///जगत दर्शन न्यूज
सिवान (बिहार): सिसवन प्रखंड क्षेत्र के जई छपरा गांव में कथा सुनने को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़। रविवार की साम 6 बजे के करीब जई छपरा गांव में चल रहे हैं मां काली स्थान पर देवी भागवत कथा के दौरान साध्वी सुप्रिया ने कहा कि नवरात्र के चौथे दिन दुर्गाजी के चतुर्थ स्वरूप माँ कूष्मांडा की पूजा और अर्चना की जाती है।
उन्होंने कहा कि माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था तो माँ दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी अभिहित किया जाता है। इनकी आठ भुजाएँ हैं और ये सिंह पर सवार हैं। मां के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करने से भक्त की सारा कष्ट दूर हो जाता है और उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। अगर कोई भी सच्ची भक्ति से माँ की पूजा अर्चना करें तो मां उसकी सदैव रक्षा करती है।