वैज्ञानिक विधि से तिल की खेती कैसे करें? किसानों को मिली सही जानकारी!
सारण (बिहार): कृषि विज्ञान केन्द्र माँझी में किसानों को तिल के फसल उत्पादन तकनीक विषय पर प्रशिक्षण के साथ ही बीज, खाद एवं दवाई का वितरण भी किया गया। इस दौरान "सामूहिक अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण" प्रोग्राम के तहत सारण जिले के माँझी जलालपुर, रिवीलगंज एवं मकेर प्रखंड के लगभग 55 किसानों को तिल, प्रभेद- सी.जे. टी.-5 के वैज्ञानिक विधि से तिल के उत्पादन तकनीक के बारे में प्रशिक्षण के माध्यम से संपूर्ण जानकारी दी गयी। साथ ही किसानों को तिल के बीज, सल्फर एवं कार्बेंडाजिम का वितरण भी किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ में वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. संजय कुमार राय द्वारा सामूहिक अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम के विषय में किसानों को विस्तार से बताया गया।
इस दौरान उद्यान विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र चन्द्र चंदोला ने बताया की गर्मी के मौसम में तिल के प्रभेद- सी. जे. टी.- 5 की बीज दर प्रति हेक्टेयर 5 किलोग्राम हैं। साथ ही बीज को बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना बहुत ज़रूरी है उसके लिए पहले कल्टीवेटर की मदद से खेत को जोतकर उसके बाद रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा करना अनिवार्य है जिससे कि ज़्यादा उपज प्राप्त हो सके। तिल को कतारों में बुआई करनी चाहिए. कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 6-10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। सिंचित क्षेत्र में बीज की गहराई 5 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए। तिल की फसल को रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पहले फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए।
वही डॉ. जीर विनायक ने किसानों ने तिल में लगने वाले कीट एवं रोग के प्रबंधन के बारे में विस्तृत में बताया साथ ही डॉ. विजय कुमार ने बताया कि मिट्टी की जाँच के महत्व एवं तिल की खेती में सल्फर खाद के एक भूमिका के बारे में किसानों को बताया जिससे की ज़्यादा उपज प्राप्त हो सके। कृषि विज्ञान केन्द्र, माँझी से राकेश कुमार, रविरंजन कुमार एवं अवनीश पाण्डेय ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सहयोग दिया।