बरसात के मौसम में सड़के बनती जा रही मौत का कुआं!
बरसात का मौसम सभी मौसमों में सबसे आनंददायक माना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ वर्षा, बर्फबारी और ओलों का गिरना है, जिसे अंग्रेजी में ‘रेनी सीजन’ व मानसून सीजन भी कहा जाता है। यह मौसम धरती पर उपस्थित सभी जीवों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बारिश का पानी मीठे और ताजे जल का स्रोत बनता है। सभी जीव इस मौसम की प्रतीक्षा करते हैं और इसके आगमन की प्रार्थना करते हैं। बरसात का हर दिन अद्भुत होता है। बारिश की पहली बूंद गिरते ही धरती, आकाश, प्रकृति और जीव-जंतु पुनर्जीवित हो उठते हैं। इस मौसम का दृश्य अत्यंत भव्य और अद्वितीय होता है, जब ठंडी हवाएं चलती हैं और आकाश काले बादलों से ढक जाता है। पेड़-पौधे हवा की लहरों में झूमते हैं। कभी-कभी बारिश की शुरुआत आंधी-तूफान के साथ होती है।
बरसात का यह मौसम किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि अच्छी फसल के लिए वर्षा आवश्यक है। देश के कई क्षेत्रों में किसान अपनी फसलों के लिए बारिश के पानी पर निर्भर करते हैं। गर्मी के कारण कई नदियाँ, तालाब और वन सूख जाते हैं, जिससे वहां रहने वाले लोगों और जीव-जंतुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन बरसात के बाद ये जल स्रोत फिर से भर जाते हैं और पेड़-पौधे भी हरे-भरे हो जाते हैं। वर्षा ऋतु का आनंद हर कोई अपने तरीके से लेता है। कुछ लोग बाहर जाकर इसका मजा लेते हैं, जबकि कुछ अपने परिवार के साथ घर पर सुखद पल बिताते हैं। मई-जून की गर्मी के दौरान जब आसमान में काले बादल छाने लगते हैं और तेज ठंडी हवाएं चलने लगती हैं, तो यह संकेत होता है कि मानसून जल्द ही आने वाला है। इस मौसम में बारिश कभी भी हो सकती है, लेकिन वह पहले से ही संकेत दे देती है। धूप धीरे-धीरे कम होने लगती है और उसकी जगह बादल ले लेते हैं।
वर्षा ऋतु की सुंदरता के साथ-साथ इसके कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं भी गंभीर हैं। देश में अत्यधिक वर्षा के कारण कई क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे व्यापक नुकसान होता है। जब बारिश की मात्रा उम्मीद से अधिक होती है, तो यह किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाती है और उनकी मेहनत व्यर्थ हो जाती है। सड़कों पर खतरे में वृद्धि होती है और तेज बारिश के कारण कई दुर्घटनाएं घटित होती हैं। अत्यधिक वर्षा से सड़कों पर जलभराव हो जाता है, जिससे यातायात में बाधा उत्पन्न होती है। बारिश के मौसम में, बाढ़ और भारी वर्षा के दौरान, सड़कें गड्ढों और अन्य विकृतियों का शिकार हो जाती हैं। इसी प्रकार, भारी मात्रा में बारिश होने के कारण सड़कें अधिक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे गड्ढों का निर्माण होता है और सड़कें फिसलन भरी हो जाती हैं।
कारण
बरसाती जल निकासी की व्यवस्था का अभाव। सड़कों में तूफान नालों का उचित प्रबंधन न होना, जो बरसाती जल को एकत्रित होने से रोकने के लिए आवश्यक है।
सड़कों के स्तर का ध्यान नहीं रखा जाता और नालियों की सफाई नहीं होती। बरसाती नालों पर अतिक्रमण हो रहा है, जिससे वर्षा का पानी आगे नहीं बढ़ पाता। इस कारण, सारा पानी शहर की सड़कों पर जमा होकर बाढ़ का रूप ले लेता है। यदि सड़कों का स्तर सही किया जाए और बरसाती नालों को अतिक्रमण मुक्त कर उनकी सफाई की जाए, तो समस्या का समाधान संभव है।
बारिश का पानी शहरी क्षेत्रों में समस्या उत्पन्न करता है, क्योंकि वहां सीवर लाइनों और गंदे नालों की सफाई नहीं होती। सीवर लाइनें हमेशा कचरे से भरी रहती हैं और बारिश के समय पर भी सफाई का कार्य नहीं किया जाता।
नालियों और नालों में घरों और दुकानों का कचरा फेंकने की आदत और नियमित सफाई की कमी के कारण हर वर्ष बारिश के पानी का प्रवाह बाधित होता है। बारिश का पानी पहले नालियों में रुकता है, फिर सड़कों पर और अंततः घरों में भर जाता है। यह समस्या जनता और सफाई कर्मचारियों की लापरवाही के कारण उत्पन्न होती है।
शहरों में अनियोजित विकास के चलते पानी के स्वाभाविक मार्गों को अवरुद्ध कर अवैध कॉलोनियों का निर्माण किया गया है। इस कारण बारिश का पानी शहरों के लिए एक गंभीर समस्या बन जाता है, क्योंकि इसकी निकासी के लिए उचित व्यवस्था नहीं होती। नालियों में प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों का ढेर लग जाता है, जिससे नालियां जाम हो जाती हैं। परिणामस्वरूप, बारिश का पानी सड़कों और घरों में फैलने लगता है। इस समस्या के समाधान के लिए उचित जल निकासी व्यवस्था की आवश्यकता है।
सड़कों पर गड्ढों का होना अक्सर वाहनों के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। वर्षा के दौरान, इन गड्ढों का पता लगाना कठिन हो जाता है, जिससे दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। सड़कों के मध्य स्थित गड्ढों के कारण कई लोग जान गंवा रहे हैं। दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए गड्ढों को भरना अत्यंत आवश्यक है। प्रदेश सरकार और नगर निगम गड्ढा मुक्त सड़कों का आश्वासन देते हैं, जबकि सड़कों की मरम्मत पर हर वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। इसके बावजूद, शहरों में कई सड़कों पर गड्ढे बने हुए हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। बारिश के मौसम में, जब पानी तेजी से भर जाता है, तो ये गड्ढे और भी अधिक खतरनाक हो जाते हैं। भारी वर्षा के कारण सड़कों, नालियों और उबड़-खाबड़ रास्तों पर दृश्यता कम हो जाती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
खराब बिजली के खंभों का मुरम्मत समय पर ना हो पाना। बरसात के दिनों में दुर्घटना का कारण भी बने हुए हैं। ऐसे में पैदल या वाहनों में आते जाते लोगों के लिए संकट का कारण बना हुआ है।
जिम्मेदार;
सड़कें, बिजली व्यवस्थाएं चाहे सरकारी हों या निजी संस्थाओं द्वारा निर्मित, उनमें ईमानदारी की कमी स्पष्ट है। लागत बचाने के प्रयास में निम्न गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो बारिश के समय अपनी असली स्थिति प्रकट कर देती है। सड़कों में होने वाली टूट-फूट के बाद उनकी मरम्मत कई महीनों तक नहीं की जाती। बिजली के खंभों समय-समय पर जांच ना होना। इस स्थिति में आम जनता को खराब सड़कों का उपयोग करते हुए अपनी जान को जोखिम में डालना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप, प्रतिदिन दुर्घटनाओं की खबरें सुनने को मिलती हैं। प्रशासन केवल धन संग्रह में ही सक्रिय रहता है, अन्य किसी कार्य के प्रति सजग नहीं होता। जब रोड टैक्स लिया जा रहा है, तो सड़कों की उचित देखभाल भी आवश्यक है। सड़कों में भरा बारिश का पानी ऊपर से बिजली की नंगी तारे जो सड़कों पर यूं ही लटकती हुई नजर आती है बरसात के दिनों में यह करंट का उत्पन्न करती हैं जिससे दुर्घटना होना संभव हो जाता है। बच्चे हो या बूढ़े पैदल चल रहे यात्री हो या वाहनों में सभी को इसका शिकार बनना पड़ता है।
सावधानियां
• बरसात के दिनों में बढ़ते दुर्घटना का कारण कहीं ना कहीं आम जनता द्वारा नियमों का उल्लंघन करने से भी है। सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करना आज हर मौसम में हम सभी के लिए जानलेवा साबित होता जा रहा है। गर्मी की ऋतु में पेड़ों के न होने की वजह से ठंडी हवाओं की कमी और बरसात में पेड़ पौधे ना होने की वजह से जल संरक्षण नहीं हो पा रहा।
• अपने आसपास के वातावरण को साफ रखें जिससे बारिश का पानी एक जगह पर तालाब का रूप ना ले सकें। सीवरेज पाइप, नालो की सफाई के लिए समय-समय करवाएं।
• बरसात शुरू होने से पूर्व ही नगर निगम से सड़कों की मरम्मत के लिए निवेदन करें। सीवरेज चैंबर खुले होने पर उसे जगह पर लकड़ी और लाल कपड़े की मदद से अलर्ट रहने का संकेत जरूर दें क्योंकि बरसात के मौसम में लोगों द्वारा सीवरेज चैंबर खोल दिए जाते हैं ताकि बरसात का पानी उनके घर तक न पहुंचे परंतु इससे आने जाने वाले व्यक्ति को नहीं पता होता की कहां पर सीवरेज चैंबर खुला हुआ है जिस कारण उसके लिए वह मौत का कुआं बन सकता है।
• बरसात के दिनों में वाहनों का प्रयोग करते समय हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग जरूर करें। तेज गति में वाहनों को ना चलाएं। बरसात मौसम शुरू होने से पहले अपने वाहनों की सर्विस करवा ले। बरसात के मौसम में अधिकतर लोग वाहनों पर स्टंट करने की सोचते हैं जो की बहुत जोखिम भरा साबित हो सकता है।
• जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकले। भारी वर्षा अलर्ट होने की खबर पता चलने पर सोच समझ कर ही घर से बाहर कदम रखें। घर से बाहर निकलते समय अपने साथ रेनकोट या छाता जरूर रखें।