मंतव्य
भाजपा में दूसरी पार्टियों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर लोकतांत्रिक माहौल है!
नीतीश कुमार ने अंततः अपने पहले के मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राजद के कुछ अन्य मंत्रियों ललित यादव इनके कार्यकाल में संपन्न सरकारी कामकाज निर्णय के जांच की घोषणा कर दी है। सारा सच जल्द ही सामने आ जाएगा। सुशील मोदी नीतीश कुमार को इन सब सारी बातों से अवगत करा रहे थे और नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने के चक्कर में राजद और कांग्रेस के चक्कर में पड़ गये थे। इंद्रकुमार गुजराल और एच.डी. देवगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने की अलग कहानी है।
यूपी में चुनाव से पहले ही अखिलेश यादव और उनके चाचा में मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने को लेकर बहस चल रही थी। तेजस्वी यादव ने बिहार में इसी प्रकार साधु यादव से भी किनारा कर लिया है। किसी जमाने के लालू राज में इन लोगों ने सांसद विधायक बनकर खूब नाम कमाया। मंडी हाउस के पास में ही रहते थे और सारा बिहार नीतीश कुमार ने सच ही कहा है कि शाम में यहां कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता था।
शाबाश चेतन आनंद! देर आये, दुरुस्त आये !
चेतन आनंद ने कहा है कि राजद में छोटे - छोटे लोग सब उन्हें और उनके पिता आनंद मोहन को गालियां दिया करते थे। यह सब सच ही होगा और राजद नेताओं का अपना एक सामाजिक तबका है। आजकल पिछड़े वर्ग के लोग खुद को उच्च जाति के लोगों से अलग थलग होने में जुटे हैं। यह उनकी खास सामाजिक पहचान है। दिल्ली में भी दलित लेखकों का तबका साहित्य लेखन में बेहद अभद्र प्रसंगों को लेकर घृणित जातीयता का परिचय देता है।
तेजस्वी यादव और आनंद मोहन की जेल से रिहाई
राजीव गांधी की सरकार के पतन के बाद जब से देश में गठबंधन सरकार केन्द्र में बनने लगी तब से राजनीतिक दलों का कुछ ठिकाना नहीं रहा है। कोई नेता खासकर छोटे कद के नेता अपना पाला बदल लेते हैं। दुनिया जानती है कि आनंद मोहन को जेल से सजा माफी और रिहाई में तेजस्वी यादव की भूमिका महत्वपूर्ण रही। चेतन आनंद जो उनकी पार्टी राजद के विधायक हैं, आनंद मोहन उनके पिता हैं। इस नाते तेजस्वी यादव ने चेतन आनंद को उसके पिता की रिहाई में मदद की है लेकिन नीतीश कुमार की मौजूदा सरकार के विश्वास मत के दौरान चेतन आनंद नीतीश कुमार और भाजपा की तरफ जाकर बैठ गये। अब राजनीति में कोई किसी का नहीं है। भाजपा -कांग्रेस में गठजोड़ हो सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने विश्वास मत के दौरान कांग्रेस और तमाम पार्टियों से समर्थन मांगा था। अटल बिहारी वाजपेयी को कांग्रेस ने समर्थन नहीं किया और सरकार गिर गयी लेकिन एक दिन भाजपा कांग्रेस गठबंधन से ही देश की राजनीति में स्थिरता आएगी। क्षेत्रीय पार्टियां अपने राज्यों में राजनीति करें।
बिहार में स्थिति निरंतर खराब होती जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला और ऐसी दशा में नीतीश कुमार यहां भाजपा और राजद के साथ सरकार चलाते रहे हैं लेकिन इस तरह से यहां सरकार का गठन सरकार की वैधता पर सवाल खड़ा करता है। केन्द्र सरकार को बिहार की वर्तमान सरकार को भंग कर देना चाहिए और नये जनादेश से यहां सरकार का गठन करना चाहिए।
(इंदुपुर, पोस्ट - बड़हिया, जिला - लखीसराय, बिहार : 811302, ह्वाट्सएप नंबर:6206756085)
(यह लेखक की अपनी राय है।)