सरलता के साथ ही सफलता प्राप्त होती है!
दिव्यालय एक व्यकितत्व पहचान में हुआ साक्षात्कार विनीत कुमार सिंह का!
माश्गता हूँ लिख मुकद्दर मेरा,
वरना तेरा लिखा भी मिटा तिरंगा।
मेरे खुद के इरादे हैं बुलंद इतने कि,
मुकद्दर भी अपना मैं बना जाऊंगा।
जी हाँ सफलता की स सीढ़ियों पर चढंना और उसे कायम रखना इतना आसान नहीं होता, आज के परिवेश के हिसाब से हर माता- पिता का सपना होता है, कि उनका बेटा आसमां को छुए, समाज में प्रतिष्ठा पाए और परिवार, समाज एवं देश परिवार की एक पहचान समाज , आज दिव्यालय में, हमारे होनहार, नेक व कर्मठ अधिकारी, हमारे अतिथि एसडीएम वित्त विनीत कुमार सिंह हैं, जो फिलहाल योगी जी के शहर गोरखपुर में पोस्टेड हैं।
प्रश्न- सर आप कहाँ से हैं?
उत्तर- जी मैं जिला अयोध्या के एक छोटे से गाँव से हूँ , और गौरवान्वित हूँ, कि मुझे पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र की पावन धरा में जन्म मिला।
प्रश्न- सर आपकी शिक्षा - दीक्षा कहाँ से हुई?
उत्तर- जी मेरी इंटर तक की पढ़ाई अपने ही जिले और गांव से हुई। फिर स्नातक एवं परा स्नातक के लिए मैं प्रयागराज गया। वही से बी.एड़ भी किया। कुछ दिनों तक एक अध्यापक की भूमिका में भी रहा।
प्रश्न- ऐसा माना जाता है कि, एक सरकारी अधिकारी को सदैव तत्पर रहना पड़ता है, अपने कर्तव्य पथ पर?
उत्तर- जी कभी भी कहीं भी अगर समाज में अमन- चैन या फिर सरकार द्वारा लागू किए गए मापदंड को सुचारू रूप से जनमानस तक पहुँचाना है, तो जिस फर्ज के लिए हमें चुना गया है। वहाँ तत्पर रहना ही पड़ता है। खास करके जब समाज में प्रशासन की बात हो तो और भी सचेत रहना पड़ता है।
प्रश्न-स्वच्छ भारत मिशन, जो प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, तो पद पर रहते हुए इसमें आपका क्या योगदान रहा?
उत्तर- जी इस प्रोजेक्ट को जब हमने सही तरीके से जाना तो यह सचमुच लोगों के लिए वातावरण के लिए अति उपयोगी साबित हुआ और फिर हमने भी उन हर एक बिंदु को गौर से जाना, जिससे पता चला की लोग शौचालय के धन को संचित कर बाहर खेतों में शौच के लिए जाते हैं। फिर मैंने इस पर सख्ती बरती और देवरिया के कई गाँव में शौचालय का निर्माण सौ फिसद हुआ, जिसके लिए मुझे दिल्ली के विज्ञान भवन में सम्मानित किया गया।
प्रश्न- आप अवध ललाम की पावन धरा पर जन्म लिए और गुरु गोरक्षनाथ की नगरी आपकी कर्म भूमि बनी है, ऐसे में हमें आपके अनुभव जानना चाहते हैं?
उत्तर- जी यह मेरा सौभाग्य है और गूरु गोरक्षनाथ की नगरी में कार्य करना भी बहुत सुखद अनुभूति है, क्योंकि यहाँ पर मुझे और अधिक समर्पित भाव से कार्य करने की प्रेरणा मिलती है, क्योंकि मैं जानता हूँ, कि मेरी मॉनिटरिंग स्वयं मुख्यमंत्री जी भी कर सकते हैं।
प्रश्न- आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है, ऐसे में आप युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर- जी बस यही की अपना समय न गवाएं, बल्कि अपने कमजोरी को ही ताकत बना आगे बढ़े, एक दरवाजा बंद होता है तो अनेऐ राहें मिलती है, उन पर बढ़कर अपने जीवन को सफल करें।
प्रश्न- सरकारी नौकरी हर एक की पहली ख्वाहिश होती है, और माता- पिता बच्चों को हर संभव सहयोग के साथ प्रेरित भी करते हैं, फिर भी हमारी युवा पीढ़ी संवेदनशील होती जा रहीं हैं?
उत्तर- जी आजकल कि परिवेश हमारे बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर कर रही है। मैं बस यही कहना चाहूंगा की माँ- बाप एक मार्गदर्शक बने न की अपनी ख्वाहिश बच्चों पर तोपें उन्हें अपने कदम बढ़ाने दें, हाँ कंधे पर हाथ जरूर रखें।
प्रश्न- आज के युवा वर्ग को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर- मैं आज के युवाओं से यही कहना चाहता हूँ, आप सब देश के भविष्य हैं, आप सबसे ही हमारा कल है, मेहनत से पढ़े और अपने देश की आन बान शान को कायम रखें।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।