मंतव्य
युवा तुर्क भारत रत्न से वंचित क्यों?
✍️मनोज कुमार सिंह
यूपी के बलिया जनपद के इब्राहीम पट्टी गाँव के एक साधारण किसान परिवार में पैदा होकर देश की राजनीति में लगभग पाँच दशकों तक अपनी धमक बरकरार रखने वाले भारतीय राजनीति के चाणक्य पूर्व प्रधानमन्त्री आदरणीय चन्द्रशेखर को अबतक भारत रत्न से वंचित रखना कहाँ तक न्यायोचित है? चन्द्रशेखर जी भारत के इकलौते राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पदयात्रा करके देश की अस्सी फीसदी आबादी को सुशोभित करने वाले किसानों की दुर्दशा को न सिर्फ रेखांकित किया बल्कि गाँव की गरीबी के मुद्दे को राजनीति के शीर्ष पायदान पर स्थापित करने में भी सफल रहे। पाँच दशकों के अपने अक्खड़ राजनीतिक जीवन में समाजवाद की मूल सिद्धांत का पालन करने वाले श्री चन्द्रशेखर ने सिर्फ और सिर्फ किसान, मजदूर, शोषित समाज तथा विकास के अंतिम छोर पर खड़े देश के मूल नागरिकों को उनका वाजिब हक दिलाने की राजनीति की। भारतीय राजनीति के चाणक्य व युवा तुर्क के नाम से मशहूर,अदभुद साहस क्षमता के पर्याय श्री चन्द्रशेखर ने राजनीति के साथ साथ अपने सामाजिक जीवन में कभी पीछे मुड़कर नही देखा। हालाँकि वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से उतपन्न लहर में उन्हें भी एकबार हार का स्वाद चखना पड़ा था।
प्रखर धुरंधर व बेवाक वक्ता श्री चन्द्रशेखर देश के अद्वितीय नेता थे जिन्होंने अवसर मिलने पर भी सिद्धांत के आगे पद को कभी अहमियत नही दी। बता दें कि मोरारजी देसाई की सरकार के उन्हें कैबिनेट में उन्हें महत्वपूर्ण विभाग सौंपा जा रहा था जिसे उन्होंने स्वीकार नही किया। और संगठन के अध्यक्ष के तौर पर संघर्ष के रास्ते का ही वरण किया। वर्ष 1989 में जनता दल के नेतृत्व में गठित सरकार के कार्यकाल में मंडल कमंडल की राजनीति से देश में उतपन्न राजनीतिक हालात के मद्देनजर अविश्वास तथा अस्थिरता से देश को जिस काबिलियत से श्री चन्द्रशेखर ने उबारा उसकी चर्चा आज भी लोगों में होती है। चंद महीनों बाद ही कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लिए जाने की आशंका के मद्देनजर पलक झपकते ही श्री चन्द्रशेखर ने पीएम की कुर्सी को त्यागकर यह साबित कर दिया था कि पद के लिए वे सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नही कर सकते। इससे पहले 1977 के आपातकाल से उपजे सम्पूर्ण क्रांति के महानायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चलाये आन्दोलन में युवा तुर्क के नाम से मशहूर देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री चन्द्रशेखर का नाम आम लोगों व खासकर राजनीतिक बैठकों में आज भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है। हाल के वर्षों में भारत रत्न से नवाजे गए राजनीतिज्ञों व अन्य विधाओं में महारत हासिल करने वाले महापुरुषों का सम्मान सरकार की नेकनीयती का ही नतीजा है। भोजपुरी भाषी पूर्वांचल क्षेत्र से निकलकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय क्षितिज के देदीप्यमान राजनीतिज्ञ,अद्वितीय प्रतिभा के धनी श्री चन्द्रशेखर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना बीस करोड़ भोजपुरिया समुदाय का दिल जीतने वाला अत्यंत सार्थक कदम साबित होगा।
(लेखक, मनोज कुमार सिंह, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।)