माँझी के डुमरी में दशकों से किया जाता रहा है रामलीला का सफल मंचन!
सारण (बिहार) संवाददाता संजीव शर्मा: जिले के माँझी प्रखंड के डुमरी गाँव में सैकड़ो वर्षों से जारी रामलीला का सफल मंचन आज भी जारी है। परम्परा के मुताबिक इस वर्ष भी रामलीला की शुरुआत नवरात्र के पहले दिन से ही शुरू हो गया। स्थानीय नवयुवक दुर्गा पूजा समिति के तत्वावधान में रामलीला पिछले 100 वर्षों से होता आ रहा है। इस पूजा समिति के चार अध्यक्ष हैं रामविलास सिंह, चन्द्रदेव सिंह, अरविंद सिंह तथा हरेराम यादव।
पूछने पर चन्द्रदेव सिंह ने बताया कि एक सौ वर्ष पहले हमारे पूर्वजों द्वारा नवरात्रि के शुरुआत से ही रामलीला का सफल आयोजन होता चला आ रहा है। गाँव के लोग आज भी उस परम्परा का निर्वहन बड़ी ही तन्मयता के साथ करते चले आ रहे हैं। समिति के सदस्य अरविंद सिंह ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी हमारी टीम रामलीला के मंचन के प्रति सक्रिय हैं। उन्होंने बताया कि पहले दिन रामलीला की शुरुआत श्रीगणेश वंदना के साथ हुआ तथा नारद मोह प्रसंग का मंचन किया गया।
रविवार की रात्रि में श्री राम जानकी विवाह के प्रसंग का सफल मंचन किया गया। इस अवसर पर कलाकारों ने सैकड़ों दर्शकों की वाहवाही के साथ साथ तालियाँ बटोरी। रामलीला का समापन दशहरे के बाद राम राज्याभिषेक के साथ किया जाएगा। मालूम हो कि टीवी सीरियल,प्रोजेक्टर पर दिखाए जाने वाले रामायण सीरियल के बाद से विलुप्त हो रही नाटक की परम्पराओं को आज ग्रामीण आज भी जीवंत रखे हुए हैं।
डुमरी के ग्रामीणों को नवरात्रि का रहता है इंतजार।
डुमरी गाँव मे आयोजित होने वाली रामलीला में गाँव के बड़े बुजुर्ग राजा दशरथ तथा राजा जनक का किरदार निभाते हैं। समिति के युवा सदस्य राम,लक्ष्मण,भरत तथा शत्रुध्न आदि का किरदार निभाते हैं। आस-पास के इलाकों के लोगों के लिए यह रामलीला आकर्षण का केन्द्र रहता है। डुमरी के रामलीला मैदान में दर्शक बड़ी उत्सुकता से रामलीला का आंनद उठाते हैं। कलाकार कहते हैं कि वैसे तो हमारा हर प्रसंग दर्शकों को बहुत भाता है,जिसमें भगवान श्रीराम की बाल लीला राम जानकी विवाह,ताड़कासुर वध,लंकादहन,राम रावण युद्ध,और रावण-बाणासुर प्रसंग यहाँ के रामलीला मंचन की खासियत है। पूर्व बीडीसी अशोक पाण्डेय ने बताया कि यह परंपरा पिछले एक सौ वर्षों से चली आ रही है। इसलिए हम लोग इस परम्परा को दिन ब दिन और अधिक आधुनिक तरीके से प्रस्तुत करते आ रहे हैं। इस बार भी दर्जनों कलाकार इस रामलीला में अभिनय कर रहे हैं। खास बात यह कि इसमें अभिनय करने वाले सभी कलाकर स्थानीय ग्रामीण हैं, कोई पेशेवर कलाकार नहीं हैं। रामलीला में प्रयुक्त सभी सामग्री समिति के पास सालों भर सुरक्षित रखी जाती हैं तथा गाँव के सम्भ्रांत लोग दिल खोलकर समिति को आर्थिक सहायता भी करते हैं।
रामलीला के प्रमुख कलाकारों में रमईया लाल, पृथ्वीनाथ ओझा, सुभाष ओझा, बिक्कू सिंह, रितिक कुमार, आत्मा पाण्डेय, झूलन यादव, मनन सिंह, कमलेश तिवारी, राजू सिंह,भूदानी सिंह, गजेंद्र सिंह, अनिल प्रसाद,जयराम सिंह, निक्कू ओझा, छोटू पाण्डेय, राम सूरत सिंह, मिंटू यादव, काशीनाथ साह तथा बुद्धन प्रसाद आदि शामिल हैं।