किसानों को बागवानी, मत्सपालन, पशुपालन, कृषि इंजीनियरिंग का मिलेगा प्रशिक्षण!
किसानों को आवश्यकता अनरुप बागवानी, मत्सपालन, पशुपालन, कृषि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिलायें:-डी एम
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आत्मा के शासी परिषद की बैठक संपन्न हुई।
सारण (बिहार) संवाददाता सत्येंद्र शर्मा: जिलाधिकारी अमन समीर की अध्यक्षता में आज आत्मा के शाषी परिषद की बैठक आहुत की गई। जिलाधिकारी ने आगामी पाँच वर्षों के लक्ष्य में ध्यान रखते हुये किसानों के लिए उपयुक्त क्षेत्र चयन के आधार पर प्रशिक्षण की योजना बनाने को लेकर स्पष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने का निदेश दिया। बागवानी, मत्स्य पालन, पशुपालन, कृषि इंजीनियरिंग पर आगामी 5 वर्षों के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण दिलायें पर बल दिया गया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि हर जिले की अपनी विशेषता होती है, उसी के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनाएं। इसके लिये किसानों से फीडबैक लें। फीडबैक एकत्र करने के लिए एक उचित तंत्र विकसित करें और प्रशिक्षण के लिए एक कैलेंडर तैयार करें। क्षेत्रीय अधिकारी किसानों से प्रत्यक्ष जानकारी लेते हैं और फिर निर्णय लेते हैं कि उनकी मदद कैसे की जाए। प्रशिक्षण कार्यक्रम सिर्फ खानापूरी नहीं होना चाहिए, बल्कि यह आवश्यकता आधारित होना चाहिए। उदाहरण के लिए मत्स्य पालन में, डीएम ने विस्तार से बताया, किसान विशेष नस्ल की मछलियाँ पालना चाह सकते हैं इसके लिये एक हैचरी बनाएं, बेहतर परिणामों के लिए विशिष्ट प्रकार की प्रतिक्रिया चुनें। यही बात बागवानी जैसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू होती है। कृषि रोडमैप जिले में आयोजित कृषि का प्रकाश स्तंभ है। इसी तर्ज पर आपको किसानों से सीधा संवाद करना चाहिए और उनकी सीधी प्रतिक्रिया लेनी चाहिए और उसे रिकॉर्ड करना चाहिए। वानिकी भी आत्मा का एक हिस्सा है। उस क्षेत्र से जुड़े किसानों से बातचीत पर भी ध्यान केंद्रित करें।
डीएम ने कहा कि बाजरा, नकदी फसल, बागवानी और पशुपालन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। ये क्षेत्र किसानों को उच्च आय प्राप्त करने में सहायता करते हैं। उदाहरण के लिए, सारण में किस प्रकार की दालें सबसे अधिक पैदा होती हैं, उत्पादकता बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है, आत्मा को इन क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, न कि केवल सतही विश्लेषण पर। निर्धारित मानकों के आधार पर जिले का कृषि मानचित्र बनाएं जिसमें दर्शाया गया हो कौन से क्षेत्र किस फसल के उत्पादन में समृद्ध हैं।