100 दिवसीय सघन टीबी अभियान के तहत एचडब्ल्यूसी में स्वास्थ्य जांच शिविर का हुआ आयोजन!
टीबी उन्मूलन अभियान को शत प्रतिशत पूरा करना हम सभी का सपना: जिला यक्ष्मा पदाधिकारी
सिवान (बिहार): टीबी एक जानलेवा बीमारी है, जो माइकाबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु से होती है। टीबी को ही यक्ष्मा या क्षय रोग के नाम से जाना जाता है। उक्त बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसंतपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन ने समरदह गांव स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर स्वास्थ्य जांच शिविर सह टीबी उन्मूलन अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ल्ड विजन इंडिया के सहयोग और जिला यक्ष्मा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित टीबी मुक्त अभियान को लेकर सौ दिवसीय सघन टीबी अभियान के तहत कैंप का आयोजन किया गया है। क्योंकि दो सप्ताह या उससे ज्यादा दिनों से खांसी, बुखार या शाम के समय शरीर का गर्म होना, वजन में कमी और रात्रि में पसीना का आना, भूख नहीं लगना, सीने में दर्द की शिकायत, बलगम में खून का आना, कमजोरी के साथ साथ थकान जैसा महसूस होना और गर्दन के बगल में सूजन जैसी शिकायत या अनुमान होने की स्थिति में बगैर विलंब के नजदीकी एचडब्ल्यूसी या अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए उसका उचित सलाह ले और उपचार कराने की आवश्यकता है।
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि राज्य के दस जिलों में शामिल सिवान जिले के सभी प्रखंडों में संचालित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) के माध्यम से जिलेवासियों का विभागीय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित कर सभी तरह की बीमारियों का परीक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा टीबी मरीजों के परिवार के सदस्यों का भी स्क्रीनिंग एवं जांच के साथ साथ एक्सरे कर हाथों हाथ उसका रिपोर्ट दिया जा रहा है। हालांकि इसके अतिरिक्त विगत पांच वर्षों में टीबी का उपचार करा चुके रोगियों, एचआईवी से पीड़ित मरीजों तथा मधुमेह के मरीजों की जांच की जा रही हैं। क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने टीबी उन्मूलन अभियान को लेकर जो सपना देखे हैं उसका हर हाल में पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और यक्ष्मा विभाग हर संभव प्रयासरत है। क्योंकि भारत में प्रतिदिन लगभग एक हजार से अधिक लोगों की मौत टीबी जैसी बीमारी से हो रही हैं। हालांकि देश में सबसे अधिक फेफड़ों की टीबी होती हैं। ऐसे रोगियों की संख्या लगभग 85 से 90 प्रतिशत तक होती हैं। इसके अलावा अन्य किसी भी अंगों में टीबी हो सकती हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसंतपुर के प्रभारी बीएचएम सरफराज अहमद ने बताया कि स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य जांच शिविर में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सक डॉ नेसार अहमद, स्थानीय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) टीपू सुल्तान द्वारा संयुक्त रूप से स्वास्थ्य जांच शिविर में आए ग्रामीणों का उपचार किया गया। जबकि यक्ष्मा विभाग को सहयोग करने वाली सहयोगी संस्था वर्ल्ड विजन इंडिया के सी -19 परियोजना की ओर से एक्सरे टेक्नीशियन प्रतुल कुमार और सामुदायिक कार्यकर्ता (सीसी) सुनील कुमार ने एक्सरे कर यक्ष्मा की पहचान की गई। वहीं लैब टेक्नीशियन ललन यादव और दीपक कुमार द्वारा सैकड़ों ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। हालांकि डाटा ऑपरेटर चंदन कुमार के द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष्मान कार्ड बनाया गया है। आयोजित कार्यक्रम के दौरान मधुमेह, उच्च रक्तचाप और संक्रमण के कारण होने वाली बीमारियों को लेकर प्रशिक्षित चिकित्सक और कर्मियों द्वारा स्वास्थ्य जांच कर उसका उचित सलाह के साथ - साथ सीएचसी और एचडब्ल्यूसी द्वारा उपलब्ध दवाओं का निःशुल्क वितरण किया गया है। इस अवसर पर स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन, बीएचएम सरफराज अहमद, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, एएनएम पुष्पा कुमारी, सीमा कुमारी और वीणा कुमारी, आशा कार्यकर्ताओं में सुमिता देवी, सरोज देवी, सरिता देवी, मालती देवी और मीरा देवी उपस्थित रही।