डेंगू और चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और निदान को लेकर परिचर्चा का हुआ आयोजन!
राज्य स्तरीय मीटिंग के दौरान डेंगू और चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और निदान को लेकर की गई परिचर्चा : डॉ दिलीप कुमार
सारण (बिहार) संवाददाता सत्येंद्र कुमार शर्मा: राज्य स्तर पर डेंगू एवं चिकनगुनिया के क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल को लेकर विगत दिनों चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रशिक्षण कराया जा चुका है। लेकिन जिले के अधिकांश निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम में भी डेंगू एवं चिकनगुनिया के मरीज मिलता है। जिसके आलोक में जिला स्तर पर वैसे निजी नर्सिंग होम के चिकित्सकों को भी डेंगू एवं चिकनगुनिया के क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल से संबंधित प्रशिक्षण के लिए चयनित किया जाए, जहां से डेंगू एवं चिकनगुनिया के मरीज प्रतिवेदित हो रहे हैं। जिसको लेकर सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला मलेरिया कार्यालय के सभागार में राज्य स्तरीय ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन किया गया। जिसमें सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ आरएन तिवारी, डॉ हरेंद्र कुमार, डॉ शैलेश कुमार और जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार सहित शहर के 15 निजी अस्पतालों के चिकित्सक और कर्मी जुड़े हुए थे। हालांकि ऑनलाइन मीटिंग के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार सिंह, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के धर्मेंद्र रस्तोगी, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी अनुज कुमार, शशिकांत कुमार, सतीश कुमार, सुमन कुमारी, मीनाक्षी सिंह, एफ एल ए शाकिब अयाज, डीईओ आनंद कुसुमाकर सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि चिकुनगुनिया के लक्षण डेंगू और अन्य रोगों से मिलते- जुलते होने के कारण चिकनगुनिया के मामलों के उचित प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनसीवीबीडीसी) ने 2023 में 'नेशनल गाईड लाईन फॉर क्लिनिकल मैनेजमेंट ऑफ चिकनगुनिया विकसित की गई। उसके बाद चिकित्सा के क्षेत्र में हुए विकास को ध्यान में रखते हुए चिकुनगुनिया के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशा- निर्देशों को नवीनतम रूप दिया गया है। राज्य स्तरीय मीटिंग के दौरान डेंगू और चिकनगुनिया के कारण, लक्षण और निदान को लेकर परिचर्चा की गई। क्योंकि चिकनगुनिया एडीज मच्छर जनित वायरल बुखार है, जो राज्य और जिला स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक चिंता का सबब बना हुआ है। हालांकि यह घातक रोग नहीं है, लेकिन पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक जोड़ों के दर्द से प्रभावित रहते हैं तथा इससे कई सामाजिक और आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। चिकनगुनिया से बचने के लिए किसी टीके के नही होने कि स्थिति में इसके रोकथाम के लिए इसे फैलाने चाले एडीज मच्छरों का नियंत्रण महत्वपूर्ण प्रयासों में से एक है। साथ ही चिकनगुनिया के लिए कोई विशिष्ट दवा नहीं है, इसलिए लक्षणों के आधार पर इसका उपचार या प्रबंधन किया जाता है, ताकि पीडित व्यक्ति को राहत मिल सके।