विश्व एनटीडी सह कुष्ठ उन्मूलन दिवस -
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के पर सदर अस्पताल में सामूहिक रूप से पढ़ा गया बापू का संदेश!
तिरस्कार की नजर से देखेंगे तो वह अपना रोग छुपाने को होंगे मजबूर: सिविल सर्जन
वैश्विक रणनीतियों के आधार पर बीमारियों के उन्मूलन को लेकर विभाग प्रतिबद्ध: सीडीओ
समय पर जांच और उपचार के अलावा जागरूक होने की आवश्यकता: डॉ ओपी लाल
सिवान (बिहार): स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि विश्व एनटीडी दिवस सह कुष्ठ उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया गया। जिसको लेकर सदर अस्पताल परिसर में महत्मा गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर दो मिनट का मौन रखा गया।जबकि उनके तैल चित्र पर अधिकारी और कर्मियों द्वारा पुष्प अर्पित कर श्रंद्धाजलि अर्पिता की गई। वही जागरूकता को लेकर बापू के संदेश को संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार के द्वारा पढ़े जाने के बाद सामूहिक रूप से उपस्थित सभी विभाग के अधिकारी और कर्मियों द्वारा पढ़ा गया। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार, डीपीएम विशाल कुमार, डीपीसी इमामुल होदा, सदर अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक कमलजीत कुमार, पीरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुमार कुंदन और सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी सहित सभी विभाग के अधिकारी कर्मियों के अलावा स्टाफ नर्स मौजूद रही।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने कहा कि कुष्ठ रोगियों के लिए आसान इलाज की उपलबध्ता के साथ ही रोग संबंधित मिथकों से समाज को मुक्ति दिलाना भी है। यदि हम कुष्ठ रोगियों को तिरस्कार की नजर से देखेंगे तो वह अपना रोग छुपाने को मजबूर होंगे। इससे हम कभी भी इसे पूरी तरह मिटा नहीं पाएंगे। कुष्ठ पूरी तरह से ठीक होने वाले मायकोबैक्टीरियम लैप्री से पनपने वाली माइक्रो बैक्टीरिया जनित बीमारी है। इसके आरंभिक स्टेज पीबीटी या पोसिबेसलरी ट्रीटमेंट में जहां वयस्कों को प्रथम दिन रिफैंपिसन 300 एमजी की दो गोलियां और डैप्सोन 100 एमजी की एक गोली तथा 28 दिनों तक प्रति दिन एक डैप्सोन की गोली लेने की आवस्यकता है। वहीं, 2 से 14 साल के बच्चों को रिफैंपिसन की उसी मात्रा के साथ डैप्सोन की 50 एमजी की गोली लेने की सलाह दी जाती है। यह पूरा 6 महीने का कोर्स है। लेकिन एमबीटी या मल्टिबेसलरी ट्रीटमेंट पूरे 12 महीने दवा खाने की जरूरत है। जिसमें रिफैंपिसन और डैप्सोन के अलावा प्रतिदिन क्लोफाजिमिन की गोली भी आवश्यक है। ये सभी डोज बीमारी के अलग अलग अवस्था के अनुसार अलग अलग ब्लिस्टरपैक में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी चिकित्सा केन्द्रों पर निःशुल्क उपलव्ध हैं।
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने कहा कि नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए फाइलेरिया, कालाजर, कुष्ठ रोग सहित कई अन्य बीमारियों के उन्मूलन को लेकर विभाग प्रतिबद्ध है। सोशल मीडिया सहित कई तरह के माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जाएगा। एनटीडी की रोकथाम और नियंत्रण को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राथमिकता दी जा रही है। इन रोगों में हाथीपांव, कालाजार, कुष्ठरोग, रैबीज, मिट्टी संचारित कृमिरोग और डेंगू शामिल हैं। इन नियंत्रण कार्यक्रमों को वैश्विक रणनीतियों पर चलाया जाता है। इनके लिए एक तय सालाना बजट भी रहता है। देश में कालाजार और हाथीपांव के उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि एनटीडी दिवस के अवसर पर उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज) जिसके तहत लेंफेटिक फाइलेरिया, कालाजार, मलेरिया, डेंगू और चिकेनगुनिया जैसे रोग सहित अन्य कई प्रकार के रोग को शामिल किया गया हैं। इसके रोकथाम समय पर जांच एवं उपचार से संभव है। इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने एवं इससे ग्रसित लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने का संकल्प लिया जाएगा। क्योंकि यह रोग मुख्यतः गरीबों या साधारणतया परिवार में पाया जाता है। इसके शिकार व्यक्ति को ना केवल उनके स्वास्थ्य बल्कि उनके रोजगार, दैनिक कार्य यहां तक कि उनके परिवार या समुदाय द्वारा स्वीकार किये जाने की संभावना को कम कर देती है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो वर्ष 2030 से पहले विश्व को एनटीडी से मुक्त किया जा सकता है।