अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिला कैदियों को उनके अधिकारों को लेकर किया गया जागरूक!
महिला अधिकार और सशक्तिकरण के संबंध में विस्तार पूर्वक किया गया चर्चा: जेल अधीक्षक
नारी को केवल बाहरी रूप से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त होने की जरूरत: बीके अनामिका दीदी
सारण (बिहार):अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय सेवाकेंद्र के द्वारा मंडल कारा छपरा की महिला कैदियों को महिला अधिकार, नारी सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय और समान अधिकार को लेकर जागरूक किया गया। इस अवसर पर प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय सेवाकेंद्र की संचालिका बीके अनामिका दीदी द्वारा मंडल कारा के अधीक्षक राधे श्याम सुमन और सहायक जेल अधीक्षक जितेंद्र प्रसाद गुप्ता और उपस्थित महिला सिपाहियों को अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया। जबकि महिला कैदियों को ज्ञान वर्धक पुस्तकें से सम्मानित कर सही रास्ते पर चलते हुए अपने अधिकारों को आत्मसात करने के लिए जागरूक और प्रेरित किया गया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी प्रियांशु, प्रिया और पिंकी के अलावा मीनाक्षी और संगीता माता और सिपाही चंदन कुमार, बंटी रजक और रोहित भाई मौजूद रहे। वहीं शहर के काशी बाजार स्थित के आर नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं और शिक्षिकाओं सहित कई अन्य को भी महिला दिवस के अवसर पर सम्मानित और जागरूक किया गया।
प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय सेवाकेंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी अनामिका दीदी ने महिला कैदियों सहित उपस्थित महिला सिपाही और अन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही कि नारी नरक का द्वार नहीं बल्कि सिर का ताज होती है। महिलाओं की अतीत और वर्तमान में बहुत अंतर है। क्योंकि आज की नारी अबला नहीं सबला है। शक्ति स्वरूपा है। बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ और नारी के उत्थान के संकल्प के साथ उसे समाज में खोया सम्मान दिलाने, भारत माता, वंदे मातरम् की गाथा को सही अर्थों में चरितार्थ करने का समय आ गया है। ब्रह्माकुमारीज़ आंदोलन एक जीवंत प्रमाण है कि जब नारी को केवल बाहरी रूप से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से सशक्त किया जाता है, तो क्या संभव हो सकता है। उन्होंने अपने अधिकारों की मांग नहीं की है। बल्कि वह इतनी शक्तिशाली बन गईं है कि संसार को उन्हें स्वीकार करना ही पड़ा है। यह केवल ब्रह्माकुमारीज़ की कहानी नहीं है। बल्कि यह हर उस नारी की कहानी है, जिसे कभी यह कहा गया कि वह कमजोर है, और जिसने संसार को गलत साबित कर दिखाया है।
स्त्री को घर की लक्ष्मी, परम भाग्य शालिनी, पुण्यमयी और घर को शोभायमान करने वाली माना गया है l इसलिए इनकी विशेष रक्षा करनी चाहिए अर्थात स्त्री विशेष रूप से पुजनीय और रक्षनीय है।
मंडल कारा छपरा के अधीक्षक राधे श्याम सुमन ने महिला कैदियों सहित उपस्थित कई अन्य महिलाओं को महिला अधिकार और सशक्तिकरण के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि आज का यह विशेष दिन महिलाओं को समर्पित किया गया है। क्योंकि महिलाओं के प्रति आदर सम्मान, उनके अधिकारों, उनकी उपलब्धियों को बताने के साथ ही लैंगिग समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। सबसे अहम बात यह है कि इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का थीम एसेरेलेट एक्शन (Accelerate Action) यानि कि महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और जागरुकता पैदा करने को लेकर अब कार्य की गति तेज करने की जरूरत है। वहीं सहायक जेल अधीक्षक जितेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि महिलाओं की उपलब्धियों और योगदान को याद कर लोगों तक पहुंचाना तथा लैंगिक समानता और महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में समाज के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। ताकि शहर से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को जागरूक किया जा सकें।