प्राथमिकता के आधार पर जीरो डोज से वंचित रहने वाले बच्चों कि पहचान करना और घर तक पहुंच बनाकर नियमित टीकाकरण करना मुख्य उद्देश्य!
नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के सुदृढीकरण को लेकर जीरो डोज गावी एचएसएस 3.0 परियोजना के अंतर्गत शून्य खुराक कार्यान्वयन परियोजना से संबंधित प्रशिक्षण आयोजित!
जीरो डोज वाले बच्चों के लिए मॉडल के रूप में तीन प्रखंड के 49 गांव का हुआ चयन!: सिविल सर्जन
सिवान (बिहार): जिन बच्चों को एक साल तक पेंटा 1 टीकाकरण नहीं दिया गया है। वैसे छूटे हुए बच्चों के लिए गावी के अंतर्गत पीसीआई के द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से जिले के तीन प्रखंड यथा - दरौली, दारौंदा और महाराजगंज के चिन्हित 49 गांव में टीकाकरण किया जाना है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या को कम करने और नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने को लेकर उक्त तीनों प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, यूनिसेफ के बीएमसी और पीसीआई के प्रखंड समन्वयक को पीसीआई के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक कामता पाठक, यूनिसेफ के एसएमसी कामरान खान के द्वारा संयुक्त रूप से प्रशिक्षित किया गया है। क्योंकि जिले के तीनों प्रखंड को मॉडल के रूप में चयनित किया गया है। इन तीनों प्रखंडों में सफलतापूर्वक कार्यक्रम संचालित होने के बाद अन्य सभी प्रखंडों में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि रूटीन इम्यूनाइजेशन एजेंडा- 2030 के अनुसार जीरो डोज वाले बच्चों कि संख्या को कम से कम करने और इसके लिए प्रत्येक लाभार्थियों तक पहुंच और सभी बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण किस प्रकार से किया जाए, इसको लेकर स्वस्थ विभाग की ओर से आशा फेसिलेटेटर सहित कई अन्य कर्मियों के साथ यह कार्यशाला आयोजित की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि जीरो डोज वाले बच्चा से तात्पर्य यह है कि वैसे बच्चे जो क्षेत्र के विभिन्न चयनित टीकाकारण सत्र स्थलों तक नहीं पहुंच पाते हैं। हालांकि यह वहीं बच्चे हैं जो नवजात शिशु होते हैं जिन्हें पेंटावेलेंट की पहली खुराक 6 सप्ताह की उम्र में दी जाती है, लेकिन किसी कारणवश नहीं ले पाते हैं। क्योंकि ऐसे बच्चे आगे चलकर सभी टीकों से वंचित रह जाते हैं। उन बच्चों कि पहचान करना, उनके घर तक पहुंचना और उनको भी नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है। क्योंकि नियमित रूप से निगरानी करने के बाद ही नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य संस्थान स्तर पर माइक्रो प्लान के साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता निर्माण और कौशल विकास करना भी अतिआवश्यक है। जिसको लिए जीरो डोज और नियमित टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण को लेकर जिला स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
पीसीआई के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक कामता पाठक ने कहा कि पिछले दो दशकों में कम आय वाले समुदायों के लिए टीकाकरण को अधिक सुलभ बनाने में प्रगति के बावजूद हाल ही सहयोगी संस्थाओं द्वारा जारी डेटा के अनुसार पूरे विश्व में 25 मिलियन बच्चों को वर्ष 2021 में जीवन रक्षक टीकों की एक या उससे अधिक खुराक नहीं मिली है। इन बच्चों में से 18 मिलियन को कभी भी टीका नहीं लगाया गया है, जिसके कारण पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर बहुत अधिक है। बच्चों के इस समूह को "शून्य खुराक वाले बच्चे" के रूप में जाना जाता हैं। जिले के तीनों प्रखंडों से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम और बीसीएम सहित सहयोगी संस्थाओं के प्रखंड स्तरीय अधिकारियों के साथ विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान बताया गया कि नियमित टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं का नियमित रूप से बैठक और प्रखंड स्तर से नियमित रूप से अनुश्रवण और मूल्यांकन कर ड्यू लिस्ट की गहनता पूर्वक जांच करना है।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, डीवीबीडीसीओ डॉ ओम प्रकाश लाल, डीआईओ डॉ अरविंद कुमार, डीपीएम विशाल कुमार, यूएनडीपी के वीसीसीएम मनोज कुमार, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, डीसी दिलीप कुमार पोद्दार, डीओ अशोक कुमार शर्मा पप्पू, जीएनएम प्रीतम कुमार, दारौंदा, दरौली और महाराजगंज के एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम, पीसीआई के बीसी और यूनिसेफ के बीएमसी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।