टीबी चैंपियन: शहर की रिया टीबी मुक्त अभियान को दे रही है उड़ान!
शहर के लगभग 300 से अधिक रोगियों को दवाओं की उपलब्धता और जागरूक करना मुख्य उद्देश्य: रिया
आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद बेटी को पौष्टिक आहार खिलाई: सीमा
विभागीय स्तर पर रीच इंडिया के सहयोग से रिया को बनाया गया डॉट प्रोवाइडर: सीडीओ
सिवान (बिहार): एक समय ऐसा लग रहा था कि मैं अब जिंदा नहीं बचूंगी। क्योंकि खांसते- खांसते दम फूलने लगता था कि जिंदा रहने से बेहतर मर जाना ही अच्छा होता। कुछ इसी तरह की कहानी शहर के फलमंडी स्थित अर्जुन प्रसाद और सीमा देवी की 21 वर्षीय पुत्री रिया कुमारी की है। जिसको मार्च 2021 में सूखा खांसी, बुखार और सीने में दर्द की शिकायत से परेशान होने के कारण लगभग 4 से 5 निजी डाॅक्टरों से उपचार करा चुकी थी, लेकिन ठीक नहीं होने से खुद के साथ घर परिवार के लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। साथ ही आर्थिक रूप से काफी बोझ भी सहना पड़ा था। हालांकि थक हार कर अंत में सरकारी अस्पताल में जाने का मौका का मिला। जिसके बाद हर तरह की जांच और दवाएं दी गई। लगभग 9 महीने सुचारू रूप से दवा का सेवन के साथ-साथ पोषण युक्त आहार खाने से अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी हूं।
रिया की मां सीमा देवी ने कहा कि अपनी बेटी को रिक्शा में किसी तरह से बैठाकर सदर अस्पताल लेकर गई। क्योंकि उस समय लगभग 30 किलो वजन था। काफी दुबली पतली होने से चलने फिरने या खड़ा होने के लिए किसी का सहारा लेना पड़ता था। हमलोगों को लगा कि बीमारी अब ठीक होने वाला नहीं है। लेकिन सदर अस्पताल में बलगम, एक्सरे, एच आई वी, उच्च गुणवत्ता और मधुमेह की जांच की गई। उसके बाद पता चला कि फेफड़े में टीबी हुई है। इतना सुनते ही हमलोगों को चिंता सताने लगी कि इतना महंगा इलाज हमलोग कैसे कराएंगे। क्योंकि शहर के निजी चिकित्सकों से इलाज कराने में काफी पैसा लग गया था। क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। हालांकि यक्ष्मा विभाग के तत्कालीन जिला टीबी एड्स समन्यवक (डीपीएस) दिलीप कुमार और वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक (एसटीएस) राम सागर राम ने हमलोगों को काफी समझाया और ढांढस बढ़ाया। हालांकि दवा के साथ ही हमलोगों ने बेटी को पोषण युक्त आहार खाने के लिए हरी साग सब्जी, फल, अंडा, चना, गुड, दूध सहित पौष्टिक भोजन खिलाई गई। जिस कारण बहुत ही जल्द ठीक हो गई।
टीबी जैसी बीमारी को मात देकर पूरी तरह से ऊबर चुकी रिया कुमारी का कहना है कि नगर परिषद क्षेत्र के लगभग तीन सौ से अधिक टीबी मरीजों को जागरूक करते हुए दवा, जांच और समुदायिक स्तर पर सभी लोगों को यक्ष्मा जैसी बीमारी से बचाव, लक्षण और उचित उपचार के साथ ही पोषण युक्त आहार खाने के लिए प्रेरित और सलाह देने का काम करती हूं। हालांकि विभागीय स्तर पर कार्य करने के लिए यक्ष्मा विभाग को डॉट प्रोवाइडर के रूप में सहयोग करने वाली रीच इंडिया के द्वारा दिसंबर 2023 में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई थी। जिसमें यक्ष्मा विभाग सिवान द्वारा मेरे नाम का चयन कर भेजा गया था। दो दिनों का प्रशिक्षण लेने के बाद टीबी मरीजों को हर तरह से सहयोग कर रही हूं। जिसका नतीजा यह हो रहा है कि शहर में किसी को भी हल्की सी खांसी या किसी तरह की शिकायत होती है तो हमारे पास सूचना या जानकारी मिल जाती है। टीबी बीमारी के अलावा उच्च रक्तचाप, मधुमेह, एच आई वी, बलगम, एक्सरे, सीबीसी और आरबीसी जांच करा कर उचित इलाज और दवा उपलब्ध कराया जाता है। प्रत्येक मरीजों को दवा देने के बाद दो महीने और छह महीने के अंतराल पर बलगम और एक्सरे जांच कराते हुए उसका फॉलोअप भी मेरे द्वारा कराया जाता है।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि देश से क्षय रोग यानि टीबी जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करना टीबी चैंपियन का मुख्य उद्देश्य होता है। क्योंकि यह लोग खुद टीबी से ठीक हो चुके होते हैं, लेकिन अब सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैलाने, मरीजों को सही इलाज लेने के लिए प्रेरित करने और भेदभाव को कम करने का काम करते हैं। सरकार और गैर- सरकारी संगठन इन चैंपियनों के माध्यम से समुदाय में टीबी के प्रति गलत धारणाओं को दूर करने और समय पर इलाज सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत सरकार के "टीबी मुक्त भारत" अभियान के तहत टीबी चैंपियनों की अहम भूमिका है, ताकि भारत से इस बीमारी का उन्मूलन किया जा सके। हालांकि टीबी मुक्त अभियान में टीबी चैंपियन के साथ साथ जिला टीबी एड्स समन्यवक (डीपीएस) शैलेंदु कुमार और जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) दीपक कुमार सहित जिले के सभी एसटीएस और एसटीएलएस के अलावा जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों का सहयोग के बदौलत जिले के 93 पंचायतों को टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत मुक्त किया गया है। विभागीय स्तर पर रीच इंडिया के सहयोग से रिया को बनाया गया डॉट प्रोवाइडर ताकि टीबी रोगियों के बीच नियमित रूप दवा का सेवन और पौष्टिक आहार खाने के लिए जागरूक कर सके।