हिन्दी साहित्य और मैथिली की भूमिका पर हुई आभासी गोष्ठी!
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, के तत्वाधान में शनिवार को बिहार इकाई द्वारा आभासी गोष्ठी (ऑनलाइन कार्यक्रम) का आयोजन किया गया जिसका विषय : हिन्दी साहित्य और मैथिली की भूमिका था।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदे की वंदना से प्रारंभ हुई। श्रीमती बिंदु श्रीवास्तव जी झारखंड ( सिमडेगा) की मशहुर साहित्यकारा ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना से पटल पर माँ वागेश्वरी का आवाह्न किया। स्वागत डॉ० मीना परिहार जी ने और संचालन बहुत ही प्रभावशाली और सुंदर ढंग से रजनी प्रभा जी के द्वारा किया गया। वक्ता के रूप में आमंत्रित श्रीमती दीपा मिश्रा जी ने मैथिली का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव है इसके इतिहास पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।उन्होंने लुप्त होती मैथिली संस्कृति को बचाने का आग्रह भी किया। विशेष रूप से विद्यापति के भक्ति भाव का जो मैथिली में वर्णन है उस विधा के भाव को भी बताया। दूसरे आमंत्रित वक्ता के रूप में श्री राजीव रंजन जी ने मिथिला के ऐतिहासिक भूमी की सुंदर शाश्वत वर्णन कर मैथिली की गरिमा को श्रेष्ठ बताए।उन्होंने मिथिला में होनेवाली वादानुवाद की प्रणाली की गौरवमई गाथा भी प्रस्तुत की साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि आज के दूषित परिवेश में अगर मैथिली भाषा को आत्मसात किया जाए तो आपसी सौहार्द और भाईचारे का सुंदर वातावरण निर्मित हो सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती उषा किरण जी ने मैथिली का सुंदर बखान करते हुए इस भाषा की मिठास को गीत के जरिए सुनायी। उन्होंने हिंदी और मैथिली के उद्भव और विकास पर प्रभाव डाला।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान की मजबूत स्तंभ आदरणीया डॉ.विजय लक्ष्मी रामटेके जी ने भी हिन्दी और मैथिली के अंतर को स्पष्ट किए।उन्होंने मैथिली को गुड़ सी मीठी भाषा कहा। श्री गुलाब चंद पटेल जी ने भी मैथिली की गौरवमयी इतिहास को दर्शाया, डॉ. कृष्णा मणि श्री जी ने एक सुंदर संस्मरण एक गीत के रूप प्रस्तुत की, श्री अरुण कुमार जी ने भी मैथिली भाषा जो पौराणिक कथाओं में वर्णित है को भी बताया, मुन्नी जी ने बहुत महत्वपूर्ण बात मैथिली के उत्थान में कही।
अध्यक्षीय भाषण में श्रीमती उषा किरण जी ने हिन्दी साहित्य और मैथिली की भूमिका पर प्रभावकारी उदबोधन किया एवं वर्तमान में मैथिली का सर्वव्यापी विकास हो इस पर पूरजोर सर्मथन किया।
पटल पर देश के विभिन्न शहरों से माधवी लता जी, मीना जी, राजीव रंजन जी, नंद कुमार जी, श्वेता भारती जी, शैलजा रोला जी, संजय कुमार झा जी, धर्म चंद शर्मा, डॉ. अनामिका, राजीव मांझी, रजनी कांत गिरी, मणि प्रभा,, राजेन्द्र आर्य एवं श्याम देव पंडित आदि सैकड़ो श्रोतागण जुड़े रहे। अंत में आभार ज्ञापन अंजुला कुमारी जी ने किया। संस्थान के यशस्वी सचिव डॉक्टर गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी भी पावन उपस्थिति के साथ उनके आर्शीवचन भी प्राप्त हुए। हिन्दी साहित्य और मैथिली की भूमिक पर आयोजित आभाषी गोष्ठी सुंदर और सफल रही।