दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय में भोपाल की रहने वाली एक सफल माँ भगवती पंत जी का हुआ साक्षात्कार!
होस्ट - किशोर जैन
रिपोर्ट- सुनीता सिंह 'सरोवर'
माँ अपने में एक एहसास है, प्यार है। ये परिवार का पूरा ख्याल रखती है। अपनी हॉबीज को मन मारकर परिवार के खुशियों के बारे में सोचती है और प्रण लेती है कि जो मेरे सपने अधूरे रह गये वे मैं अपने बेटियों से अपने सपने पूरे करुँगी। आज दिव्यालय अपने व्यक्तित्व परिचय में कुछ बातें नई पुरानी में एक ऐसी माँ को लेकर उपस्थित हुआ है जिसके सपनों को पूर्ण किया उनकी चार बेटियों ने। तो आइये हम सुनते हैं आदरणीया भगवती पंत जी की कहानी उन्हीं की जुबानी।
प्र.1. आप कहाँ से हैं? आपकी शिक्षा कहाँ से हुई और आप भोपाल कैसे पहुँच गयी, अभी तक आपने किन - किन देशों की सैर कर चुकीं?
उत्तर- जी वैसे तो मैं उत्तराखण्ड की रहने वाली हूँ। मेरा जन्म मेरी शिक्षा उत्तराखण्ड से ही हुई। मैं शादी के बाद अपने पति के साथ उत्तराखण्ड शिफ्ट हुई क्योंकि मेरे पति बी. एच. एल में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। तो शादी के बाद मैंने वही से अपनी उच्च शिक्षा भी पूरी की और वही मैंने भी लेक्चरर के रूप में कार्य किया। आज मैं अपनी बेटियों के कारण स्पेन, आबूधाबी, न्यूयॉर्क आदि देशों का भ्रमण कर चुकी हूँ और बहुत जल्द उज्बेकिस्तान जाने वाली हूँ।
प्रश्न-2 फिल्म गंगाजल निर्माता प्रकाश झा आपके घर क्यूँ आये?
उत्तर- जी। मेरे द्वारा लिखित कहानियाँ भी प्रेरणा पूर्ण हैं। फिर कहते हैं ना जब बच्चे सफल हो जाते हैं, तो मात- पिता को भी मान - सम्मान मिलता है। इन सभी को देखकर ही फिल्म गंगाजल निर्माता प्रकाश झा जी हमारे घर आए।
प्रश्न-3. आपने संगीत विषारद किया तो क्या आपके परिवार में कोई शास्त्रीय गायक हुआ?
उत्तर- जी। मुझे संगीत में रुचि थी। इसलिए शादी के बाद मैंने हिंदी साहित्य से पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। उसके बाद संगीत विषारद, फिर मुझे भोपाल रेडियो स्टेशन से मेरे गीतों की प्रस्तुति भी प्रसारित होती थी, और मैं अपने विद्यालय में भी बच्चों को संगीत सिखाती थी।
प्रश्न-4 आज आपकी चारों बेटियां उच्च पदों पर पदासीन हैं, ये सभी देश की सेवा कर रहीं हैं, तो ये कैसे संभव हुआ? आपने अपनी बेटियों को कौन सा नैतिक मूल्य का पाठ पढ़ाया?
उत्तर- जी। मैंने शुरू से ही अपने बेटियों को प्रेरित किया। उनके रूचि को देखते हुए उन्हें उनके पाठ्यक्रम दिए। जैसा की आजकल के मात- पिता बच्चों को छोटी उम्र में मोबाइल फोन देकर अपने दायित्व का इतिहास समझतें हैं। तो ऐसा कभी नहीं होना चाहिए। आप बच्चों को वक्त दें उनके भावनाओं को समझे। तभी हमारे बच्चे भी हमारा और हमारे देश का मान रखेंगे। मैंने शुरू से ही अपनी बेटियों को अनुशासित ढंग से जीना और अपने कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
प्रश्न- 5 क्या आप किसी सामाजिक संस्था से भी जुड़ी हैं? फिर आपके मन में सेवा भाव कैसे आया।
उत्तर- जी, मैं हमेशा से चाहती थी कि मैं समाज के गरीब बच्चों के लिए कुछ करूँ। जो गरीबी या अन्य कारणों के वजह से स्कूल जाने से वंचित रहते हैं, उनके लिए मैंने गरीब बस्तियों में जाकर मुफ्त में शिक्षा देना शुरू किया। क्योंकि बस मन में यही भावना है कि हमारे देश में कोई भी वर्ग शिक्षा से वंचित ना रहे। शिक्षा का अधिकार सबको मिले। जिसके लिए मुझे कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया गया।
प्रश्न6- आप आज के युवा पीढ़ी एवं माता- पिता को क्या संदेश देना चाहतीं हैं?
उत्तर- मैं हर एक अभिवावक, माता- पिता से यही कहना चाहती हूँ कि अपने बच्चों में संस्कारों के बीज बोए, उन्हें अपनी संस्कृति-समाज से जोड़े। उन्हें स्वावलम्बी बनाए बचपन से ही उनको प्रेरित करें ताकि वे अपने कार्य स्वयं करें किसी पर निर्भर ना रहकर अपने छोटे - छोटे दैनिक कार्य स्वयं करें। और सदाचारी रहे तभी वे नए वितान को गढ़ सकेंगे।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस तरह साक्षात्कार के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम नये नये प्रतिष्ठित व्यक्ति से परिचित हो सकते हैं या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।