कौशिकी के लाभ, तरीका तथा किसके लिए?
कौशिकी नृत्य नही एक औषधि है!
22 भयानक रोगों का इलाज!
/// जगत दर्शन न्यूज

बाइस रोगों की औषधि है कौशिकी नृत्य ऑटोप्लाज्मिक स्टफ को आंदोलित करती है। अतः उसे हिला देती है और अंत मे एक केंद्र बिंदू पर परमपुरुष से हमें मिला देती है।
कौशिकी क्यों और किसलिए?
कार्यक्रम की संचालिका व्यंजना आनंद नें बताया कि हमारे शरीर मे अनेकों रोग होते है, जिसके कारण हमारी साधना में बाधाएं आती है। इन बाधाओं के विरोध में लड़ाई करने के लिए श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने सितंबर 1979 ई. को कौशिकी नृत्य का अविष्कार किया था। ये बाइस रोगों की औषधि है। साथ ही साथ ऑटोप्लाज्मिक स्टफ को आंदोलित करती है। अतः उसे हिला देती है और अंत मे एक केंद्र बिंदू पर परमपुरुष से हमें मिला देती है।
कौशिकी ही नाम क्यो रखा गया?
इस नृत्य का नाम कौशिकी रखने का उद्देश ये है कि हमारी शरीर में स्थित सभी कोष संचालित नियंत्रित हो जाती है। इसे प्रेग्नेंसी मे भी करते है। कौशिकी नृत्य ललित मार्मिक विशुद्ध भक्ति भाव का नृत्य है। इस नृत्य को महिला और पुरुष दोनों कर सकते है। महिला के लिए आवश्यक होता है यह नृत्य। जो महिला नित्य कौशिकी करती है उसे चिकित्सक के पास जाने की जरूरत कभी नहीं पड़ती।
कौशिकी नृत्य कैसे करें?
प्रतियोगिता के पूर्व आचार्य गुणीन्द्रानन्द अवधूत जी ने कौशिकी करने की विधि को बताया ----
दोनो हाथ जब हम ऊपर उठाते है। आपस मे प्रणाम के मुद्रा मे मिला देते है। हाथ हर स्थिती में कान से सटा होना चाहिये। पहले हम दाहिने ओर झुकते है। पहले स्टेप 15 डिग्री दुसरा स्टेप 30 डिग्री तीसरे स्टेप में 45 डिग्री झूकते है। ध्यान देना है कि आप कमर से ही झुके दाहिने तरफ।
फिर बाये तरह उसी तरह झुकते है। फिर आगे की ओर झुकते है। अंत में पीछे 15 डिग्री तक झुकते है अंत में पैर से दो बार थाप देते है। जो पाठक इसे करना नहीं जानते वे हमारे यूट्युब चैनल AM Yoga For Liberation पर जा कर कौशिकी नृत्य सर्च कर सिख सकते हैं।
कौशिकी करते समय के भाव आपके व्यक्तित्व भी बहुत निखार लाता है अतः भाव के साथ करें।
कौशिकी में मन के भाव
1) जब दोनो हाथ ऊपर प्रणाम की मुद्रा मैं आते है - हम परमपुरुष के साथ एक कडी स्थापित करने की कोशिश कर रहा हूँ।
2) जब दाई और झुकते है - हे परमपुरुष तुम्हें एकान्तिक आकृति ज्ञापित करने का सही पथ मैं जानती हूँ। तेरी भावना मैं जानती हूँ।
3) बांयी ओर का भाव - तुम जो चाहते हो उसे पूरा करने का उपाय मैं जानती हूँ।
4) आगे की ओर झुकते है तो मै आपको पूरी तरह से आत्म समर्पित करता हूँ।
5) पीछे की और झुकते है तो जीवन में आनेवाले सभी बाधाओं का सामना करने के लिए मैं तैयार हूँ।
6) अंतिम दो चरणों के थाप का भाव - मैं तुम्हारे छंद से छंद मिलाकर चल रहा हूँ ।
कौशिकी के लाभ
* ये सिर से लेकर पैर तक सभी ग्रंथी और अंगो का व्यायाम है।
* ये दीर्घायु होने मे मदद करता है।
* ये नृत्य प्रसव आसान करता है।
* रीड गर्दन हाथ कमर व अन्य जोड़ के वात को दूर करता है।
*मन मजबूत और तेज बनाता है।
* मासिक धर्म मे अनियमितिता ठीक हो जायेगी।
* ग्रंथियों के स्त्राव मे अनियमितिता ठीक हो जायेगी।
* मूत्राशय और मूत्र मार्ग मे परेशानी ठीक हो जायेगी।
* इससे अंगो पर नियंत्रण बढता है।
* इससे चेहरे और त्वचा मे आकर्षक और चमक बढती है झुर्रियाँ खत्म होती है।
* ये अनिद्रा को ठीक करता है।
* हिस्टीरिया को ठीक करता है।
* वृत्तियों पर नियंत्रण करने की शक्ति देता है।
*ये नकारात्मक भाव को दूर करता है।
*ये आत्म अभिव्यक्ति ,अपनी क्षमता को विकसित करने मे मदद करता है।
*रीड की हड्डी के दर्द, बवासीर, हर्निया, पुरुषो मे हाइड्रोसील ठीक करता है।
* तांत्रिका तंत्र ठीक करता है।
* विकलांग को ठीक करता है।
*ये गुर्दे और पित्ताशय की परेशानिया पथरी को ठीक करता है।
* गॅस्ट्रिक परेशानिया, अपच, अम्लता ठीक करता है।
*उपदंश, सुजांक मोटापा पतलेपन ठीक करता है।
*यकृत रोग को ठीक करता है|
*ये 75-80 वर्ष की आयु तक काम करने की क्षमता को बढाता है!
(समन्वय चिकित्सा से संकलित)
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