भारत की पहली आयुर्वेद पी. एच. डी. डाॅ प्रभा शर्मा आज दिव्यालय एक व्यकितत्व पहचान में अतिथि डाॅ.प्रभा शर्मा!
होस्ट- किशोर जैन
रिपोर्ट- सुनीता सिंह "सरोवर"
/// जगत दर्शन न्यूज़
इतिहास साक्षी है, हमारी संस्कृति हमारे देश की माटी ने एक से बढ़कर एक रत्न दिए, जिनके नाम आज भी स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। सदियों पहले राजाओं, महाराजा के राज में वैद्य, हकीम हुआ करते थे, जो तमाम जड़ीबूटी से इलाज करते थे। थोड़ा और गहराई में जाएं तो शैल्य चिकित्सा भी हमारे ऋषि- मुनियों की देन है। धीरे- धीरे युग बदला और लोग एलोपैथ की तरफ आकर्षित हुए, जिसके परिणामस्वरूप कुछ रोगों के इलाज में त्वरित सफलता मिली। मगर वह महंगा होने के साथ- साथ कभी- कभी उसके साइडफैक्ट भी देखने को मिलतें हैं। परिणाम स्वरूप आज के दौर में पुनः एक बार लोगों का झुकाव आयुर्वेद की ओर हुआ है। इसी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में आज हमारे व्यक्तित्व एक पहचान की पहली स्त्री विशेषज्ञ अतिथि डाॅ. प्रभा शर्मा जी " होस्ट किशोर जैन के साथ एक मुलाकात में।
प्रश्न- आप कहाँ से हैं?
उत्तर- जी मैं मध्य प्रदेश के छोटे से गांव की रहने वाली हूँ, जो आदिवासी क्षैत्र के पास।
प्रश्न- आपकी शिक्षा- दीक्षा कहाँ से हुई?
उत्तर- जी मेरी प्रार्थमिक शिक्षा गाँव से ही हुई, पर आगे की पढ़ाई इंदौर से, मास्टर्स और पी. एच. डी. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से संपन्न हुई।
प्रश्न -3 आज के इस आधुनिक युग में आपका झुकाव आयुर्वेद की तरफ कैसे हुआ?
उत्तर- जी आयुर्वेद यह अपने आप में विशिष्ट है, आजकल के आबोहवा को देखते हुए आयुर्वेद दवा से किया गया उपचार ही कामयाब हो रहा है, जैसा कि हम सब जानते हैं, हमारा भारत सत्य सनातन है। यही से हमारे ऋषि मुनियों द्वारा अनेकों जड़ी बूटी से करते आए हैं, जिनके कठिन साधना से आयुर्वेद को विश्व में पहचान मिली इसकी शुरुआत हुई, और मुझे आयुर्वेद डाॅ बनने की प्रेरणा मेरी बड़ी बहन से मिली। यही नहीं मेरे पिता श्री और मेरे दादा से मिली।
प्रश्न- 4 हमारे श्रोता बंधु आपसे आयुर्वेद के नफा- नुकसान के विषय में जानना चाहते हैं?
उत्तर- देखिए जहाँ तक मैं जानती हूँ आने वाला समय आयुर्वेद का होगा, यहाँ तो लोग अब धीरे- धीरे सजग हो रहें हैं, जबकि दक्षिणी भारत में तो सौ फिसद लोग आयुर्वेदिक दवा को ही अपनाते हैं। आयुर्वेद धीरे असर करता है, लेकिन मर्ज को जड़ से खत्म कर देता है, इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं।
प्रश्न- 5 आप पहली आयुर्वेद पी. एच. डी. महिला हैं, यह उपलब्धि कैसी लगी, कृपया अपने अनुभव बताएं, अपनी खुशी हमारे श्रोता बंधुओं से साझा करें?
उत्तर- जी वह पल यह उपलब्धि अपने आप में बहुत बड़ी है। मेरे लिए व मेरे सभी परिजनों के लिए गौरवान्वित पल था। सभी लड़कियों के लिए मैं एक प्रेरणा बनी, और आयुर्वेद स्त्री रोग विशेषज्ञ के लिए लड़कियों ने दाखिला लिया आने वाला समय आयुर्वेद का ही होगा।
प्रश्न- आयुर्वेद एलोपैथ से ज्यादा सफल रहेगा आज के परिवेश में जीवन शैली कैसी होनी चाहिए, क्या परहेज जरुरी है?
उत्तर- देखिए आज के इस दौर में स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी है। ध्यान, योग सुबह की सैर और शुद्ध सात्विक आहार के साथ- साथ भरपूर नींद। और अगर आप आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो जाहिर है कि परहेज जरुरी है। हम बकायदे लिखित चेतावनी देते हैं, किन - किन चीजों से परहेज जरुरी है, उसका पालन अनिवार्य है।
प्रश्न- अंत में आप आज के युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहतीं हैं?
उत्तर- अपने सपनों को उड़ान दे, सनातन धर्म के पद्धति को अपनाते हुए योग, ध्यान, साधना और संयमित दिनचर्या का अनुपालन करें। आयुर्वेद में भी भविष्य अच्छा है, इससे हमारे देश की माटी को भी पहचान मिलेगी, इसलिए आयुर्वेद अपनाएँ और मुस्काए।।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।