आधुनिक मनोरंजन बनाम युवा पीढ़ी!
मनोरंजन एक ऐसी क्रिया है जिसमें सम्मिलित होने वाले को आनन्द आता है एवं मन शान्त होता हैं। मनोरंजन सीधे भाग लेकर हो सकता है या कुछ लोगों को कुछ करते हुए देखने से हो सकता है।"मनोरंजन" का अर्थ क्या हैं मन को मोहने वाला जिस से मन को खुशी हो,लोगो का मानना हैं कि मनोरंजन से मन को खुशी के साथ -साथ शांति भी मिलती हैं मनोरंजन कई प्रकार से किए जा सकते हैं जैसे नृत्य, खेल -कूद, संगीत, लूडो, बातचीत, टीवी, लेखन प्रक्रिया इत्यादि इन सभी चीजों से हम मनोरंजन के करीब पहुंच सकते हैं,और अपने मन को बहला सकते हैं कहा जाता हैं कि खाली दिमाग शैतान का होता हैं उस से बेहतर हैं हम खुद को कामों में उलझाए रखे और हमारा मनोरंजन भी हो सके , मनोरंजन से हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहता हैं और तनाव कम होता हैं, मनोरंज से मन में एक नई ताज़गी महसूस होती हैं और मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं मनोरंजन के जरिए हम खुद भी खुश रहते हैं और साथ -साथ दूसरों को भी खुशी देते हैं।मनोरंजन हमारे दिन भर के थकान को मिटा कर हमारे मन में एक नई ऊर्जा को विकसित करता हैं मनुष्य जब काम और पढ़ाई से थक जाता हैं तो उसका मन होता किसी अन्य काम को करने का जिस से उसका थोड़ा मनोरंजन हो सके और उसके मन को एक नई खुशी मिले। अतः मनोरंजन हमारे शरीर के लिए ठीक वैसा ही हैं जैसे मछली के लिए जल के आवश्यकता हैं।
मनोरंज समय के साथ कैसे बदला: हम देखते हैं कि मनोरंज अब पूरी तरह से बदल चुका जहां पहले के जमाने में लोग खेल -कूद, संगीत, कब्बड्डी, नृत्य और एक दूसरे से बातचीत करके खुद का मनोरंजन करते थे अब समय के साथ सब कुछ बदला चुका ,आज मनोरंजन का साधन इन सभी के स्थान पर टीवी,इंटरनेट, मोबाईल,वीडियो गेम , इन सब ने ले लिया हैं। इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के उदय से मनोरंजन का तरीका और उससे जुड़ने का तरीका बदल गया. अब कंटेंट ज़्यादा सुलभ और हो चुके है अब लोगों को जो देखने का मन हैं उनके मन के हिसाब से उनके सामने वो सभी चुके आसानी से उपलब्ध हैं जिनके वो आदि हैं ,स्ट्रीमिंग सेवाओं ने मनोरंजन के तरीके को और बदल दिया. अब, नेटफ़्लिक्स, हुलु, और डिज़नी+, हॉट स्टार, जिओ सिनेमा जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर एक बटन के क्लिक से सामग्री की एक विशाल लाइब्रेरी तक पहुंचा जा सकता है। आज के समय में मनोरंज के साधन की कोई कमी नहीं हैं इंटरनेट ने इन सारी कमियों को पूरा कर दिया हैं,जैसे चाहे उस प्रकार का गाना ,जैसे फिल्म देखनी चाहे वैसी फिल्म सब कुछ उपलब्ध हो चुकी यह कहने में कोई गलती नहीं हैं कि मनोरंजन समय के साथ साथ पूरा बदल चुका हैं।
आधुनकि मनोरंजन का स्वरूप विस्तार- आधुनिक मनोरंजन तकनीक और वैज्ञानिकों ने कई विस्तार किए हैं।इंटरनेट ने मनोरंजन के साधनों में बढ़ोतरी कर दी है। इसके साथ ही मोबाइल इस समय का सबसे प्रमुख मनोरंजन साधन है। इसके माध्यम से आप जब चाहे फिल्म, गाने और अपने कार्य की चीजों को पलभर में ढूंढ सकते हैं। हम देख रहे हैं कि जैसे - जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही हैं वैसे - वैसे मनोरंजन के साधन भी बढ़ रहे पहले जहां हम मोबाइल से केवल अपने मनपसंद गाने और फिल्में देख सकते थे अब गेम, फेसबुक, इंस्टाग्राम स्नैपचैट के जरिए अंजान व्यक्ति से बात चित तक हो सकती हैं और इन सब ऐप से लोगो का और भी मनोरंजन के साधन उपलब्ध हो चुके हैं ।
आधुनिक मनोरंजन का युवाओं पर प्रभाव -हम देख रहे हैं आधुनिक मनोरंजन कैसे नई पीढ़ी के सामने बाज़ारवाद बनके खड़ा हैं और उनके जीवन पर कैसे यह प्रभावित कर रहा हैं जहां एक तरफ हमारा देश विकास की ओर अग्रसर हो रहा हैं वहीं हम देख रहे है हमारे ही देश के युवाओं पर इंटरनेट का गलत प्रभाव पड़ रहा हैं,इंटरनेट के जरिए वो अश्लील वीडियो देख है , अंजान व्यक्ति से बातचीत करना जिन्हें हम नहीं जानते कई ऐसे गेमिंग ऐप हैं जिस से युवाओं को उसकी लत लग जा रही हैं।
हम यह देख रहे हैं हमारे भारत में काफ़ी कुछ बदलाव हो रहे जैसे हमारा देश अब चांद तक पहुंच चुका हैं और हमारे देश का नाम अब विकसित देशों के साथ लिया जाने लगा हैं पर सिर्फ़ यहीं तक हमें रुकना चाहिए हम देख रहे हैं कि भारतीय समाज में तो बदलाव आ रहा और साथ - साथ हमारी जो युवा पीढ़ी हैं जिन्होंने अपने मनोरंजन का साधन इंटरनेट को चुना और उस चुनाव से हर साल न जाने कितने ही युवा अपने जान से हाथ धो रहे हैं,२४ घंटे वो मोबाइल उन्हें खुद में उलझाए रखता हैं न जाने कितने प्रकार के ऐसे गेम हैं जो बच्चों को खुद में इतना उलझा ले रहे हैं कि अगर उनके अभिभावक उन्हें न खेलने दे तो वो अपनी जान या तो ले रहे या फिर अपने ही माता - पिता उनके दुश्मन बन जा रहे ,तकनीकी संसाधनों, कामकाज के दबावों और जीवन के प्रति बदलते दृष्टिकोण का असर युवाओं पर साफ दिखता है। वे पारंपरिक जीवन-शैली को छोड़ कर अधुनिकता के नाम पर कुछ इस तरह जीने लगे हैं कि उसका असर उनकी सेहत, अनकी मानसिकता और जीवनेच्छा पर भी पड़ रहा है। वे आत्मकेंद्रिकता के शिकार हो रहे हैं, असमय अनेक बीमारियों और नकारात्मक सोच की जकड़ में आ जा रहे हैं। इस बदलती जीवन-शैली में युवाओं को किस तरह से निकाला जाएं यह एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही हैं, अभी के समय में हमारे युवा मोबाइल फोन में इतने व्यस्त हैं कि वो ये भुल जा रहे हैं कि इसके बाहर भी कोई दुनियां है खाते - पीते, घूमते, सोते, यहां तक कि शौचालय में भी उन्हें फोन की आवश्यकता होने लगी हैं, भीड़ भाड़ वाली जगह में कानों में हेडफोन लगा कर तेज़ आवाज़ में गाना सुनते हुए वो चलते हैं।
दुनियां से जैसे उन्हें कोई मतलब नहीं उनके आस -पास क्या हो रहा हैं इसकी उन्हें कोई ख़बर भी नहीं मनोवैज्ञानिकों का कहना हैं बहुत से युवा खुद को ले कर इतने प्रोग्रेसिव हैं कि उन्हें खुद को कितना अच्छा करना है इस पर उनका ज्यादा ध्यान हैं ताकि उनके ज्यादा से ज्यादा फॉलोवर्स बढ़ सके तस्वीर लेने के और रील के चक्कर में न जाने कैसे कैसे स्टंट लगा बैठते हैं जो उनके जान को जोखिम में भी डालता हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, महाराष्ट्र के पुलिस के कुछ रिपोर्ट बताते हैं कि किस प्रकार से आज के युवा पीढ़ी सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं, फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, टिकटोक, मौज, यूट्यूब,ऐसे कई ऐप हैं जिनके गिरफ्त में हैं और कई तो फेक अकाउंट से न जाने कितनी लड़कियों का शोषण हो रहा हैं कितने लड़के फांसी लगा ले रहे हैं और सबका कारण हैं आधुनिक मनोरंजन की ये दुनियां जो युवाओं पर शराब, और सिगरेट की तरह इन्हें (युवाओं) को धीरे -धीरे अंदर से खोखला कर रही हैं।इन सबका एक कारण माता - पिता की भी जीवनशैली हैं जहां आज माता -पिता दोनों ही काम पर जाने लगे हैं वहीं बच्चे का ध्यान उनसे सही से नहीं हो पा रहा और बच्चे सोशल मीडिया की गिरफ्त में हो रहे हैं सिर्फ सोशल मीडिया और मोबाइल फोन ही नहीं बल्की ऐसे बहुत से उपकरण हैं जो आधुनिक युवाओं के जीवन पर प्रभाव डाल रही हैं, उनमें उनका खान -पान भी हैं जो उन्हें बीमारी की ओर अग्रसर कर जिनमें सॉफ्ट ड्रिंक, चिप्स, जंक फूड आज के युवा की पसंद हैं और ये सभी उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना रही हैं, भारत के आंकड़े बता रहे हैं दस से पंद्रह वर्षों के बीच में 18 से 24 साल के युवाओं की आत्महत्या के मामले ज़्यादा आए हैं। और ये आधुनिक मनोरंजन युवाओं के जान का दुश्मन बने फिर रही हैं।
उपसंहार -इस प्रकार देखा जाए तो मनोरंजन के इन सभी हाईटेक साधनों से न सिर्फ हमारा मनोरंजन हो रहा हैं बल्कि ये धीरे - धीरे हमारे देश के युवाओं के लिए जान का खतरा भी साबित हो रहे हैं जितनी हमें इंटरनेट से सुविधा मिल रही हैं उतनी ही ये हमारे लिए घातक भी साबित हो रही हैं यह जरूरी हैं कि सरकार इसकी तरफ़ अपना ध्यान दे और जो भी गलत कंटेंट्स आते हैं या फिर फ्रॉड व्यक्तियों को ऐप से बाहर निकाल फेंके जिस से की हमारे युवा सुरक्षित रह सके और ज्यादा से ज्यादा जरूरी यह हैं कि माता - पिता भी अपने बच्चों को अपना अपना पूरा समय दे जिस से की उनके बच्चे गलत जगह न भटके। अगर हम इन साधनों का सही तरह से उपयोग करेंगे तो यह साधन हमारे ज्ञान का विस्तार करने में भी सहायक हैं। इनकी सहायता से हम कठिन-से-कठिन प्रश्न को आसानी से हल कर लेंगे और यही साधन हमारे लिए वरदान साबित होगा।
✍️प्रिया पाण्डेय "रोशनी"
पश्चिमबंगाल