प्रहरी मंच द्वारा हुई ऑनलाइन मनमोहक काव्य गोष्ठी!
देवरिया (उत्तरप्रदेश): प्रहरी मंच उत्तर प्रदेश की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न भारतीय सैन्य और अर्द्धसैन्य परिवारों के कवि एवं कवयित्रियों के समृद्ध काव्य मंच प्रहरी मंच, उत्तर प्रदेश की अप्रैल माह की मासिक गोष्ठी गूगल मीट द्वारा ऑनलाइन सम्पन्न हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न प्रांतों के रचनाकारों ने काव्य की विभिन्न विधाओं में विभिन्न विषयों को छुआ।डॉ.मीता गुप्ता (अध्यक्ष, प्रहरी मंच उ प्र) ने बताया कि काव्य गोष्ठी का आयोजन श्री नरेश नाज़ जी (संस्थापक, प्रहरी मंच मकाम) के सान्निध्य में संपन्न हुआ। श्री प्रवल प्रताप राणा ‘प्रवल’, (सचिव, प्रहरी मंच, उत्तर प्रदेश) द्वारा मंच संचालन किया गया। श्रीमती स्वदेश चिरौरा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। काव्य गोष्ठी में डॉ मीता गुप्ता ने ‘तुम्हारे साथ रहकर’ कविता के माध्यम से संबंधों की प्रगाढ़ता पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ स्वदेश चरौरा ने ‘भारत वंदन तथा पूर्ण समर्पण’ कविता सुनाकर वातावरण को ओजमय बना दिया। डॉ समोद सिंह कमांडो ने अपनी मधुर वाणी में लयबद्ध रचना प्रस्तुत की। सुनीता सिंह सरोवर ने अपनी रचना से सबका मन मोह लिया। प्रवल प्रताप सिंह राणा "प्रवल" ने अपनी रचना से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। क्षमा श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत "सख्त बनने के लिए सख्त होना पड़ा, क्या लिखूं उसपे मैं यारो वो मर्द है " में पुरुषों के व्यक्तित्व व मानसिकता पर सटीक टीका की गई, जिसे सबने खूब सराहा। अरुणा राणा ने ‘अब युद्ध की तैयारी है सिया राम की, एक छोटी सी कहानी है सिया राम की। ‘कविता के माध्यम से रामनवमी के अवसर पर रामलला का गुणगान किया। शालू गुप्ता ने मनमोहक अंदाज़ में शब्दों और कविता के जंजाल को व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। नीरज त्यागी ने अपनी मनमोहक और मधुर वाणी में भावमय गीत प्रस्तुत किया। इन्दिरा कुमारी ने हिंदू नववर्ष का स्वागत नए अंदाज़ में करते हुए कहा ’स्वागतम्र रखे स्वच्छ पर्यावरण, प्रकृति व वातावरण, धरा हरा भरा संग, प्राणवायु शुद्धतम्, हे नववर्ष तुम्हारा स्वागतम्। ‘अन्नपूर्णा बाजपेयी आर्या, ने गज़ल प्रस्तुत की, जिसके बोल थे ’अजनबी तुम अजनबी हम प्रेम कहां चुक गया। मंज़िल तक पहुंचा नही रास्ता कहां रुक गया। गीता द्विवेदी ने मां दुर्गा का दरबार सजाते हुए कहा ’आया नौ दिन का त्यौहार, सजा है मंदिर और दरबार, मईया आज पधारी कर सोलह श्रृंगार है ,चुनरी गोटेदार है ना।‘
इस सुंदर काव्य गोष्ठी का समापन डॉ प्राची गर्ग की ऐसी रचना से हुआ जो उन्होंने लगभग 30 वर्ष पहले लिखी थी। कविता ने अत्यंत दार्शनिक और ईश्वर की सत्ता को सर्वोपरि और सर्वव्यापक होने का संदेश दिया, जिससे सब प्रभावित हुए। सभी ने प्रवल प्रताप राणा ‘प्रवल’ जी के सुंदर मंच संचालन की सराहना की और इस प्रकार से अप्रैल माह की काव्य गोष्ठी का समापन हुआ।