अब कौतूहल भी मेरे कौतूहल से...
खामोशियां भी इतनी खामोश थीआहट भी ना कर सके।
सताने लगी थी सनसनाहट
अपने हवाओं की भी।
लाख कोशिश की कि रोक दूं
इन हवाओं के सनसनाहट को भी।
लेकिन डरने लगा बाद के कौतूहल से
आवाम- ए- ख़ास फिक्र ना करें
मुझे तिल्फ समझने की।
इसलिए मैंने अपने दर्प को तोड़ा,
निःशब्दता को छोड़ा।
अब कौतूहल भी मेरे कौतूहल से
रमीदा कर मुझे सजदा करेगा।
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