दिव्यालय के छन्दमय वार्षिकोत्सव में 'रावा' और 'डब्ल्यू डब्ल्यू डी' का कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न!
पटना (बिहार): दिव्यालय जो छ्न्द शिक्षण का एक आनलाइन पटल है, अपने प्रथम वार्षिकोत्सव का आयोजन पटना स्थित ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट (मरियम ड्राइव, अशोक राजपथ, पटना) के सभागार में 29 जून 2024 को किया, जिसमें बिहार के आइपीएस विकास वैभव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ 'रावा' व 'महिला कल्याण विभाग' (WWD) के प्रवर्त्तक श्री श्री आनन्दमूर्त्ति ऊर्फ श्री प्रभात रंजन सरकार के प्रतिकृति पर माल्यार्पण तथा पुष्पार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ आनन्द मार्ग के आचार्य गुणीन्द्रानन्द अवधूत, अवधूतिका आनन्द स्नेहमया आचार्या, अवधूतिका आनन्द प्रमिति आचार्या तथा दिल्ली से आये साधक अजय भल्ला, संजीव नारंग, स्वर्ण लता, सुरजीत सक्सेना तथा दिव्यालय परिवार के पदाधिकारी गण के द्वारा हुआ।
उक्त कार्यक्रम के दौरान कौशिकी नृत्य प्रतियोगिता, ताण्डव नृत्य प्रतियोगिता, संगीत नृत्य प्रतियोगिता, नाटक प्रतियोगिता आदि भी सम्पन्न हुए, जिसके निर्णायक दल मे अजय भल्ला, स्वर्णलता, सुरजीत सक्सेना, संजीव नारंग, अवकाश प्राप्त कर्नल रामपाल आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम 'रिनेशां आर्टिस्ट्स एण्ड राइटर्स असोशिएशन' (रावा) का परिचय देते हुए आचार्य गुणीन्द्रानन्द अवधूत ने कहा कि 'रावा' ऐसे साहित्यकारों और कलाकारों का मंच है, जो दुनिया के साहित्यकारों और कलाकारों को नैतिक व आध्यात्मिक मानवीय मूल्यों पर क्रमश: साहित्य व कला सृजन के लिए प्रोत्साहित करता है। इसका मानना है कि कला सिर्फ कला के लिए नहीं बल्कि कला, सेवा और कल्याणमूलक होना चाहिए। उन्होंने दिव्यालय के उपस्थित सदस्यों को इसी विचारधारा पर साहित्य रचना करने की अपील की।
तत्पश्चात् प्रभात रंजन सरकार द्वारा रचित व प्रतिपादित प्रभात संगीत घराने (दुनिया के सभी राग- रागिनियों में रचित 5018 गीतों का समाहार) के कुछ भावपूर्ण गीतों पर आनन्द मार्ग विद्यालय (बेतिया) के छात्राओं ने नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति की। इस दौरान दो मूल्यबोधक लघु नाटिकाओं का मंचन किया गया, जिसमें एक 'वृद्धाश्रम में रहे वृद्धों की दुर्दशा' का मार्मिक चित्रण किया तथा दूसरा 'बाल मजदूरी के भयंकर दुष्परिणाम' को बखूबी रेखांकित किया।
इस दौरान मसौढ़ी से आये विद्या इण्टरनेशनल पब्लिक स्कूल के बच्चियों के द्वारा 'कौशिकी नृत्य प्रतियोगिता' हुई, जिसमें अव्वल आने वाले प्रथम तीन बच्चियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए शील्ड दिया गया। 'कौशिकी नृत्य' की प्रस्तुति करते हुए पटना हाइकोर्ट के अधिवक्ता श्रीमति पूनम ने कहा कि कौशिकी नृत्य का प्रवर्त्तन 6 सितम्बर 1978 में पटना के पाटलिपुत्र स्थित आनन्द मार्ग आश्रम में सद्गुरु श्री श्री आनन्दमूर्त्ति जी ने महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य- रक्षा, मानसिक विकाश और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया था, जो उनके 22 प्रकार के बीमारियों का रामबाण इलाज (Panacea) है। इसका नियमित अभ्यास महिलाओं के सम्पूर्ण स्वास्थ्य का समाधान है, इसलिए इसका नियमित अभ्यास अत्यन्त आवश्यक है। इसे पुरुष भी कर सकते हैं।
'ताण्डव प्रतियोगिता' की प्रस्तुति के अवसर पर इसके बारे में आचार्य गुणीन्द्रानन्द अवधूत ने कहा कि यह पुरुषों के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसका प्रतिपादन आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व भगवान सदाशिव ने किया था। यह जीवन दायिनी शक्ति का मृत्युकारक शक्ति के ऊपर संग्राम तथा विजय का प्रतीक-नृत्य है। उन्होंने कहा कि ताण्डव नृत्य का अभ्यास विद्यार्थियों, युवाओं तथा प्रौढ़ों को अवश्य करना चाहिए। यह शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकाश का एक मात्र नृत्य-व्यायाम है जिससे स्मृति में वृद्धि होती है। आनन्द मार्ग प्रचारक संघ इसकी शिक्षा सबों को नि:शुल्क दे रहा है। ताण्डव नृत्य प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने वाले बाल वर्ग और युवा वर्ग के प्रत्याशियों को शील्ड से सम्मानित किया गया। बाल वर्ग आनन्द मार्ग विद्यालय, पोस्टल पार्क, पटना से आये थे जबकि विद्यार्थी-युवा वर्ग आनन्द मार्ग के सदस्य हैं। ताण्डव नृत्य का नेतृत्व आनन्द मार्ग विद्यालय के प्राचार्य आचार्य चिदम्बरानन्द अवधूत ने किया।
दिव्यालय' की ओर से सभी आचार्यों तथा साधक साधिकाओं का भव्य स्वागत किया गया। बड़ौदा से आयी 'दिव्यालय' की अनन्य साधिका श्रीमति मंजरी निधि 'गुल' ने इसका भव्य संचालन किया। वहीं संस्थापिका व्यंजना आनन्द 'मिथ्या' ने सभी प्रत्याशियों तथा निर्णायक दल के सभी सदस्यों का उनकी अहम् भूमिका के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।