टीबी हारेगा देश जीतेगा: चल रहा है राष्ट्रव्यापी 100 दिवसीय सघन अभियान!
राष्ट्रव्यापी 100 दिवसीय सघन अभियान में जिलेवासियों की भूमिका महत्वपूर्ण: सिविल सर्जन
टीबी बीमारी की देखभाल सेवाओं की पहुंच में सुधार और गुणवत्ता सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी: डॉ अशोक कुमार
सिवान (बिहार): स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के सबसे कुशल कार्यबल सहित सभी हितधारकों के सम्मिलित और सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से भारत से तपेदिक यानी टीबी बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली की अपर सचिव सह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक आराधना पटनायक ने इस संबंध में पत्र जारी कर बताया गया है कि टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए विगत 07 दिसंबर 2024 से 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में टीबी को समाप्त करने के लिए राष्ट्रव्यापी 100 दिवसीय सघन अभियान चलाया जा रहा है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि पूरे देश में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के कार्यान्वयन में हम सभी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए अब सक्रिय रूप से टीबी रोगियों की खोज, शीघ्र निदान और उपचार सहित रोकथाम और पोषण संबंधी देखभाल से जुड़ाव जैसी गतिविधियों की सफलता के लिए आप सभी का समर्थन और सहयोग महत्वपूर्ण है। जिसमें आप सभी नियमित रूप से जागरूकता बढ़ाने, टीबी होने की संभावना वाले व्यक्तियों की पहचान करने, उन्हें स्क्रीनिंग, एक्स-रे और बलगम की जांच के लिए प्रेरित करने पर ध्यान दें।
संचारी रोग पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार ने कहा कि जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता के दिशा निर्देश और सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद के मार्ग दर्शन में जिले के सभी क्षेत्रों में यक्ष्मा विभाग द्वारा नियमित रूप से एक्सरे टेक्नीशियन द्वारा जांच और लैब टेक्नीशियन द्वारा बलगम जांच कराया जाता हैं। ताकि शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया जा सके। हालांकि वर्तमान में लगभग चार हजार टीबी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। वहीं टीबी बीमारी की देखभाल सेवाओं की पहुंच में सुधार और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपचार के पालन और वजन बढ़ने की निगरानी के लिए पहचाने गए टीबी रोगी के पास नियमित रूप से विभागीय अधिकारी और कर्मियों द्वारा फॉलोअप किया जाता है। क्योंकि कुपोषित और कम वजन वाले व्यक्तियों के मामले में यह और भी महत्वपूर्ण है। जबकि उपचार पूरा होने तक सभी रोगियों को सावधानी पूर्वक हर तरह से नियमित रूप से दवा सेवन और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आपके क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता प्रत्येक सप्ताह टीबी रोगियों से मिलने के लिए जा रही है या नहीं। सभी रोगियों के लिए निश्चय मित्रों और सामुदायिक स्वयं सेवकों की पहचान करते हुए बेहतर उपचार परिणाम को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए। तभी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए अपने चिकित्सा प्रभारी और जिला स्तर के यक्ष्मा अधिकारी या पर्यवेक्षकों से मार्गदर्शन किया जा सकता है।