्रधार हैं।यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अगर सरकार को इस फैसले पर आना ही था, तो 2024 में ही इसे लागू क्यों नहीं किया गया? भोजपुरी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। इस भाषा में भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिसिर और अन्य महान साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से इसे समृद्ध किया। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ लोगों ने व्यावसायिक लाभ के लिए भोजपुरी संगीत को फूहड़ता की ओर धकेल दिया।अश्लील गाने केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों को नष्ट करने का एक माध्यम बन चुके हैं। ऐसे गानों से समाज में महिलाओं के प्रति असम्मान, युवा पीढ़ी में गलत विचारधारा और सांस्कृतिक पतन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। यह पहली बार नहीं है जब किसी जनप्रतिनिधि के महत्वपूर्ण प्रयासों को नजरअंदाज किया गया हो। बिहार की राजनीति में श्रेय लेने और देने की होड़ हमेशा से रही है।राजद एमएलसी डॉ. सुनील कुमार सिंह का नाम लिए बिना सरकार ने यह प्रतिबंध लगाया, जिससे यह साफ होता है कि सरकार खुद को इस फैसले का एकमात्र श्रेय लेना चाहती है।
यह आलेख अनूप नारायण सिंह के फेसबुक वॉल से लिया गया है!