जन- समुदाय की भागीदारी से फाइलेरिया उन्मूलन की राह होगी आसान, 27.43 लाख आबादी को खिलायी जायेगी बचाव की दवा: सिविल सर्जन
•सीफार संस्था के सहयोग से एमडीए अभियान के सफलता को लेकर मीडिया कार्यशाला आयोजित!
• फाइलेरिया से बचाव के लिए 10 फरवरी चलेगा सर्वजन दवा सेवन अभियान
• घर-घर जाकर खिलायी जायेगी फाइलेरिया से बचाव की दवा
• 14 दिनों तक घर-घर और तीन दिन बूथ लगाकर खिलायी जायेगी दवा
गोपालगंज (बिहार): जन-समुदाय की भागीदारी से हीं फाइलेरिया उन्मूलन की राह आसान हो सकेगी। इसके लिए समुदाय के सभी लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। उक्त बातें प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. अरविन्द कुमार ने आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कही। 10 फरवरी से शुरू होने वाले सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के सफल क्रियान्वयन को लेकर सदर अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. अरविन्द कुमार की अध्यक्षता में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था के द्वारा मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉ. अरविन्द कुमार ने कहा कि हाथीपांव क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया के लक्षण हाथ, पैर, हाइड्रोसील और ब्रेस्ट में दिखायी देते है। फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाना है। 10 फरवरी से घर-घर जाकर 14 दिनों तक दवा खिलायी जायेगी। उसके बाद अंतिम तीन दिन तक सरकारी और निजी विद्यालयों, सरकारी कार्यालयों, बस स्टैंड, चौक-चौराहा, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्रों, अस्पतालों में दवा खिलायी जायेगी। इसके साथ हीं जेल में बंद कैदियों को भी दवा खिलायी जायेगी। अभियान के दौरान डीईसी और अल्बेंडाजोल की दवा खिलायी जायेगी। उन्होने बताया कि जिले की कुल जनसंख्या 32 लाख 27 हजार 302 है, जिसमें से 27 लाख 43 हजार 207 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए विभागीय स्तर पर मुकमल तैयारी की गयी है। 1343 दल, 131 सुपरवाइजरों की टीम बनायी गयी है। इस अभियान में जन-सहभागिता जरूरी है। फाइलेरिया यानी हाथीपांव एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाये तो आपको जीवन भर के लिए दिव्यांग बना देती है। हाथी पांव का इलाज संभव नहीं है। ऐसे में सभी से अपील है कि दवा स्वयं खायें और अपने परिवार के सभी सदस्यों को खिलायें। तभी फाइलेरिया मुक्त जिला का सपना साकार हो सकेगा।इस मौके पर डीएमओ डॉ. सुषमा शरण, जिला वेक्टर रोग सलाहकार अमित कुमार, वीडीसीओ प्रशांत कुमार, वीडीसीओ राजेश कुमार, सीफार के प्रमंडलीय कार्यक्रम समन्वयक गनपत आर्यन, डीसी नेहा कुमारी समेत अन्य मौजूद थे।
दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गभर्वती महिलाओं को नहीं खिलायी जायेगी दवा!
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण ने कहा कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत साल में एक बार फाइलेरिया रोगियों सहित अन्य सभी लोगों को फाइलेरिया जैसी दिव्यांग बनाने वाली बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरिया रोधी दवा के रूप में दो प्रकार की दवा जिसमें अल्बेंडाजोल और डीईसी दवा का सेवन कराया जाना है। जबकि अन्य जिलों में एमडीए कार्यक्रम के तहत दो प्रकार की दवा जिसमें अल्बेंडाजोल और डीईसी की गोली खिलाई जानी है। इस दौरान दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को फाइलेरिया कि दवा नहीं खिलाया जाता है।इस अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। एमडीए/आईडीए रांउड के दौरान सुक्रत्या मोबाइल ऐप के माध्यम से डेली रिपोर्टिंग की जायेगी।जिले के सभी प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम) अतिमहत्वपूर्ण कार्यक्रम एमडीए की दैनिक कवरेज का प्रतिवेदन उक्त एप्प के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे। क्योंकि इसको ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमडीए कार्यक्रम की दैनिक कवरेज से संबंधित प्रतिवेदन के लिए SukRtya App (सुक्रत्या एप्प) को विकसित किया गया है। प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है, ताकि कहीं भी कोई प्रतिकूल प्रभाव सामने आने पर तुरंत रिस्पांस किया जायेगा। इसके साथ हीं सुपरविजन के लिए अलग-अलग टीम गठित की गयी है। जो क्षेत्र में जाकर अभियान के दौरान अनुश्रवण करेगी।
दवा खाने के बाद ये लक्षण दिखें तो घबराएं नहीं:
दवा खाने के बाद बुखार, सर दर्द, उल्टी, शरीर में दर्द या उल्टी जैसा होना आम बात भी हो सकती लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि दवा खाने के बाद व्यक्ति के अंदर अगर माइक्रो फाइलेरिया है तो उनके साथ इस तरह की प्रक्रिया होने की संभावना जताई जा सकती है, लेकिन कुछ ही समय के अंतराल पर सब कुछ सामान्य हो जाएगा।यह दवा किसी भी परिस्थिति में खाली पेट नहीं खाना है। कुछ खाने के बाद हीं दवा को खाना है, उसके बाद एक ग्लास पानी पीना है। अल्बेंडाजोल की दवा को चबाकर खाना है।
फाइलेरिया के मरीज से साझा की अपनी पीड़ा:
इस कार्यशाला में उचकागांव की फाइलेरिया के मरीज कांती देवी ने अपनी पीड़ा को साझा किया। उन्होने बताया कि करीब 5 साल से उन्हें पैर में सूजन है। जिससे चलने घूमने में काफी परेशानी होती है, यह बीमारी कब हुई कुछ पता नहीं चला। लेकिन अब जीवन बोझ जैसा लगता है। इसलिए हम सभी से अपील करतें है कि इस अभियान के दौरान दवा जरूर खाएं ताकि यह दर्द नहीं झेलना पड़े।