हिंदी हिंदुस्तान की
किसको व्यथा सुनाये जाकर,
वो अपने अपमान की,
कितने आंसू और पियेगी,
हिंदी हिंदुस्तान की,
व्यर्थ अपाहिज बना रखा है
पूर्ण आत्मनिर्भर भाषा को,
न्याय मंदिरों में दुत्कारा,
जाता है मां की भाषा को,
कब विधान को बदलेगी
परिभाषा राष्ट्रगान की,
कितने आंसू और पियेगी
रोते हैं रहीम के दोहे,
सूरदास के पद हैं घायल,
फफके साखी कबीर की'औ'
मीरा के गीतों की पायल
कब तक सिसकेगी चौपाई
में भाषा भगवान की
कितने आंसू और पियेगी
हिंदी की माटी का दीपक,
कोने में टिम-टिमा रहा है,
परदेसी चिराग भाषा का,
हिमगिरि पर जगमगा रहा है,
कब तक अग्निपरीक्षा होगी
हिंदी के सम्मान की,
कितने आंसू और पियेगी
गृह स्वामिनि को बेघर कर
जिसने जन-जन को त्रस्त किया है,
वह भाषा शासक है जिसने
जलियांवाला रक्त पिया है,
कब तक और सताएगी
प्रेतात्मा इंग्लिशतान की,
कितने आंसू और पियेगी,
हिंदी हिंदुस्तान की।
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